बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पत्नी ने अपने पति को दूसरी पत्नी के साथ रहने की इजाजत तो दे दी, लेकिन इसके लिए दो ऐसी शर्तें रखीं, जिन्होंने सबको चौंका दिया। यह अनोखा विवाद महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन के परिवार परामर्श केंद्र में सुलझाया गया, जहां पति ने दोनों शर्तें मान लीं और उसी दिन दूसरी पत्नी को साथ ले गया।
प्यार और जिम्मेदारी के बीच फंसा अनोखा मामलायह मामला बाराबंकी के पुलिस लाइन में आयोजित परिवार परामर्श शिविर में सामने आया। संगठन की प्रभारी कुमारी रत्ना ने अपनी सूझबूझ से दोनों पक्षों के बीच सुलह कराई। दरअसल, जैदपुर थाना क्षेत्र के एक शादीशुदा व्यक्ति ने अपनी पहली पत्नी और पांच बच्चों को छोड़कर दूसरी महिला से प्रेम विवाह कर लिया। इस प्रेम विवाह के बाद पहली पत्नी के साथ संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया, जो परिवार परामर्श केंद्र तक पहुंचा।
पांच बच्चों को छोड़कर प्रेम में डूबी दूसरी पत्नीपरामर्श केंद्र में जब दूसरी पत्नी से पूछा गया कि वह पांच बच्चों को छोड़कर दूसरे परिवार में दखल क्यों दे रही है, तो उसका जवाब था, “प्यार में सब कुछ जायज है। प्यार की कोई उम्र नहीं होती।” उसने यह भी कहा कि ईश्वर जिसे जन्म देता है, उसका भरण-पोषण भी करता है और बच्चे किसी तरह पल जाएंगे। उसने धमकी दी कि अगर उसे पति से अलग किया गया, तो वह अपनी जान दे देगी। इस भावुक जवाब ने माहौल को और गरम कर दिया, लेकिन मामला सुलझाने के लिए परामर्श केंद्र ने समझदारी से कदम उठाया।
दो कड़ी शर्तों पर हुआ समझौतापहली पत्नी ने पति को दूसरी महिला के साथ रहने की अनुमति देने के लिए दो कड़ी शर्तें रखीं। पहली शर्त थी कि दूसरी पत्नी के बच्चों को पति की पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलेगा। दूसरी शर्त थी कि पति हर महीने पहली पत्नी को भरण-पोषण के लिए एक हजार रुपये देगा। पति ने दोनों शर्तें मान लीं और उसी दिन पहली पत्नी को एक हजार रुपये देकर दूसरी पत्नी के साथ चला गया। पहली पत्नी ने साफ चेतावनी दी कि अगर शर्तें तोड़ी गईं, तो वह कानूनी कार्रवाई करेगी। इस समझौते को लिखित रूप में दर्ज कर मामला निस्तारित कर दिया गया।
परिवार परामर्श केंद्र की भूमिकामहिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की प्रभारी कुमारी रत्ना ने बताया कि परिवार परामर्श शिविर में प्रतिदिन पारिवारिक विवादों को सुलझाया जाता है। ज्यादातर मामलों में सहमति से समझौता हो जाता है, लेकिन इस मामले को सुलझाने के लिए तीन बार दोनों पक्षों को बुलाना पड़ा। उनकी सूझबूझ और संयम ने इस जटिल मामले को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई।
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