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'क्लस्टर आधारित उत्कृष्ट विद्यालय योजना' को लेकर शिक्षा जगत में असंतोष

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नैनीताल, 22 जून (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड में केंद्र सरकार की ‘क्लस्टर आधारित उत्कृष्ट विद्यालय योजना’ को लेकर शिक्षा जगत में असंतोष बढ़ता जा रहा है। शिक्षा विभाग ने इस योजना के माध्यम से एक ही झटके में राज्य के हजारों राजकीय विद्यालयों को व्यावहारिक रूप से समाप्त किए जाने की आशंका गहराने लगी है।

राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में अवस्थित दूरस्थ विद्यालयों को इस योजना के अंतर्गत नजदीकी विद्यालयों में समायोजित किया जाना प्रस्तावित है, जिससे ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए विद्यालय तक पहुंचना और शिक्षा प्राप्त करना कठिन हो जाएगा।

शिक्षक संगठनों ने इसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम एवं उच्च न्यायालय दके पूर्व में पारित आदेशों की अनदेखी बताते हुए इस योजना को लागू करने की प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताई है। उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय तदर्थ समिति सदस्य मनोज तिवारी ने राज्य सरकार, शिक्षा सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन भेजकर कहा है कि योजना को लागू करने से पहले इसके सैद्धांतिक और व्यवहारिक पहलुओं का व्यापक अध्ययन आवश्यक है। उन्होंने इसे नौनिहालों और उनके अभिभावकों के हितों के विरुद्ध बताया है। तिवारी के अनुसार, यह योजना शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का स्पष्ट उल्लंघन है, साथ ही उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में जनहित याचिका पर दिए गए आदेशों की अवमानना भी है। उन्होंने योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग की है।

इधर, अन्य शिक्षक संगठन जैसे राजकीय शिक्षक संघ भी इस प्रस्तावित योजना के विरुद्ध लामबंद हो चुके हैं। उनका कहना है कि इससे पहले भी अटल उत्कृष्ट, आदर्श विद्यालय, पीएम श्री विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय जैसे नामों से कई योजनाएं लागू की गईं, जिनका स्थायी ढांचा अभी तक स्थापित नहीं हो पाया। ऐसे में बार-बार नए प्रयोग करने के बजाय शिक्षा व्यवस्था के लिए एक दीर्घकालिक और स्थायी नीति की आवश्यकता है। शिक्षकों का कहना है कि यदि सरकार ने इस योजना पर पुनर्विचार नहीं किया तो राज्यभर में शिक्षक संगठनों द्वारा आंदोलन किया जाएगा।

(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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