नई दिल्ली, 01 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और भारतीय वायु सेना को 20 खाली पड़ी फ्लाइंग ब्रांच की जगहों में से एक पर एक महिला को नियुक्त करने का आदेश दिया है। जस्टिस सी हरिशंकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक महिला याचिकाकर्ता की याचिका पर ये आदेश जारी किया।
महिला याचिकाकर्ता का कहना था कि वो महिलाओं के मेरिट लिस्ट में सातवें स्थान पर आयी थी। कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि कुल 90 रिक्त पदों में से 70 पर पुरुष अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी गई और केवल दो महिलाओं की ही भर्ती की गई। हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर मौका मिलना चाहिए। महिला अभ्यर्थी वरिष्ठता समेत दूसरे लाभों में समानता के हकदार हैं। कोर्ट ने कहा कि 92 में से महिलाओं को उनके लिए आरक्षित दो पदों पर नियुक्त कर दिया गया, लेकिन बचे 90 में से केवल 70 पुरुषों की ही नियुक्ति हुई है और 20 पदों पर कोई नियुक्ति नहीं की गई। तब बचे पदों पर सफल महिला अभ्यर्थी की नियुक्ति क्यों नहीं की जा सकती है।
उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और भारतीय वायु सेना की उस दलील को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता को ये पता था कि 92 में से केवल दो पद ही महिला अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित था। केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता उन पदों के लिए नियुक्ति की मांग नहीं कर सकती जो उनके लिए आरक्षित नहीं था। उच्च न्यायालय ने कहा कि सैन्य बलों में नियुक्तियों के लिए महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं बरता जा सकता है। वायु सेना में भर्ती का केवल एक मापदंड होना चाहिए कि उड़ान भरने में सक्षम हैं कि नहीं।
(Udaipur Kiran) /संजय
—————
(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
You may also like
ऑल इंडिया बार एग्जाम पास करने के बावजूद वकील को क्यों दिखाया असफल-हाईकोर्ट
तीन दशक से काम कर रहे कार्मिको को नियमित करने पर करो विचार
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पद पर माहेश्वरी की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका खारिज
आठ साल में भी क्यों नहीं हुई भू-अभिलेख निरीक्षक पद की पदोन्नति परीक्षा
शिक्षकों को बीएलओ नियुक्त करने के मामले में निर्वाचन विभाग की गाइडलाइन का पालन करें