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विंध्यधाम में उमड़ा आस्था का सैलाब, देवी दरबार में गूंजे श्रद्धा के जयघोष

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मुंडन-जनेऊ के पावन संयोग पर भक्तों का उमड़ा जनसैलाब

त्रिकोण परिक्रमा मार्ग पर दिनभर रही रौनक

मीरजापुर, 9 मई . वैशाख शुक्ल द्वादशी की पावन तिथि पर शुक्रवार को विंध्यधाम श्रद्धा और भक्ति के प्रकाश से आलोकित हो उठा. मां विंध्यवासिनी के दिव्य दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े. गंगा स्नान के बाद जब भक्त देवी के दरबार में पहुंचे, तो भक्ति में सराबोर होकर जयकारों से वातावरण गुंजायमान कर दिया.

भोर में मंगला आरती के साथ ही भक्तिभाव की अविरल धारा बह निकली. जैसे ही श्रृंगार पूजन के बाद मां विंध्यवासिनी के पट खुले, पूरा मंदिर परिसर जय मां विंध्यवासिनी के नारों से गूंज उठा. दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की आंखों में आस्था की चमक और मन में सुख-समृद्धि की कामनाएं स्पष्ट दिखाई दीं.

त्रिकोण परिक्रमा मार्ग पर भी मां अष्टभुजी और मां काली के दरबारों में पूजन-अर्चन का सिलसिला अनवरत चलता रहा. गुलाब, गुड़हल और कमल के फूलों से सजे देवी स्वरूपों ने भक्तों को भाव-विभोर कर दिया. कुछ साधक तप, जाप और अनुष्ठान में लीन दिखे, तो कई परिवार मुंडन और जनेऊ संस्कारों में व्यस्त रहे.

मंदिर की छत से लेकर गंगा घाटों तक भक्ति की छटा देखते ही बनती थी. गंगा में डुबकी लगाने के बाद जब श्रद्धालु देवी के चरणों में शीश नवाने पहुंचे, तो हर चेहरा श्रद्धा से दमक रहा था.

प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं की सुविधा में कोई कसर नहीं छोड़ी. सुरक्षा से लेकर पेयजल, चिकित्सा, ट्रैफिक और शौचालय तक की व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रही. श्री विंध्य पंडा समाज के सहयोग से पूरे आयोजन में व्यवस्था अनुशासित और भक्तिमय बनी रही.

दर्शन के उपरांत श्रद्धालु विंध्याचल की गलियों में घूमते हुए प्रसाद, पूजन सामग्री और खिलौनों की खरीदारी करते नज़र आए — मानो भक्ति के इस उत्सव को हर कोई अपनी स्मृतियों में संजो लेना चाहता हो.

/ गिरजा शंकर मिश्रा

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