Devshayani Ekadashi 2025 Vrat Niyam: देवशयनी एकादशी का उपवास हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है. यह व्रत चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक है, जब भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं. इस अवधि में कोई शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं. इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. भक्तों को मोक्ष और वैकुंठ धाम की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से जाने-अनजाने में हुए पापों का नाश होता है. सच्चे मन से व्रत और पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
द्रिक पंचांग के अुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है. इसके आधार पर 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी.
देवशयनी एकादशी व्रत में क्या खाएंएकादशी का व्रत फलाहार व्रत होता है, जिसमें अनाज का सेवन वर्जित होता है. उपवास के दौरान सभी प्रकार के फल खाए जा सकते हैं, जैसे सेब, केला, अंगूर, संतरा, अनार, पपीता, आम (यदि मौसम हो), आदि. दूध, दही, पनीर, छाछ, मट्ठा, घी का सेवन कर सकते हैं. आलू, शकरकंद, गाजर, मूली, अरबी जैसी जड़ वाली सब्जियों से परहेज किया जाता है. आप टमाटर, लौकी, कद्दू, पालक, खीरा, पत्ता गोभी, फूल गोभी, परवल, तोरई, भिंडी, नींबू, हरी मिर्च आदि का सेवन कर सकते हैं. इन अनाजों का प्रयोग व्रत के दौरान किया जाता है. आप इनसे बनी रोटियां, पूरियां, चीला, खिचड़ी या खीर खा सकते हैं. बादाम, अखरोट, काजू, किशमिश, मखाने, मूंगफली आदि का सेवन कर सकते हैं.
देवशयनी एकादशी व्रत में क्या न खाएंएकादशी के व्रत में कुछ चीजों का सेवन बिल्कुल वर्जित होता है. चावल, गेहूं, जौ, दालें (मूंग, चना, अरहर, उड़द आदि), बाजरा, मक्का, सूजी, बेसन आदि सभी प्रकार के अनाज और दालें वर्जित हैं. सामान्य आयोडाइज्ड नमक का प्रयोग न करें. केवल सेंधा नमक का उपयोग करें. प्याज और लहसुन तामसिक भोजन माने जाते हैं और इनका सेवन वर्जित है. मांस, मछली, अंडे: मांसाहारी भोजन पूर्णत वर्जित है. किसी भी प्रकार के नशे का सेवन वर्जित है. हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हींग, राई, जीरा (कुछ लोग व्रत में जीरा खाते हैं, लेकिन अधिकांश इसे वर्जित मानते हैं), गरम मसाला आदि का प्रयोग न करें. हरी मिर्च, अदरक और काली मिर्च का प्रयोग कर सकते हैं.
ऐसे पूरा होगा व्रतएकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी की रात को सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें कि आप पूरी निष्ठा के साथ व्रत का पालन करेंगे. भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं, पीले वस्त्र पहनाएं, चंदन, रोली, अक्षत (चावल की जगह तिल या सिंघाड़े का आटा), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (फल, मिठाई) अर्पित करें. देवशयनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें या सुनें. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें. यदि संभव हो तो रात में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें.
द्वादशी के दिन व्रत का पारणएकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद और द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले किया जाता है. पारण के लिए सबसे पहले भगवान विष्णु की पूजा करें. किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं या दान दें. इसके बाद तुलसी पत्र डालकर जल ग्रहण करें या कोई अनाज (जैसे चावल) खाकर व्रत खोलें. ध्यान रखें कि द्वादशी को हरि वासर (द्वादशी का पहला चौथाई भाग) समाप्त होने के बाद ही पारण करना चाहिए. गर्भवती महिलाएं, बच्चे, वृद्ध और बीमार व्यक्ति अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत करें. यदि पूर्ण व्रत संभव न हो तो फलाहार ले सकते हैं या केवल एक समय फलाहार कर सकते हैं.
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