कोलकाता, 08 जुलाई (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल भाजपा के नए अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने पदभार संभालने के बाद तृणमूल कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने मजहबी कट्टरपंथियों के आगे आत्मसमर्पण कर राज्य में मौन जनसांख्यिकीय अतिक्रमण की इजाजत दे दी है। उन्होंने चेतावनी दी कि 2026 का विधानसभा चुनाव बंगाल और बंगाली हिंदुओं के अस्तित्व की लड़ाई होगी और भाजपा किसी कीमत पर राज्य को ‘पश्चिम बांग्लादेश’ या ‘इस्लामिक रिपब्लिक’ बनने नहीं देगी।
भट्टाचार्य ने मंगलवार को कहा कि यह केवल राजनीतिक संघर्ष नहीं है, बल्कि पहचान, अस्तित्व और संस्कृति की रक्षा की लड़ाई है। बंगाली हिंदू आज अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं और केवल भाजपा ही उनके पक्ष में खड़ी है।
राज्यसभा सांसद और बंगाली ‘भद्रलोक’ के रूप में पहचाने जाने वाले शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि तृणमूल ने वोट बैंक की राजनीति के लिए कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक दिए हैं। 1980 के दशक से ही बंगाल में धीरे-धीरे हो रहे जनसांख्यिकीय परिवर्तन को लेकर भाजपा आगाह करती रही है। उन्होंने दावा किया कि अगर अभी नहीं रुका गया, तो बंगाली हिंदुओं की हालत भी बांग्लादेश के हिंदुओं जैसी हो जाएगी।
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि पार्टी मुस्लिम विरोधी नहीं, बल्कि कट्टरपंथियों और पत्थरबाजों के खिलाफ है। उन्होंने अपील की कि जो मुसलमान राष्ट्रवादी और उदार सोच रखते हैं, वे भाजपा के साथ आएं और धार्मिक कट्टरता तथा तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ खड़े हों।
उन्होंने सवाल किया कि अल्पसंख्यकों को तृणमूल से अब तक क्या मिला? उन्होंने दावा किया कि हालिया वर्षों में राजनीतिक हिंसा के शिकार लगभग 90 प्रतिशत लोग मुस्लिम समुदाय से हैं और तृणमूल ने उन्हें सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है।
भट्टाचार्य ने तृणमूल पर बंगाली संस्कृति के नाम पर भाजपा को ‘बाहरी’ ठहराने की रणनीति पर पलटवार करते हुए कहा कि बंगाली संस्कृति पर किसी का एकाधिकार नहीं है। भाजपा हर उस बंगाली के साथ है जो विकास और गरिमा की आकांक्षा रखता है। हमें तृणमूल से संस्कृति या धर्मनिरपेक्षता पर उपदेश लेने की जरूरत नहीं।
उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक लाभ के लिए बंगाल की बहुलतावादी विरासत से समझौता कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कभी वह मां काली की बात करती थीं, अब भगवान जगन्नाथ की बात कर रही हैं, लेकिन नीति में तुष्टिकरण ही है।
61 वर्षीय भट्टाचार्य ने स्पष्ट किया कि पार्टी में ‘आक्रामक बनाम नरम हिंदुत्व’ जैसा कोई मतभेद नहीं है और बंगाल व दिल्ली की लाइन में कोई फर्क नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी समावेशी राष्ट्रवाद में विश्वास रखती है और भय, भ्रष्टाचार और हिंसा से मुक्त बंगाल का निर्माण करना चाहती है।
उन्होंने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को स्वाभाविक नेता बताते हुए कहा कि पार्टी लाइन शीर्ष नेतृत्व द्वारा तय की जाएगी और पुराने व नए नेताओं के बीच कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि पुरानी पीढ़ी ने जब हमारे पास कुछ नहीं था, तब नींव रखी थी। नई पीढ़ी को उस संघर्ष का सम्मान करना चाहिए, और पुराने नेताओं को भी समझना होगा कि विस्तार के लिए नए लोगों को जोड़ना जरूरी है।
भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा केवल पहचान की राजनीति नहीं, बल्कि आर्थिक और औद्योगिक पुनरुत्थान के एजेंडे के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने तृणमूल सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बंगाल की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है, उद्योग खत्म हो चुके हैं और नौजवान रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं। हम इस गिरावट को पलटेंगे और बंगाल को दोबारा आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि पार्टी अगले दस महीनों में जमीनी स्तर पर संगठन को फिर से मजबूत करेगी, खासकर उन जिलों में जहां अब तक पूरी तरह पकड़ नहीं बन पाई है। ‘नो वोट टू बीजेपी’ अभियान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि यह तृणमूल को फायदा पहुंचाने की साजिश है, असली मुकाबला सिर्फ भाजपा और तृणमूल के बीच है, बाकी सब शोर है।
शमिक भट्टाचार्य की अगुवाई में भाजपा पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों में पिछड़ने के बाद वापसी की रणनीति पर काम कर रही है। उन्होंने अंत में कहा कि यह सिर्फ चुनाव जीतने की बात नहीं है, यह बंगाल को बचाने की लड़ाई है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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