ये सिर्फ़ क्रिकेट का खेल नहीं, एक भाई का दूसरे भाई के प्रति अटूट प्रेम है। ये कहानी है एक चैंपियन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी की, जो अपने दिल की पुकार सुनता है, अपनी सारी उपलब्धियाँ पीछे छोड़ अपने खोए हुए भाई की याद में इटली की नीली जर्सी पहनता है। जो बर्न्स! ये नाम अब न सिर्फ़ ऑस्ट्रेलिया, बल्कि इटली के लिए भी एक नए अध्याय का प्रतीक बन गया है, जहाँ फ़ुटबॉल के पागलपन के बीच क्रिकेट का एक नया सूरज उगने को तैयार है। ये वो देश है जहाँ रॉबर्टो बागियो को अपने पैरों पर गेंद नचाते देख लोग दीवाने हो जाते थे और साल 2000 के आसपास जियानलुइगी बुफ़न का रुतबा गोलकीपर के तौर पर महेंद्र सिंह धोनी जैसा था। आज भले ही जियानलुइगी डोनारुम्मा और एलेसेंड्रो बस्तोनी जैसे युवा इतालवी फ़ुटबॉल टीम में चमक रहे हों, लेकिन फ़ुटबॉल के दीवाने प्रशंसकों के बीच क्रिकेट की लौ एक ऑस्ट्रेलियाई ही जला रहा है। अब, भारत के दोस्त और जॉर्जिया मालोन के देश इटली की किस्मत क्रिकेट के खेल में बदल गई है। नवभारत टाइम्स के विशेष खंड 'स्पोर्ट्स स्कैन' के अंतर्गत, हम बात करेंगे कंगारू क्रिकेटर जो बर्न्स की, जो ऑस्ट्रेलिया से आने के बाद से इटली में कमाल कर रहे हैं। उन्होंने अपना सुनहरा करियर क्यों छोड़ा और इटली जैसे छोटे से क्रिकेट देश के लिए क्यों खेल रहे हैं, जिसके पास ऑस्ट्रेलिया जैसा न पैसा है, न शोहरत। वो एक अलग ही मिट्टी के बने हैं। जीत उनके खून में है, चैंपियन बनने का जुनून उनकी रगों में दौड़ता है। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की दुनिया की सबसे कामयाब टीम है। लेकिन कुछ कहानियाँ सिर्फ़ जीत से बढ़कर होती हैं। कुछ कहानियाँ दिल से लिखी जाती हैं। ये कहानी है उस अदम्य साहस की, उस कभी न हार मानने वाले जज्बे की, जिसने एक ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज को इटली की किस्मत बदलने के लिए प्रेरित किया।
ऑस्ट्रेलिया के लिए जो बर्न्स का टेस्ट करियर
दरअसल, 2024 में जब दुनिया ने जो बर्न्स को ऑस्ट्रेलिया की पीली जर्सी छोड़ते देखा, तो कई सवाल उठे। ऑस्ट्रेलिया के लिए 23 टेस्ट और 6 वनडे में 4 शतक लगाने वाले, अपने बल्ले से 1442 टेस्ट रन बनाने वाले खिलाड़ी ने अचानक एक कमज़ोर टीम के लिए खेलने का फैसला क्यों किया? यह कोई साधारण फैसला नहीं था। यह प्यार का, भाईचारे की याद का और एक ऐसे सपने को पूरा करने का फैसला था जो अब न सिर्फ़ उनका, बल्कि उनके दिवंगत भाई डोमिनिक का भी था। उसी साल 2024 में, जो बर्न्स ने अपने प्यारे भाई डोमिनिक को खो दिया। उस दर्द और उस याद को सम्मान देने के लिए, जो बर्न्स ने अपनी माँ की इतालवी विरासत को चुना। मई 2024 में, वह इटली की टीम में शामिल हुए और जून में उन्होंने अपना पहला मैच खेला। हर मैच में, हर रन में, हर छक्के में, वह सिर्फ़ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि अपने भाई की परछाईं के साथ खेल रहे थे। यह सिर्फ़ क्रिकेट नहीं था, यह एक निजी श्रद्धांजलि थी, एक संकल्प था कि वह अपने भाई की याद में इस टीम को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँगे।
