यह कहानी है नितिन और जिया पमनानी की, जिन्होंने दिल्ली की चकाचौंध भरी जिंदगी को अलविदा कहकर ग्वालियर जैसे छोटे शहर से एक ऐसा ऑनलाइन बिजनेस खड़ा किया, जो न सिर्फ उनकी जिंदगी बदल रहा है, बल्कि हजारों कारीगरों को भी नई पहचान और रोजगार दे रहा है। उनकी मेहनत और जुनून की बदौलत आज उनका बिजनेस लाखों लोगों के दिलों तक पहुंच चुका है। आइए, जानते हैं उनकी इस प्रेरणादायक यात्रा के बारे में।
iTokri: कारीगरों की कला को नई उड़ाननितिन और जिया ने iTokri नाम से एक ऑनलाइन दुकान शुरू की, जो भारत के हर कोने से कारीगरों के हाथ से बने अनोखे सामानों को दुनिया तक पहुंचाती है। इस प्लेटफॉर्म पर आपको हस्तनिर्मित साड़ियां, दुपट्टे, घर की सजावट का सामान, और पारंपरिक गहने जैसे कई खूबसूरत उत्पाद मिलते हैं। यह सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने का एक मिशन है। iTokri के जरिए नितिन और जिया ने उन कारीगरों को एक मंच दिया है, जिनके हुनर को पहले कभी इतना सम्मान या पहचान नहीं मिली।
छोटे शहर से बड़ा सपनादिल्ली जैसे महानगर में रहते हुए नितिन और जिया ने महसूस किया कि बड़े शहरों की भागदौड़ में कारीगरों की कला कहीं खो सी जाती है। उन्होंने फैसला किया कि वे ग्वालियर जैसे छोटे शहर से अपने सपनों को हकीकत में बदलेंगे। ग्वालियर में रहकर उन्होंने न सिर्फ अपने लिए एक नई शुरुआत की, बल्कि स्थानीय कारीगरों को भी अपने साथ जोड़ा। आज iTokri के जरिए हजारों कारीगरों को न केवल रोजगार मिला है, बल्कि उनकी कला को देश-विदेश में पहचान भी मिल रही है।
कारीगरों का सशक्तिकरणiTokri की खासियत यह है कि यह प्लेटफॉर्म कारीगरों को सिर्फ सामान बेचने का मौका ही नहीं देता, बल्कि उन्हें उनकी कला के लिए उचित कीमत और सम्मान भी दिलाता है। नितिन और जिया का मानना है कि हर कारीगर की मेहनत की अपनी एक कहानी है, और iTokri उस कहानी को दुनिया तक पहुंचाने का जरिया बन रहा है। चाहे वह राजस्थान की बंधेज साड़ियां हों या बनारस की सिल्क, iTokri ने हर कारीगर को एक नया मंच दिया है।
प्रेरणा और भविष्य की योजनाएंनितिन और जिया की कहानी हर उस शख्स के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहता है। उन्होंने न सिर्फ अपने लिए एक सफल बिजनेस बनाया, बल्कि हजारों कारीगरों की जिंदगी में भी बदलाव लाए। भविष्य में वे iTokri को और बड़ा करने की योजना बना रहे हैं, ताकि और ज्यादा कारीगरों को इस मंच से जोड़ा जा सके और भारतीय हस्तकला को वैश्विक स्तर पर और पहचान मिले।
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