सिर्फ दो साल की उम्र में, बेल्जियन शेफर्ड नस्ल की यह बहादुर मादा डॉग, CRPF की विशेष K9 यूनिट का हिस्सा थी। उसे विस्फोटक और IED खोजने के लिए प्रशिक्षित किया गया था और अप्रैल 2024 में उसे इस खतरनाक ऑपरेशन में तैनात किया गया था।
27 अप्रैल को, जब CRPF और छत्तीसगढ़ पुलिस की टीम नक्सल प्रभावित घने जंगलों में तलाशी अभियान चला रही थी, तभी रोलो की टीम पर मधुमक्खियों के एक आक्रामक झुंड ने हमला कर दिया। उसके हैंडलर्स ने उसे बचाने की हर संभव कोशिश की — उसे पॉलीथीन शीट से ढका गया, लेकिन मधुमक्खियां अंदर घुस गईं और रोलो को करीब 200 बार डंक मारा।
डर और दर्द के बीच रोलो खुद को बचाने के लिए उस कवच से बाहर निकल गई — जिससे और ज्यादा मधुमक्खियों के डंकों की चपेट में आ गई।जब CRPF और छत्तीसगढ़ पुलिस की टीम नक्सल प्रभावित घने जंगलों में तलाशी अभियान चला रही थी, तभी 2 साल Rolo की टीम पर मधुमक्खियों के झुंड ने हमला किया, उसे बचाने की हर संभव कोशिश की, पॉलीथीन शीट से ढका, लेकिन मधुमक्खियां अंदर घुस गईं और रोलो को करीब 200 बार डंक मारा#Dog #Rolo pic.twitter.com/xf1KhmFZKH
— Webdunia Hindi (@WebduniaHindi) May 16, 2025
इमरजेंसी ट्रीटमेंट के बाद उसे तुरंत वहां से निकाला गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही वो ज़िंदगी की जंग हार चुकी थी। CRPF के वेटनरी डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इस 21-दिन के लंबे अभियान में 31 नक्सली मारे गए और 18 जवान घायल हुए, जिनमें कुछ को गंभीर ब्लास्ट इंजरी के कारण अंग कटवाने पड़े। लेकिन सुरक्षा बलों में से सिर्फ एक ही जीवन खोया गया — और वो थी 'रोलो'।
रोलो को उसकी बहादुरी के लिए CRPF के महानिदेशक द्वारा मरणोपरांत कॉमेंडेशन मेडल से सम्मानित किया गया।
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