नई दिल्ली, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर पुरानी दिल्ली स्थित लाल कुआं का पतंग बाजार इन दिनों अपने पूरे शबाब पर है। खरीदारों की बड़ी भीड़ बाजार में पहुंच रही है, जिनमें न केवल दिल्ली के विभिन्न इलाकों से आने वाले पतंग के शौकीन शामिल हैं बल्कि आसपास के दूसरे राज्यों से आने वाले पतंगों के थोक विक्रेताओं की भी खासी तादाद होती है।
गौरतलब है कि 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली में पतंग उड़ाने की परंपरा काफी पुरानी है। दिल्ली वाले स्वतंत्रता दिवस का जश्न दिन में पतंग उड़ा कर और शाम में आतिशबाजी करके मनाते आ रहे हैं। 15 अगस्त पर इसी पतंगबाजी के रिवाज की वजह से
हर बरस
लाल कुआं का पतंग बाजार अस्थाई रूप से सज जाता है। यहां पर पतंगबाजी के लिए पतंग के साथ-साथ मांझा और चरखी की भी बड़ी रेंज उपलब्ध होती है। यही नहीं, इस बाजार में पतंग के अलावा तिरंगा झंडा, तिरंगा कैप, तिरंगी चूड़ियां, हेयर बैंड और क्लिप के साथ महिलाओं और लड़कियों के साज सज्जा के सामान भी मिलते हैं। 15 अगस्त के दिन लोग तिरंगा रूप धारण कर पतंगे उड़ते हुए देखे जा सकते हैं।
खास बात यह है कि
15 अगस्त के लिए पतंगें बनाने का सिलसिला 6 महीना पहले से ही शुरू हो जाता है और थोक में यहां पर पतंग की बिक्री जुलाई से ही शुरू हो जाती है। लाल कुंआ बाजार से आसपास के राज्यों में पतंगे थोक में ले जाई जाती हैं और वहां पर खुदरा में बेची जाती हैं। यहां पर पतंग की सभी किस्में मिलती हैं।
पतंग के एक व्यापारी हाजी नासिर ने बताया कि उनका यह कारोबार काफी पुराना है। उनके यहां कई पुश्तों से यह कारोबार होता आ रहा है। अलबत्ता 15 अगस्त के दौरान पतंग का कारोबार अपने चरम पर होता है। उनका कहना है कि इस दौरान उन्हें पतंगे और उससे जुड़े सामान को बेच करके अच्छा मुनाफा होता है। उन्होंने कहा कि यह कारोबार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। लोगों में 15 अगस्त का जश्न मनाने और पतंग उड़ाने को लेकर के दिलचस्पी काफी बढ़ती जा रही है। उन्होंने बताया कि लगभग 6 महीना पहले से ही वह इस कारोबार के सिलसिले में सामान आदि जुटाने का काम शुरू कर देते हैं और पतंग के निर्माण के लिए कारीगरों को बाकायदा बैठा देते हैं। उन्होंने बताया कि मध्यम वर्ग में पतंग की ज्यादा मांग होती है। बहुत बड़ी और छोटी पतंगे कम बिकती हैं।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता वसीम सिद्दीकी ने बताया कि वह अपने बचपन से ही यहां पर पतंग के बाजार को देखते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि बड़ी तादाद में यहां पर पतंग का कारोबार होता है। वह और यहां रहने वाले सभी लोग यहां से पतंगें खरीद कर 15 अगस्त के दिन अपनी अपनी छतों पर उसे दिन भर उड़ाने में व्यस्त रहते हैं।
क्षेत्र के एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद नफीस ने बताया कि यहां पर 15 अगस्त से पहले ही जश्न जैसा माहौल रहता है। बड़ी तादाद में दिल्ली और आसपास के लोग यहां पर पतंगे खरीदने के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि इस कारोबार में जुड़े हुए लोग काफी मेहनत करते हैं तब उन्हें 15 अगस्त के आसपास इसका फल मिलता है। उन्होंने बताया कि स्थानीय पुलिस प्रशासन भी इन्हें पूरा सहयोग देता है। प्रतिबंधित चाइनीज मांझा की बिक्री को लेकर के यहां पर काफी सख्ती बरती जाती है और दुकानदारों के जरिए भी पुलिस प्रशासन को पूरा सहयोग दिया जाता है ।
एक अन्य कारोबारी हबीब ने बताया कि वह यहां पर पतंगे खरीद कर बेचने का काम करते हैं। यहां के कारखाने और थोक व्यापारियों से पतंगे खरीदने और बेचने में भी उन्हें काफी मुनाफा होता है । उन्होंने बताया कि यहां पर बहुत से कारोबारी हैं जो इस तरह का काम करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस कारोबार में नुकसान की कोई संभावना नहीं है। पतंग का एक रेट तय होता है जिसे ग्राहकों से थोड़ा बहुत मोलभाव करके बेच दिया जाता है और अपना मुनाफा भी मिल जाता है।
विशेष बात यह है कि बाजार में जानलेवा चाइनीज मांझे को लेकर पुलिस के जरिए काफी मुस्तैदी बरती जा रही है। दुकानदारों और खरीदारों से चाइनीज मांझे के इस्तेमाल और बिक्री करने पर दिल्ली पुलिस के जरिए सख्त निर्देश दिए जा रहे हैं। ऐसा करने पर कड़ी सजा के प्रावधान की भी बातें यहां पर लाउडस्पीकर के जरिए अनाउंसमेंट करके और पोस्टर, बैनर के जरिए दी जा रही हैं।
(Udaipur Kiran) / मोहम्मद ओवैस
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(Udaipur Kiran) / मोहम्मद शहजाद
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