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सूरज ढलते ही खौफ का अड्डा बन जाता है भानगढ़ का किला, होती है ऐसी-ऐसी घटनाएं जिन्हें वीडियो में देखकर निकल जाएगी चीख

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भारत का इतिहास जितना गौरवशाली और भव्य रहा है, उतना ही रहस्यमयी और रहस्यपूर्ण भी। कई महल, किले और स्मारक अपने भीतर सैकड़ों वर्षों की कहानियां समेटे हुए हैं। इन्हीं में से एक है राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ का किला, जो न सिर्फ अपनी वास्तुकला और इतिहास के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके साथ जुड़ी डरावनी कहानियों और पैरानॉर्मल घटनाओं के कारण भी यह दुनिया के सबसे भूतिया स्थलों में गिना जाता है।

भानगढ़ का किला दिन में एक सामान्य ऐतिहासिक धरोहर लगता है, जहां सैलानी घूमने आते हैं, तस्वीरें खिंचवाते हैं और राजसी धरोहर को निहारते हैं। लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है, यह किला खौफ और सन्नाटे का पर्याय बन जाता है। शाम के बाद यहां सरकारी तौर पर प्रवेश वर्जित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने किले के बाहर एक बोर्ड लगाया हुआ है जिसमें स्पष्ट लिखा है कि सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले यहां प्रवेश न करें।

आखिर क्यों है इतना खौफ?

भानगढ़ किले से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, यहां एक तांत्रिक सिंहा सेवड़ा नामक व्यक्ति रहता था जो रत्नावती नाम की राजकुमारी से प्रेम करता था। रत्नावती अनुपम सौंदर्य की प्रतीक थीं और उनका विवाह एक शक्तिशाली राजघराने में तय हुआ था। तांत्रिक ने रत्नावती को पाने के लिए एक जादुई इत्र पर मंत्र फूंका ताकि वह उसे चाहने लगे। लेकिन रत्नावती को इसकी भनक लग गई और उसने इत्र को एक पत्थर पर फेंक दिया, जिससे वह पत्थर तांत्रिक की ओर लुढ़कता चला गया और उसकी मौत हो गई। मरते वक्त उसने पूरे भानगढ़ को शाप दिया कि यहां कोई भी जीवित नहीं बच पाएगा। कुछ ही समय में युद्ध, अकाल और विनाश ने पूरे नगर को निगल लिया।

रात में क्यों नहीं रुकता कोई?

स्थानीय लोगों और पर्यटकों के अनुसार, रात के समय इस किले में अजीब सी आवाजें, किसी के चलने की आहट, औरत के रोने या हँसने की आवाज, दीवारों के पीछे से आती फुसफुसाहटें अक्सर सुनाई देती हैं। कुछ लोगों ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने छायाएं देखीं जो बिना किसी मानव उपस्थिति के हिलती-डुलती हैं। वहीं कुछ साहसी लोग जो सूरज ढलने के बाद किले में रुके, वे या तो फिर कभी नहीं लौटे या लौटे भी तो मानसिक रूप से असंतुलित अवस्था में।

पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स की टीम भी रह गई थी हैरान

कुछ वर्ष पहले एक विदेशी पैरानॉर्मल रिसर्च टीम ने भानगढ़ में रात बिताने की कोशिश की थी। उन्होंने अपने साथ अत्याधुनिक उपकरण और कैमरे लगाए थे। रिपोर्ट के अनुसार, रात के दौरान उनके उपकरणों में अचानक तेज़ एनर्जी वेव्स, मैग्नेटिक फील्ड में बदलाव और अनएक्सप्लेनड साउंड फ्रीक्वेंसी रिकॉर्ड हुईं। टीम ने सुबह होते ही वहां से लौटने का फैसला लिया और अपनी रिपोर्ट में इसे एक "हाई स्पिरिट इन्फ्लुएंस ज़ोन" बताया।

भानगढ़ का रहस्य आज भी बना हुआ है अबूझ

इतनी घटनाओं और शोधों के बाद भी भानगढ़ किले के रहस्य को कोई भी पूरी तरह नहीं सुलझा पाया है। विज्ञान और तर्क की दृष्टि से भले ही इसे अफवाह या मनोवैज्ञानिक भ्रम कहा जाए, लेकिन जो लोग यहां आए हैं, उनका अनुभव इसे नकार नहीं सकता। स्थानीय लोग आज भी इस स्थान से दूरी बनाकर रखते हैं और शाम होते ही अपने घरों में बंद हो जाते हैं।

क्या यह सब सिर्फ भ्रम है?

कई लोग इसे सिर्फ "अफवाह" मानते हैं और कहते हैं कि यह डर पर्यटन को बढ़ावा देने का एक तरीका हो सकता है। लेकिन जब एक ही स्थान पर सैकड़ों लोगों को समान अनुभव होते हैं और सरकारी संस्थाएं खुद वहां रात में जाने से मना करती हैं, तो सवाल उठता है कि क्या यह वास्तव में सिर्फ भ्रम है या कोई अनदेखा रहस्य?

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