जयपुर, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाई कोर्ट ने एसएमएस अस्पताल प्रशासन द्वारा ब्लैकलिस्ट कंपनी को राहत देते हुए प्रशासन के ब्लैकलिस्ट आदेश पर रोक लगा दी है।
जस्टिस अनिल उपमन की अदालत ने सिक्योर गार्ड सिक्योरिटी एंड मैनपॉवर सर्विसेज की याचिका पर सुनवाई करते यह आदेश दिए। अस्पताल प्रशासन ने स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में कार्यरत कंपनी को 16 जून के आदेश से ब्लैकलिस्ट कर दिया था।
कंपनी के अधिवक्ता नमो नारायण शर्मा ने बताया कि कंपनी को कैंसर इंस्टीट्यूट में मैन पावर और मेंटेनेंस का ठेका 15 अक्टूबर 2023 को एक साल के लिए मिला था। साल 2024 में कंपनी का टेंडर पूरा हो गया। इसकी जानकारी उसने अस्पताल प्रशासन को दे दी थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन की प्रार्थना पर कंपनी ने करीब एक महीने और काम किया। उसके बाद 15 नंबर 2024 को कंपनी ने अपना काम बंद कर दिया।
इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने अस्थाई तौर पर दो कंपनियों को काम दिया। इसी दौरान 12 दिसम्बर 2024 को कैंसर इंस्टिट्यूट में भर्ती 10 साल के बच्चे के पैर का अंगूठा चूहे ने कुतर दिया। जिसके बाद बच्चे की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया कि अस्पताल प्रशासन ने काम बंद करने के करीब 7 महीने बाद कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया है, लेकिन इससे पहले कोई सुनवाई के मौका नही दिया और ना ही ब्लैकलिस्ट करने का कारण बताया। जब चूहे काटने वाली घटना हुई, तब कंपनी वहां काम नहीं कर रही थी। अस्पताल प्रशासन ने बिना टेंडर अपने चहेते लोगो को ठेका दे रखा था, लेकिन अब प्रशासन ने अपनी गलती छिपाने के लिए याचिकाकर्ता को ब्लैकलिस्ट कर दिया। जिस पर सुनवाई करते हुए इस पर हाईकोर्ट ने ब्लैकलिस्ट आदेश पर रोक लगाते हुए अस्पताल प्रशासन से जवाब मांगा
हैं।
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(Udaipur Kiran)
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