Next Story
Newszop

(अपडेट) : प्रदेश की बंद पड़ी कपड़ा मिलों के मजदूरों के बकाया का होगा सेटलमेंट, सरकार ने की कमेटी गठित

Send Push

रतलाम, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने रतलाम के सज्जनमिल सहित प्रदेश के अनेक बंद मिलों के श्रमिकों की देनदारियां चुकाने के लिए प्रमुख सचिव उद्योग विभाग की अध्यक्षता में एक समिति बनाने की घोषणा की है, जो बंद मिलों के प्रकरण निपटाने में सरकार की मदद करेगी और इससे मिल मजदूरों की देंनदारियां चुकाने का रास्ता साफ हो जाएगा। इस घोषणा का श्रमिकों ने स्वागत किया है।

रतलाम सज्जनमिल संघर्ष समिति के संयोजक भारतीय मजदूर संघ के नेता मधु पटेल ने भी मुखयमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए उम्मीद जताई है कि मजदूरों को अब उनकी बकाया राशि शीघ्र मिल सकेगी, हालांकि शासन ने इस दिशा में पहल प्रारंभ कर दी है। रतलाम के केबिनेट मंत्री चेतन्य काश्यप ने भी सज्जनमिल के मजदूरों का भुगतान शीघ्र हो इस दिशा में चिंता कर श्रमिक नेताओं को आश्वासन दिया है। श्री पटेल ने इस प्रतिनिधि को बताया कि शासन द्वारा समिति गठित किए जाने से श्रमिकों में उममीद जगी है कि उनकी राशि का भुगतान शीघ्र हो सकेगा।

उन्होंने समिति के अध्यक्ष उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव से भी आग्रह किया है कि वे इस दिशा में त्वरित कदम उठाकर श्रमिकों का भुगतान कराए, कयोंकि कई मजदूर बेरोजगारी का शिकार होकर इस दुनिया को छोड चुके है। उन मजदूरों का परिवार बदहाली जीवन जी रहा है। श्रमिक नेता ने बताया कि मिल के 3674 श्रमिकों का कलेम संघर्ष समिति ने परिसमापक के समक्ष प्रस्तुत किया है। उसी आधार पर उच्च न्यायालय ने कलेम की जांच के लिए रिटायर्ड जज की कमेटी बनाई है। जिसके अध्यक्ष सेवानिवृत जज श्री सेंगर है। उनका भी प्रयास है कि उनका भुगतान भी शीघ्र हो। यह राशि 1 करोड 93 लाख से अधिक है।

सज्जनमिल की चिमनी से धुआं 1986 में बंद हुआ ज्ञातव्य है कि सज्जनमिल की चिमनी में धुआं 10 फरवरी 1986 में बंद हुआ और मिल की वैधानिक तालाबंदी 2022 में परिसमापक बैठने के बाद हुई। यह ज्ञात रहे कि सज्जनमिल सारे भारत के काटन मिलों में प्रमुख स्थान रखता था जिसका कपडा विदेश तक भी निर्यात किया जाता था। लेकिन अचानक मंदी के बाद मिल लडखडा गया और शने-शने बंद हो गया।

रतलाम की जीवनरेखा माने जाने वाली इस मिल में हजारों मजदूर काम करते थे। अचानक मिल बंद होने से श्रमिक बेरोजगार हो गए और जिन्हें अन्य स्थानों पर रोजगार नहीं मिला, कई मिल श्रमिक मौत का शिकार हो गए और आज भी कई श्रमिक इस इंतजार में है कि उनकी बकाया राशि कब मिलेगी।

सज्जनमिल के पास ३०० बीघा से अधिक जमीन थी यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सज्जमिल के पास 300 बीघा से अधिक जमीन थी पर अब केवल मिल परिसर की ५२ बीघा करीब बची है और कई जंग लगी मशीनें पडी है, जबकि स्पेनिंग विभाग की मशीनें अच्छी स्थिति में मिल में है यदि इसका सही उपयोग हो तो उत्पादन में काम आ सकती है।

इसी सज्जनमिल की जमीन में हनुमान ताल भी रहा है। इसी जमीन पर कई कालोनियां बस गई है और कई नर्सिंग होम खुल गए है और कई भूमाफियाओं ने खाली पडी जमीन पर अफसरों की सांठगांठ से कबजा कर लिया है और मिल परिसर और सज्जनमिल के अधिकार क्षेत्र की जमीनों पर अतिक्रमण कर मकान बना लिए है जिसकी शिकायत भी सज्जनमिल श्रमिक संघर्ष समिति ने उद्योग विभाग, कलेकटर और संबंधित विभाग को भी शिकायत की और पुलिस विभाग को भी शिकायत की, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अतिक्रमण हुआ, शिकायत की गई लेकिन जांच नही हुई अफसोस इस बात का है कि समिति ने भी चंदन के वृक्ष सहित अन्य वृक्ष के काटे जाने की भी शिकायत भी की, लेकिन उसकी जांच भी नहीं की गई। सज्जनमिल और इसकी जमीनों के मामले को लेकर काफी कुछ लिखा गया और मिल परिसर में बने गोदाम और रिक्त पडी जमीनों को किराए से दे दिया गया वह किसके कहने पर दिया और किसके आदेश से दिया यह भी व्यापक जांच का विषय है। यदि इसकी उच्चस्तरीय जांच होगी तो कई लोगों की कलई खुल जाएगी।

हिन्‍दुस्‍थान समाचार जोशी

—————

(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा

Loving Newspoint? Download the app now