वाराणसी, 10 नवंबर (Udaipur Kiran) . Uttar Pradesh के वाराणसी में श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी के लंबित केस में सील वजूखाने के ताले पर लगे पुराने जीर्ण—शीर्ण कपड़े को बदलने की अर्जी पर Monday को जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई. अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 20 नवम्बर तय की है.
वादी हिन्दू पक्ष के एक अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि पूजा स्थल उपबंध विधेयक 1991 के बिंदु पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अधीनस्थ, निचली अदालतों को 12-12-24 को आदेश देते हुए कहा था कि जब तक इस बिंदु पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है तब तक निचली अदालत में कोई भी नया मुकदमा एडमिट नहीं करेंगे और न ही ऐसा कोई भी आदेश नहीं देगी जिससे सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई प्रभावित हो. बताते चले पिछली सुनवाई में सभी पक्षों को सुनने के बाद जिला जज संजीव शुक्ला की अदालत ने आदेश के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की थी. तब विशेष शासकीय अधिवक्ता ने कहा था कि ताले में लगे जर्जर कपड़े ही केवल बदले जाएंगे. विशेष शासकीय अधिवक्ता ने अर्जी पर नॉटप्रेस से इनकार कर दिया था.
उन्होंने कहा था कि तालों के जर्जर कपड़े ही बदलने हैं. इसलिए किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. इस पर प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने विरोध जताते हुए कहा कि वुजूखाना को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील किया गया है. पिछली तारीख पर कहा गया कि उक्त अर्जी वापस लेकर आपसी सहमति से जर्जर कपड़े को बदला जाएगा. इसी बीच ज्ञानवापी से संबंधित अन्य पत्रावली के वादी के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया. कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त शिवलिंग को सुरक्षित और संरक्षित रखने के आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने जिलाधिकारी वाराणसी को इस मामले का नियंत्रक बनाया है. उन्हें जरूरी बदलाव या सुधार के लिए नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है. कार्रवाई अदालत और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए की जाएगी, ताकि किसी भी पक्ष को आपत्ति न रहे.
—2022 में सील हुआ था वजूखाना
वर्ष 2022 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने वाले हिस्से को सील किया गया था. यह वही स्थान है, जहां एएसआई सर्वेक्षण के दौरान शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था. उस समय ज्ञानवापी परिसर में कुल नौ ताले लगाए गए थे और क्षेत्र को अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा में रखा गया था. लगभग तीन वर्षों बाद जब कपड़ा पुराना होकर खराब हो गया तो अदालत से इसे बदलने की अनुमति मांगी गई. ताकि परिसर की सुरक्षा और स्थिति बरकरार रखी जा सके. कहा गया कि वजुखाने के मुख्य द्वार पर लगा कपड़ा बारिश के पानी और धूप की वजह से एकदम जीर्णशीर्ण हो चुका था. जिला प्रशासन की तरफ से जिला जज संजीव शुक्ला की अदालत में इसे बदलने के लिए अर्जी दी गईं .
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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