–वाचिकता शिशिर की कविताओं की शक्ति है : प्रो बद्री नारायण–शिशिर की कविताओं में प्रेम पुष्पित व पल्लवित : प्रताप सोमवंशी प्रयागराज, 20 जुलाई (Udaipur Kiran) । कविताओं में प्रेम की अभिव्यक्ति विशिष्ट तरीके से करने वाले शिशिर सोमवंशी की कविताओं के संग्रह ’शायद तुमने हो पहचाना’ का लोकार्पण रविवार को बैकस्टेज की ओर से आयोजित समारोह में हुआ। शहर के कवियों, संस्कृति कर्मियों, रंगकर्मियों, साहित्यकारों की उपस्थिति में यह आयोजन सिविल लाइन स्थित एक होटल में हुआ।
इस अवसर पर प्रख्यात कवि एवं चिंतक प्रो. बद्री नारायण ने कहा कि शिशिर सोमवंशी की कविताओं की वाचिकता इसकी शक्ति है। श्रवण और वाचन कविता के और तरह के अर्थ खोलते हैं। कविता बहु अर्थ देने वाली विधा है। यह संग्रह भी यही करता है। प्रो. बद्रीनारायण ने आगे कहा कि यह समय शायद तुमने हो पहचाना का समय है। पहचान की समाप्ति ऐसे शून्य होती है, जहां बड़ी कविता बनती है। कविता लिखना कठिन काम है। कविता किसी को भी बेहतर इंसान बनाती है। प्रेम ही कविता का मूल भाव है।
प्रसिद्ध शायर एवं पत्रकार प्रताप सोमवंशी ने कहा कि काव्य तत्व और भाव कविता के जरूरी तत्व होते हैं। शिशिर की कविताओं में यह खूब है। इन कविताओं में प्रेम पुष्पित व पल्लवित है। यह एक ऐसी आग है, जिसमें जलकर प्रकृति के फूल खिलते हैं। प्रताप सोमवंशी ने आगे कहा कि इस संग्रह की रचनाएं पूर्णता की रचनाएं हैं। यह गजल, नवगीत, नज्म आदि के फॉर्मेट में है।
सुपरिचित कवि सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज (लखनऊ) ने कहा कि प्रेम की लय तक पहुंचने का माध्यम कविता है। इसी लय को पाने की कोशिश बनी रहती है। लय पा लेना कठिन है, लेकिन शिशिर सोमवंशी प्रेम और प्रकृति की लय को हासिल करते हैं। सत्यार्थ अनिरुद्ध ने कहा कि शिशिर की कविताएं स्मृतियों में जाती हैं और इनमें रिकनेक्ट करने का प्रयास है। इनमें चाहने की तीव्रता है, व्यग्रता है। कविता कुछ दे सकती है तो वह है प्रेम की लय। कवि ने प्रेम के लय हो पाने का विनम्र प्रयास किया है।
जाने-माने कवि रजनीश त्रिवेदी (कानपुर) ने कहा शिशिर प्रेम रस के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनकी कविताओं में भाव की अभिव्यक्ति प्रबल है। शिशिर की कविताओं का आयाम विस्तृत है। वह वैज्ञानिक हैं, इसीलिए प्रकृति उनकी कविताओं में नायिका के रूप में है जो इनके कलम से खेलती रहती है।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे लोकप्रिय कवि गीतकार विनम्र सेन सिंह ने कहा कि इस दौर में हर व्यक्ति आत्म केंद्रित है। आत्म प्रशंसा के भाव से आज लोग जूझ रहे हैं। ऐसे में शिशिर सोमवंशी की कविता प्रेम करने का संदेश देती है और कवि समाज को समग्रता में देख रहा है। इस संग्रह को समग्रता की दृष्टि से देखना चाहिए। शिशिर सोमवंशी ने कुछ कविताएं, तुमको रखना मन के अंदर…, बेशर्म हंसी के परदे में…, अनगढ़ बिखरे छंद हैं मेरे… आदि सुनाईं और उन्होंने बताया कि इस संग्रह में शामिल कविताएं 1990 के बाद की लिखी हैं।
स्वागत बैकस्टेज के निदेशक प्रवीण शेखर ने किया। अतिथियों का सम्मान डॉ. अनीता तोमर, प्रवीण शेखर, शिशिर सोमवंशी ने अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न भेंट करके किया। इस अवसर पर हरीश चंद्र पांडे, तेज बहादुर सिंह, अमितेश कुमार, प्रेम शंकर सिंह, दीना नाथ मौर्य, लक्ष्मण गुप्ता, हितेश कुमार सिंह, यासमीन सुल्ताना नकवी, आनंद कक्कड़, अरशद फाखरी, आलोक सिंह, सतीश तिवारी, टोनी सिंह, अजीत बहादुर, अरिंदम घोष, संजय बनौधा, नीरज श्रीवास्तव, अनुभव श्रीवास्तव, अनिल कुमार मिश्र, अखिलेश मिश्र, शिवा शंकर पाण्डेय, नज़र इलाहाबादी आदि मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
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