यमुनानगर, 28 जून (Udaipur Kiran) । पहाड़ों में हो रही बारिश के कारण हथिनी कुंड बैराज पर 146 करोड़ रुपये की लागत चल रहे डायाफ्राम वॉल का निर्माण अधर में लटक गया है। मानसून से पहले हथिनीकुंड बैराज पर एक लाख क्यूसेक पानी पहुंच गया तो अधूरा कार्य पूरा होने में दिक्कत हो जाएगी।
सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता आर सी मित्तल ने शनिवार को बताया कि इस बार जरूर मानसून थोड़ा पहले आ गया है और पहाड़ों में होने वाली बारिश से जहां मिट्टी का कटाव हो गया है वहां पर रेत के बैग व पत्थर लगा दिए गए है। उन्होंने कहा कि अब एक लाख क्यूसेक तक पानी आने के बाद बाढ़ जैसी स्थिति बनती है और उसके बाद ही बैराज के सभी गेट खोले जाते है। लेकिन अभी ऐसी स्थिति पैदा नहीं हुई है।
वहीं सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता विजय कुमार गर्ग ने बताया कि डायाफ्राम वॉल को शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है। जिसकी लंबाई 246 मीटर, चौड़ाई 2 मीटर और गहराई 21 मीटर है। बरसात के मौसम में आने वाले पानी की वजह से यमुना नदी का तल कटाव के चलते गहरा हो गया है। इससे हथिनीकुंड बैराज की नींव को कभी भी नुकसान हो सकता है। बैराज के खतरे के मद्देनजर पुल की सुरक्षा को लेकर करोड़ों की लागत से डायाफ्राम वॉल व अन्य कार्य करवाए जा रहे हैं।
हथिनीकुंड बैराज चार राज्यों हरियाणा उत्तर प्रदेश , दिल्ली और राजस्थान के जल बंटवारे को लेकर बना एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है, जो जिला सहारनपुर और यमुनानगर की सीमा पर स्थित है। दिल्ली की लगभग 60 प्रतिशत जल आपूर्ति हथिनीकुंड बैराज से ही होती है। यमुना नदी के मुख्य प्रवाह के अलावा हथिनीकुंड से दो नहरें निकलती हैं, जिसमें पश्चिमी यमुना नहर और पूर्वी यमुना नहर है। पश्चिमी नहर से हरियाणा में यमुनानगर, करनाल और पानीपत के क्षेत्रों को पानी मिलता है, जबकि पूर्वी यमुना नहर से उत्तर प्रदेश में सहारनपुर, शामली और बागपत आदि को पानी जाता है।
जब तक हथिनीकुंड बैराज में बरसात का पानी नहीं आ जाता तब तक कार्य चलता रहेगा। पानी आने पर कार्य बंद कर दिया जाएगा। बाकी का कार्य है बरसात का मौसम खत्म होने के बाद शुरू किया जाएगा। जिसमें छह महीने का समय ओर लग सकता है।
(Udaipur Kiran) / अवतार सिंह चुग
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