इटली का सपना: इतिहास रचने से एक कदम दूर
आज जो बर्न्स एक ऐसे सपने को पूरा करने से बस एक कदम दूर हैं जो उनके परिवार के लिए बेहद अहम होगा। अगले साल भारत और श्रीलंका में होने वाले 2026 टी20 विश्व कप के लिए अब केवल सात स्थान बचे हैं। और, इटली ने गुरुवार को नीदरलैंड के वूरबर्ग में यूरोप क्षेत्रीय फाइनल क्वालीफायर में स्कॉटलैंड को 12 रनों से हराकर एक बड़ी छलांग लगाई। यह जीत सिर्फ़ एक जीत नहीं थी, यह जो बर्न्स के जुनून की जीत थी, यह उनके भाई की याद में खेली गई हर गेंद का नतीजा थी। पिछले हफ़्ते 5 जुलाई को जब यूरोपीय क्वालीफायर शुरू हुए थे, तब पाँच टीमें दौड़ में थीं। लेकिन अब, केवल ग्वेर्नसे ही बाहर है, जबकि नीदरलैंड, इटली, स्कॉटलैंड और जर्सी के बीच कड़ी टक्कर है।
जो बर्न्स के साथ और उनके बिना इटली का प्रदर्शन
शुक्रवार इतिहास रचने का दिन है। इटली का सामना नीदरलैंड से होगा, जबकि जर्सी का सामना स्कॉटलैंड से होगा। अगर जो बर्न्स की टीम एक और बड़ा उलटफेर करते हुए नीदरलैंड को हरा देती है, तो उन्हें टी20 विश्व कप का सीधा टिकट मिल जाएगा। अपनी कप्तानी में, जो बर्न्स इटली को पहली बार टी20 विश्व कप के लिए क्वालीफाई कराएँगे - यही उनके भाई के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। अगर वे हार भी जाते हैं, तो भी इटली के पास क्वालीफाई करने का मौका है, बशर्ते वे अपना नेट रन रेट ऊँचा रखें। लेकिन डच टीम के लिए घरेलू मैदान पर जीत से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता। यह जीत न केवल इटली को अपराजेय बढ़त दिलाएगी, बल्कि यह उस प्रेम, समर्पण और अदम्य साहस का भी प्रमाण होगी जो जो बर्न्स ने इस टीम में भर दिया है।
इटली के लिए जो बर्न्स का प्रदर्शन
जो बर्न्स का इटली के लिए करियर लंबा नहीं है, उन्होंने 2024 में अपने पदार्पण के बाद से केवल 7 टी20 मैच खेले हैं। लेकिन इन मैचों में उन्होंने 143.1 के शानदार स्ट्राइक रेट से 249 रन बनाए हैं, जिसमें एक शतक और एक अर्धशतक शामिल है। ये सिर्फ़ आँकड़े नहीं हैं, हर रन उनके भाई की याद है, हर शॉट उस जज्बे का प्रतिबिंब है जिसने उन्हें यहाँ तक पहुँचाया। यह सिर्फ़ क्रिकेट की कहानी नहीं है, बल्कि भाईचारे के उस प्यार की कहानी है जो सीमाओं को तोड़ता है, और एक जुनून जो नामुमकिन को मुमकिन बना देता है। बर्न्स ने इटली की किस्मत ही नहीं बदली, बल्कि उन्होंने उन्हें एक सपना, एक मकसद और सबसे बढ़कर, एक जुनून दिया जिसने उन्हें इतिहास रचने के और करीब ला दिया है।
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