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झंडे से लेकर मंदिर की मूर्ती तक जानिए जगन्नाथ मंदिर के 5 रहस्य, जिन्हें आज तक विज्ञान भी नहीं सुलझा सका

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हिंदुओं के चार धामों में से एक माने जाने वाले पुरी के जगन्नाथ मंदिर के बारे में तो आप सभी ने सुना ही होगा। ओडिशा के तटीय शहर पुरी में स्थित यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। हर साल दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। 800 साल से भी पुराने इस मंदिर से जुड़ी कई चमत्कारी और रहस्यमयी बातें हैं, जिन्हें सुनकर इंसान हैरान रह जाता है कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है? आपको बता दें, अभी-अभी एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें एक बड़ा सा बाज मंदिर के शिखर पर लहरा रहे झंडे को अपने पंजों में पकड़कर उसके चारों ओर घूम रहा है। ऐसा नजारा देखने के बाद लोगों की जुबान पर बस एक ही बात है कि क्या ये किसी अनहोनी का संकेत है। खैर, संकेत चाहे जो भी हो, लेकिन मंदिर से जुड़ी कुछ और बातें भी हैं, जो लोगों को हैरान कर देती हैं। आइए इस लेख में आपको बताते हैं। 

मंदिर में है भगवान का दिल

मान्यता है कि इसी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण ने अपना शरीर छोड़ा था और उनका पूरा शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया था, सिवाय शरीर के एक हिस्से को छोड़कर। यह हिस्सा उनका हृदय था। मान्यता है कि मंदिर में रखे श्री कृष्ण के लकड़ी के शरीर में आज भी हृदय धड़क रहा है।

समुद्र की लहरों की आवाजें आती हैं

मंदिर में आने वाले भक्तों का कहना है कि जब आप मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते हैं, तो अंदर कदम रखने तक आपको समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है, लेकिन जैसे ही आप मुख्य द्वार में कदम रखते हैं, लहरों की आवाज बंद हो जाती है।

18 साल तक बंद रहेगा मंदिर

कहते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। मान्यता है कि मंदिर का झंडा हर दिन बदला जाता है और अगर किसी दिन झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 साल तक बंद रहेगा। मान्यता है कि पुराना झंडा बुरी ऊर्जा को आकर्षित करता है, इसलिए इसे हटा दिया जाता है।

मंदिर की रसोई का रहस्य

मंदिर की रसोई से भी एक आश्चर्यजनक रहस्य जुड़ा हुआ है। जगन्नाथ मंदिर में जो भी प्रसाद बनता है, उसे भी सात मिट्टी के बर्तनों में बनाया जाता है और सातों बर्तन एक के ऊपर एक रखे जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि सबसे पहले सातवें बर्तन में प्रसाद तैयार होता है और उसके बाद छठे, पांचवें, चौथे, तीसरे, दूसरे और फिर पहले बर्तन में प्रसाद तैयार होता है।

चक्र की छाया अदृश्य है

जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र स्थापित है। कहा जाता है कि आप इसे किसी भी दिशा से खड़े होकर देख सकते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह आपकी ओर है। इसी तरह एक और रहस्य यह है कि मंदिर के शिखर की छाया हमेशा अदृश्य रहती है, इसे जमीन पर कोई नहीं देख सकता।

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