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क्या PM मोदी 75 साल की उम्र में होंगे रिटायर, RSS चीफ मोहन भागवत ने दिया बड़ा बयान

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ढाई घंटे के प्रश्नोत्तर सत्र में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मनुस्मृति से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), अमेरिकी टैरिफ से लेकर जाति, शिक्षा, देशभक्ति, राष्ट्रभाषा, विभाजन, अवैध आव्रजन, मुसलमानों पर हमले और सबसे महत्वपूर्ण, नेताओं की सेवानिवृत्ति की आयु तक के सवालों के जवाब दिए। भागवत ने कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि मुझे या किसी और को 75 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए।

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आरएसएस प्रमुख की इस टिप्पणी ने नेताओं के संन्यास लेने संबंधी उनकी हालिया टिप्पणी को लेकर अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संदर्भ में देखा जा रहा था। मोदी और भागवत, दोनों अगले महीने 75 वर्ष के हो जाएंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने विपक्ष की इन अटकलों पर विराम लगा दिया। BJP ने हमेशा से दावा किया है कि 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट का कोई नियम नहीं है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सौम्य और आधुनिक छवि पेश करते हुए इसके प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि भारत में इस्लाम के लिए हमेशा जगह रहेगी। उन्होंने भाजपा के साथ मतभेद की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि अखंड भारत एक अपरिवर्तनीय वास्तविकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शाखा चलाना जानता है और भाजपा सरकार चलाना जानती है तथा वे केवल एक-दूसरे को सुझाव देते हैं। काशी और मथुरा के लिए अयोध्या जैसा आंदोलन चलाने के आह्वान के बीच भागवत ने कहा कि राम मंदिर एकमात्र ऐसा आंदोलन है जिसमें आरएसएस शामिल हुआ और उसे अंजाम तक पहुंचाया तथा वह किसी ऐसे अन्य आंदोलन में शामिल नहीं होगा।

भागवत ने आरएसएस के सौ साल होने के उपलक्ष्य में यहां विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में उपस्थित लोगों से कहा, "हालांकि, काशी, मथुरा और अयोध्या हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण हैं और यदि वे अनुरोध करते हैं तो हमारे स्वयंसेवक उनके आंदोलन में शामिल हो सकते हैं।"

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उन्होंने कहा, "इन तीन के अलावा, मैंने कहा है कि हर जगह मंदिर या शिवलिंग खोजने की कोई आवश्यकता नहीं है। साथ ही, ऐसा क्यों नहीं हो सकता? यह केवल तीन का मामला है, आप (हिंदू) इसे ले सकते हैं। यह सद्भाव की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।" भारतीय आयातों पर 50 प्रतिशत शुल्क को लेकर अमेरिका-भारत के बीच गतिरोध के संबंध में भागवत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार आवश्यक है, लेकिन दबाव में दोस्ती नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा, "हम सरकार को यह नहीं बताते कि ट्रंप से कैसे निपटना है; उन्हें पता है कि क्या करना है और हम इसका समर्थन करेंगे।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरएसएस स्वदेशी और आत्मनिर्भरता में विश्वास करता है।

भागवत ने स्वतंत्रता आंदोलन में संघ की भागीदारी और भारत के विभाजन के विरोध पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, "यह कहना ग़लत है कि संघ ने विभाजन का विरोध नहीं किया। संघ ने इसका विरोध किया था, लेकिन उस समय संघ के पास क्या ताकत थी, पूरा देश महात्मा गांधी का अनुसरण कर रहा था।"

आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि स्वयंसेवकों ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था और संघ द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों को उनके प्रयासों में मदद करने के उदाहरण दिए। अखंड भारत के सिद्धांत पर, भागवत ने कहा कि यह जीवन का एक तथ्य है।

उन्होंने कहा, "अखंड भारत को ध्यान में रखना केवल राजनीतिक मामला नहीं है, क्योंकि जब अखंड भारत अस्तित्व में था, तब यहां कई शासक थे, तब भी किसी शासक को प्रवेश करने या यात्रा करने के लिए अनुमति की आवश्यकता होती थी।" भागवत ने कहा कि आरएसएस संविधान-प्रदत्त आरक्षण नीतियों का पूरा समर्थन करता है और जब तक इसकी आवश्यकता होगी, तब तक इसका समर्थन करता रहेगा।

जाति व्यवस्था पर, आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जो भी पुराना हो गया है, वह खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘जाति व्यवस्था कभी थी, लेकिन आज उसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। जाति अब कोई व्यवस्था नहीं रही; यह पुरानी हो चुकी है और इसे खत्म होना ही होगा।’’

भागवत ने कहा, ‘‘शोषण-मुक्त और समतावादी व्यवस्था के मूल्यांकन की आवश्यकता है। पुरानी व्यवस्था के खत्म होते ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका समाज पर विनाशकारी प्रभाव न पड़े। भागवत ने कहा कि आरएसएस भी एआई के फायदे और नुकसान का अध्ययन करने के बाद, इसे अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि एआई का इस्तेमाल कविता लिखने के लिए किया जा सकता है... यह भाषाएं सीख सकता है, लेकिन क्या यह भावनाओं को समझ सकता है?"

भागवत ने जनसांख्यिकीय असंतुलन के पीछे धर्मांतरण और अवैध प्रवास को प्रमुख कारण बताया और कहा कि सरकार अवैध प्रवास को रोकने का प्रयास कर रही है, लेकिन समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि नौकरियां अवैध प्रवासियों को नहीं बल्कि "मुसलमानों सहित हमारे अपने लोगों" को मिलनी चाहिए।

भागवत ने कहा कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का विषय है और इस मामले में किसी प्रकार का प्रलोभन या बल प्रयोग नहीं होना चाहिए। भागवत ने कहा, "धर्म व्यक्ति की अपनी पसंद है। किसी का भी जबरन धर्मांतरण नहीं कराया जाना चाहिए। हमें इसे रोकना होगा। दूसरा मुद्दा घुसपैठ का है। हर देश के अपने नियम-कानून और सीमित संसाधन होते हैं। इसलिए घुसपैठ रोकी जानी चाहिए और सरकार इसे रोकने के लिए प्रयास कर रही है... हमारे देश के नागरिकों को रोजगार देना महत्वपूर्ण है।"

भागवत ने इस आम धारणा को ‘‘पूरी तरह गलत’’ बताते हुए खारिज कर दिया कि उनका संगठन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए ‘‘सब कुछ’’ तय करता है। उन्होंने कहा कि सुझाव पार्टी को दिए जाते हैं, लेकिन फैसले पार्टी लेती है।

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भागवत ने यह भी कहा कि भाजपा के नए प्रमुख के चयन में आरएसएस की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा नीत सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं है, चाहे वह केंद्र में हो या पार्टी द्वारा शासित राज्यों में।

क्या संघ भाजपा के लिए हर चीज तय करता है, यहां तक कि अध्यक्ष का चयन भी, इस सवाल पर आरएसएस प्रमुख ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है। जेपी नड्डा वर्तमान में भाजपा के अध्यक्ष हैं। वे केंद्रीय मंत्री भी हैं। भागवत ने कहा कि हम फैसला नहीं करते। अगर हम फैसला कर रहे होते, तो क्या इसमें इतना समय लगता? हम फैसला नहीं करते। हमें फैसला करने की ज़रूरत नहीं है। अपना समय लीजिए। हमें इस बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं है। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma

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