शिमला, 6 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को रेड अलर्ट के बीच मंडी और चंबा जिलों में बादल फटने की घटनाएं सामने आईं, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। वहीं मौसम विभाग ने राज्य के 10 जिलों में अगले 24 घंटों के लिए फ्लैश फ्लड की चेतावनी जारी की है। लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़कर सभी जिलों ऊना, चंबा, कुल्लू, कांगड़ा, बिलासपुर, हमीरपुर, सोलन, शिमला, सिरमौर और मंडी में फ्लैश फ्लड का अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विभाग ने 7 जुलाई को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन व सिरमौर में भारी वर्षा का ऑरेंज अलर्ट और चंबा व कुल्लू में येलो अलर्ट जारी किया है। वहीं 8 जुलाई को भी ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा व सिरमौर में ऑरेंज और शिमला-बिलासपुर में येलो अलर्ट रहेगा। 9 और 10 जुलाई को अधिकांश जिलों में येलो अलर्ट जारी रहेगा। 11 व 12 जुलाई को भी बारिश की आशंका जताई गई है, लेकिन किसी तरह का अलर्ट व चेतावनी नहीं दी गई है। बीते 24 घण्टों के दौरान हमीरपुर जिला के अघ्घर में सर्वाधिक 110 मिमी वर्षा हुई। कांगड़ा जिला के नगरोटा सुर्रियां में 100, अम्ब, ऊना व संधोल में 70-70, गुलेर व धर्मशाला में 60-60, कटुआला, घमरूर, बरठीं, सुजानपुर व भराड़ी में 40-40, नादौन, काहू, मंडी व नैनादेवी में 20-20 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है।
चंबा जिले के चुराह उपमंडल में बघेईगढ़ नाले में रविवार सुबह बादल फटने से आई भीषण बाढ़ ने नकरोड़-चांजू सड़क पर बना पुल बहा दिया, जिससे चार ग्राम पंचायतों चरड़ा, चांजू, देहरा और बघेईगढ़ का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है। वहीं, मंडी जिले के पधर उपमंडल की टिक्कन पंचायत में देर रात बादल फटने से दो पुलियां बह गईं। गनीमत रही कि दोनों स्थानों पर कोई जानमाल की हानि नहीं हुई। प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं और नुकसान का आकलन कर रही हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार बारिश के चलते प्रदेश में रविवार शाम तक 243 सड़कें, 241 बिजली ट्रांसफार्मर और 278 पेयजल योजनाएं बंद पड़ी हैं। मंडी जिला सर्वाधिक प्रभावित है, जहां अकेले 183 सड़कें, 182 ट्रांसफार्मर और 278 जल योजनाएं प्रभावित हैं। जिला में भारी मलबा और भूस्खलन के कारण कई इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार 20 जून से अब तक राज्य में प्राकृतिक आपदाओं से 78 लोगों की मौत हो चुकी है और 121 घायल हुए हैं, जबकि 37 अभी भी लापता हैं। सबसे अधिक 20 मौतें मंडी जिले में हुई हैं। 30 जून की रात मंडी में बादल फटने की 12 घटनाएं हुई थीं, जिनमें 14 लोगों की मौत और 31 लोग लापता हो गए थे। कांगड़ा में अब तक 13 लोगों की जान गई है।
प्रदेश में अब तक 163 मकान पूरी तरह और 178 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। अकेले मंडी जिला में 142 मकान पूरी तरह धराशायी हो गए हैं। इसके अलावा 346 गौशालाएं, 26 दुकानें, लगभग 10,000 पोल्ट्री पक्षी और 253 मवेशी भी आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं। लगातार बारिश से सड़कों पर फिसलन बढ़ने से अब तक 28 लोग सड़क हादसों में जान गंवा चुके हैं। अब तक राज्य को 572.44 करोड़ से अधिक की जन-धन हानि हो चुकी है। इसमें सबसे अधिक नुकसान जलशक्ति विभाग को 305 करोड़ और लोक निर्माण विभाग को 259 करोड़ का नुकसान हुआ है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू घोषणा कर चुके हैं कि आपदा प्रभावित लोग कहीं भी किराए के मकान में रह सकते हैं तथा सरकार उन्हें हर माह 5,000 रुपये प्रति माह किराया देगी। उन्होंने कहा कि सरकार राहत व पुनर्वास कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है और प्रभावितों को किसी तरह की कमी नहीं आने दी जाएगी।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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