पहाड़ों की रानी मसूरी, जो अपनी खूबसूरती और शांति के लिए जानी जाती है, इन दिनों प्रकृति के प्रकोप का सामना कर रही है। बीती देर शाम मूसलाधार बारिश ने मसूरी और आसपास के इलाकों में हाहाकार मचा दिया। मसूरी-देहरादून मार्ग पर जेपी बैंड के पास भारी मलबा बहकर सड़क पर आ गया, जिससे यह महत्वपूर्ण रास्ता पूरी तरह बंद हो गया। सड़क पर मलबे के ढेर ने न केवल यातायात को ठप कर दिया, बल्कि यात्रियों और स्थानीय निवासियों की मुश्किलें भी बढ़ा दीं। घंटों तक सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं, और लोग जाम में फंसकर परेशान रहे। आखिरकार, मसूरी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कड़ी मशक्कत के बाद यातायात को आंशिक रूप से बहाल किया, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जेपी बैंड के पास मलबा आने की समस्या कोई नई नहीं है। हर मानसून में इस क्षेत्र में भूस्खलन और मलबे की वजह से सड़कें बंद हो जाती हैं। निवासियों का आरोप है कि प्रशासन और पीडब्ल्यूडी को इस बार-बार होने वाली समस्या की पूरी जानकारी है, फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सड़क किनारे जमा मलबा निर्माण कार्य के दौरान ठेकेदारों द्वारा लापरवाही से फेंका गया था। बारिश के पानी के साथ यह मलबा ढलान से बहकर सड़क पर फैल गया, जिसने यातायात को पूरी तरह ठप कर दिया। इस लापरवाही ने पीडब्ल्यूडी के मलबा निपटान और मानसून पूर्व तैयारियों की पोल खोल दी।
जाम में फंसे वाहन चालकों और यात्रियों को घंटों तक असुविधा का सामना करना पड़ा। कई यात्रियों ने बताया कि उनके पास न तो खाने-पीने की व्यवस्था थी और न ही इस स्थिति से निपटने की कोई सूचना। मसूरी के पर्यटक स्थल होने के कारण यहां बड़ी संख्या में सैलानी भी आते हैं, जिन्हें इस तरह की घटनाओं से खासी परेशानी होती है। स्थानीय निवासियों और यात्रियों ने प्रशासन से जवाबदेही तय करने और जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, उन्होंने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्थायी समाधान की गुहार लगाई है, जैसे कि मलबा निपटान के लिए बेहतर प्रबंधन, भूस्खलन रोकने के लिए दीवारें, और मानसून से पहले सड़कों की मरम्मत।
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