Botox side effects : अगर आप भी अपने चेहरे की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए बोटॉक्स इंजेक्शन के बारे में सोच रही हैं, तो जरा ठहरिए! बोटॉक्स झुर्रियों को कम करने और त्वचा को जवां बनाने का एक लोकप्रिय तरीका है, लेकिन हाल ही में आई एक खबर ने सबको चौंका दिया है। पहले यह इंजेक्शन सिर्फ अमीरों की पहुंच में था, लेकिन अब इसकी कीमतें काफी कम हो गई हैं। कुछ क्लीनिक तो सिर्फ ढाई हजार रुपये में बोटॉक्स इंजेक्शन लगा रहे हैं। लेकिन सस्ते के चक्कर में आपकी जान को खतरा भी हो सकता है। बीबीसी की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में नकली बोटॉक्स की वजह से करीब 30 महिलाओं की जान चली गई।
दरअसल, बोटॉक्स में एक खास तरह का जहर (टॉक्सिन) इस्तेमाल होता है, जो कम मात्रा में त्वचा को फायदा पहुंचाता है। लेकिन कुछ क्लीनिकों ने इसकी ज्यादा मात्रा का इस्तेमाल किया, जिसके चलते यह इंजेक्शन जानलेवा बन गया। यूनाइटेड किंगडम हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि बोटॉक्स इंजेक्शन हमेशा किसी भरोसेमंद और लाइसेंस्ड क्लीनिक से ही लगवाएं। अगर आपको कोई स्किन एलर्जी या स्वास्थ्य समस्या है, तो बोटॉक्स से पूरी तरह बचें। भारत में भी नकली या मिलावटी बोटॉक्स के कई मामले सामने आए हैं, जिनका असर नर्वस सिस्टम तक पर पड़ सकता है। तो खूबसूरती के चक्कर में अपनी सेहत को दांव पर न लगाएं!
मां का दूध: बच्चे की गहरी नींद का राजमां का दूध बच्चों के लिए अमृत से कम नहीं। हाल ही में द जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन में छपे एक अध्ययन ने इसे फिर से साबित किया है। इस अध्ययन में पाया गया कि मां का दूध पीने वाले 68% बच्चे न सिर्फ स्वस्थ रहते हैं, बल्कि कम चिड़चिड़े होते हैं और गहरी नींद लेते हैं। वहीं, फॉर्मूला मिल्क पीने वाले बच्चों में से सिर्फ 28% ही अच्छी नींद ले पाते हैं। इस सर्वे में 176 मांओं और उनके नवजात बच्चों को शामिल किया गया था। तो अगर आप नई मां हैं, तो अपने बच्चे को मां का दूध जरूर पिलाएं, क्योंकि ये उनकी सेहत और नींद दोनों के लिए वरदान है।
कामकाजी महिलाएं: पैरों की सेहत का रखें खास ख्यालकामकाजी महिलाओं के लिए दिनभर की भागदौड़ कोई नई बात नहीं। इंडियन जर्नल ऑफ पोडियाट्री के एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में 35% कामकाजी महिलाएं बस, ट्रेन, मेट्रो या टेंपो से ऑफिस जाती हैं। इस दौरान उन्हें 45 से 60 मिनट तक खड़ा रहना पड़ता है, जिसका उनके पैरों पर बुरा असर पड़ता है। अगर सही जूते या चप्पल न पहनी जाए, तो प्लेंटर फेसिटिस जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इस बीमारी में तलवों में दर्द शुरू होता है, चलने में दिक्कत होती है और समय पर इलाज न हो तो हड्डियों को भी नुकसान हो सकता है।
खास बात ये है कि शुरुआत में इस बीमारी के लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन धीरे-धीरे पैरों में असहनीय दर्द और झनझनाहट शुरू हो जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि महिलाएं अक्सर फैशन या ड्रेस के चक्कर में गलत फुटवियर चुन लेती हैं, जिससे ये समस्या बढ़ती है। हाई हील्स भी इस बीमारी की एक बड़ी वजह बन सकती हैं। इसलिए अगर आप रोज लंबा सफर करती हैं, तो आरामदायक जूते चुनें और हाई हील्स से जितना हो सके, बचें। अपने पैरों की सेहत को नजरअंदाज न करें, क्योंकि ये आपकी मेहनत का आधार हैं!
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