सनातन धर्म में एकादशी तिथि का अत्यंत पवित्र स्थान है। प्रत्येक माह में दो बार एकादशी आती है, जिसमें से सावन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इसे सभी एकादशियों में विशिष्ट स्थान दिया गया है। खासकर जब यह एकादशी सावन मास में पड़ती है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं।
पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्वपुत्रदा एकादशी को संतान प्रदायक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ संतान के सुख-समृद्धि की भी कृपा प्रदान करते हैं। साथ ही, इस व्रत से जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं। इसे पवित्रपना एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि यह तिथि आध्यात्मिक शुद्धि और पवित्रता का प्रतीक है। साल में पुत्रदा एकादशी दो बार आती है – एक सावन मास में और दूसरी पौष मास में। इन दोनों में सावन की पुत्रदा एकादशी को अधिक महत्व दिया जाता है। सावन की यह एकादशी भक्ति, तपस्या, और संतान कल्याण की दृष्टि से अत्यंत फलदायक मानी जाती है।
पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त 2025 मेंसावन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 2025 में 4 अगस्त को सुबह 11:41 बजे से प्रारंभ होकर 5 अगस्त दोपहर 1:12 बजे तक रहेगी। पौराणिक काल के अनुसार, एकादशी का व्रत 5 अगस्त को पूरा मनाया जाएगा।
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ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:20 बजे से 5:02 बजे तक
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रवि योग: सुबह 5:45 बजे से 11:23 बजे तक
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अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:54 बजे तक
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सायंकाल पूजा मुहूर्त: शाम 7:09 बजे से 7:30 बजे तक
यह शुभ समय व्रत और पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की आराधना विशेष फलदायक होती है।
पुत्रदा एकादशी पर किया जाने वाला व्रत और पूजाइस दिन भक्त उपवास रखते हैं और पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान, पूजा और स्तुति करते हैं। व्रत के दौरान फलाहार और जल सेवन किया जा सकता है, लेकिन परहेज भी महत्वपूर्ण होता है। शाम को भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें विष्णु सहस्रनाम का पाठ और कथा सुनना शामिल होता है।
एकादशी व्रत को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से संतान सुख के साथ-साथ परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। साथ ही, पितृ और देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है।
पुत्रदा एकादशी का आध्यात्मिक महत्वएकादशी व्रत को शुद्धता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना गया है। विशेषकर पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा से जीवन के अंधकार दूर होते हैं और मनुष्य के संतान की प्राप्ति का मार्ग खुलता है। यह व्रत व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है।
हिंदू धर्म में यह भी माना जाता है कि एकादशी व्रत के प्रभाव से गृहस्थ जीवन में सुख-समृद्धि, संतान की खुशहाली और परिवार में सौहार्द्र बना रहता है। संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले भक्त इस दिन विशेष पूजा कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं।
सावन मास में एकादशी का महत्वसावन मास भगवान शिव और विष्णु को समर्पित महीना है। इस माह की प्रत्येक एकादशी पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सावन की पुत्रदा एकादशी पर व्रत रखने से विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की कृपा मिलती है। मान्यता है कि इस व्रत से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनुष्य के अंदर आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है।
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