Haryana News: हरियाणा सरकार ने एक बार फिर शिक्षकों के हित में कदम उठाते हुए हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एचकेआरएन) के तहत कार्यरत 679 प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (टीजीटी) के लिए राहत भरा निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अगुवाई वाली सरकार ने इन शिक्षकों को रिक्त टीजीटी पदों पर समायोजित करने का ऐलान किया है।
इसके साथ ही, इन शिक्षकों का अनुबंध 31 मार्च 2026 तक बढ़ाने की मंजूरी भी दे दी गई है। यह कदम न केवल शिक्षकों के लिए आर्थिक स्थिरता लाएगा, बल्कि हरियाणा के शिक्षा क्षेत्र में भी सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगाता है।
शिक्षकों की मांग पर सरकार का त्वरित जवाब
पिछले कुछ महीनों में, 1 अप्रैल 2025 को अनुबंध समाप्त होने के बाद इन 679 टीजीटी शिक्षकों को नौकरी से हटा दिया गया था। इस फैसले ने शिक्षकों के बीच अनिश्चितता और चिंता पैदा कर दी थी। कई शिक्षकों ने अपनी आवाज उठाई और सरकार से पुनर्वास की मांग की।
उनकी यह गुहार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तक पहुंची, जिन्होंने तुरंत इस मामले को गंभीरता से लिया। मुख्यमंत्री ने न केवल इन शिक्षकों के अनुबंध को बढ़ाने की मंजूरी दी, बल्कि उन्हें रिक्त पदों पर समायोजित करने का भी निर्देश दिया। इस संबंध में सरकार ने आधिकारिक पत्र जारी कर अपने फैसले को स्पष्ट किया है।
अन्य शिक्षकों को भी राहत
टीजीटी शिक्षकों के अलावा, सरकार ने कला शिक्षा सहायक (आर्ट एजुकेशन असिस्टेंट) और शारीरिक शिक्षा सहायक (फिजिकल एजुकेशन असिस्टेंट) के अनुबंध को भी अगले एक वर्ष के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह कदम उन सभी शिक्षकों के लिए राहत लेकर आया है, जो अनुबंध आधारित नौकरियों पर निर्भर हैं। इस फैसले से न केवल शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि स्कूलों में शिक्षण कार्य भी सुचारू रूप से चल सकेगा।
शिक्षा क्षेत्र में स्थिरता की ओर कदम
हरियाणा सरकार का यह निर्णय शिक्षा क्षेत्र में स्थिरता और गुणवत्ता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अनुबंध आधारित शिक्षकों को नियमित करने और उनके अनुबंध को बढ़ाने से न केवल शिक्षकों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि विद्यार्थियों को भी बेहतर शिक्षा का लाभ मिलेगा। यह फैसला सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें वह शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
यह कदम हरियाणा के उन हजारों शिक्षकों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है, जो अनुबंध आधारित नौकरियों में कार्यरत हैं। शिक्षकों का मानना है कि सरकार का यह निर्णय उनके भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेगा। साथ ही, यह अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे शिक्षकों के हितों को प्राथमिकता देकर शिक्षा क्षेत्र को मजबूत किया जा सकता है।
हरियाणा सरकार का यह फैसला न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि पूरे शिक्षा समुदाय के लिए एक सकारात्मक संदेश है। यह कदम निश्चित रूप से शिक्षा क्षेत्र में नए अवसर और स्थिरता लाएगा, जिसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को भी मिलेगा।
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