पटना, 9 जुलाई (Udaipur Kiran) । बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सियासत गरमा गई है। राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जाहिर की है। यहां तक कि राजद सांसद मनोज झा ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है।
बिहार में जारी इस प्रक्रिया के बीच चुनाव आयोग ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 को पोस्ट किया है। यह अनुच्छेद वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनावों में भागीदारी की गारंटी देता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, भारत का हर नागरिक जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का है और सामान्य रूप से किसी निर्वाचन क्षेत्र में निवास करता है, वह मतदाता के रूप में पंजीकरण का हकदार है।
चुनाव आयोग ने अपने पोस्ट में यह भी स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण संविधान के नियमों के तहत हो रहा है। आयोग की मंशा यह सुनिश्चित करना है कि वोटर लिस्ट में केवल वैध नागरिकों के नाम हों और अपात्र नामों को हटाया जाए। संविधान के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के पास नागरिकता का पुख्ता प्रमाण नहीं है, वह अपराधी है या मानसिक रूप से अस्थिर है, तो उसे मतदान का अधिकार नहीं दिया जा सकता।
—————
(Udaipur Kiran) / चंदा कुमारी
You may also like
ओडिशा ने पीएमकेकेकेवाई योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर हासिल किया शीर्ष स्थान
गांधी के बताए रास्ते पर चलते तो शायद फिलिस्तीनियों को आजादी मिल जाती : मणिशंकर अय्यर
लूट के बाद 61 वर्षीय बुजुर्ग महिला की गला दबाकर हत्या
दूसरे समुदाय के युवक से प्रेम विवाह पर युवती को मिली धमकी
जनसुनवाई के साथ राज्य महिला आयोग सदस्य ने किया धान की रोपाई