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पारिजात की कवि गोष्ठी में बही काव्य की रसधारा

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हरिद्वार, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) । साहित्यिक संस्था पारिजात साहित्यिक मंच की कवि गोष्ठी में नगर के तमाम कवियों व गीतकारों ने विभिन्न रसों और विधाओं से परिपूर्ण काव्यपाठ करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। गोष्ठी का आयोजन गंगा गीतकार रमेश रमन की अध्यक्षता व युवा कवि दिव्यांश दुश्यन्त के संचालन में संस्था सचिव व गीतकार भूदत्त शर्मा के सौजन्य से शिवालिक नगर में किया गया।

वाग्देवी माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन के बाद गोष्ठी का शुभारम्भ भूदत्त शर्मा की वाणी वंदना से हुआ। इसके उपरान्त वरिष्ठ कवि साधुराम पल्लव ने पाँव ठहरे हैं मन सफर में है, लोग सोचे हैं मैं तो घर में हूँ के साथ जन मानसिकता उजागर की, तो चले जब नाव कागज की मचल जाता है मन यूँ ही कह कर बचपन याद किया।

गीतकार अरुण कुमार पाठक ने अपना प्रेरक गीत सुनाकर लोग बिछुड़े मगर वो मिले भी तो हैं, दीप बुझने से पहले जले भी तो हैं, ये ही उसकी करामात है ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की तो, कवियित्री कंचन प्रभा गौतम ने गीत मैं फूल सी खिल जाती हूँ तुझे देखकर, अगर मुस्कुराई भी तो तुझे देखकर के माध्यम से ईश-प्रेम उजागर किया। डा. अशोक गिरि ने तीर तरकश में ही अच्छे लगते हैं, सुमन उपवन में ही अच्छे लगते हैं से सदाचार की सीख दी। कवि अरविन्द दुबे जो कुदरत ने हमको दिया वह संभालो, दुआएँ कमा लो दुआएँ कमा लो की सीख दी, हरि के द्वारा हरिद्वार में प्रेम का शंकर रहता है कह कर आत्म परिचय परोसा।

रमेश रमन ने कितने दिन और लगेंगे मित्र तुम्हें समझाने में, गीतकार भूदत्त शर्मा, शशिरंजन समदर्शी, सोनेश्वर कुमार, राजकुमारी राजेश्वरी,

दिव्यांश ,कवियित्री वृंदा वाणी,लखनऊ से पधारे कन्हैयालाल झींगरन तथा रवीना राज ने अपनी रचनायें प्रस्तुत कीं।

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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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