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आखिर कैसे त्रिनेत्रधारी बने भगवान शिव ? 3 मिनट के इस दुर्लभ वीडियो में जाने इसके खुलने पर आखिर क्या होगा

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देवाधिदेव कहे जाने वाले भगवान महादेव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं। भगवान शिव से जुड़ी हर चीज़ एक खास संदेश देती है, चाहे वह शिव के गले में लिपटा सर्प हो या उनकी जटाओं से बहती गंगा। इसी तरह शिव के भी तीन नेत्र हैं, जिसके कारण उन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं महादेव त्रिनेत्रधारी कैसे बने।


महादेव त्रिनेत्रधारी कैसे बने
भगवान शिव के तीसरे नेत्र से जुड़ी कथा महाभारत के छठे खंड के अनुशासन पर्व में मिलती है। इसके अनुसार, एक बार भगवान शिव हिमालय पर्वत पर सभी देवी-देवताओं, ऋषियों और ज्ञानियों के साथ बैठक कर रहे थे। तभी माता पार्वती सभा में आईं और उपहास स्वरूप उन्होंने शिव की दोनों आँखों पर हाथ रखकर उन्हें बंद कर दिया। जैसे ही माता पार्वती ने शिव की आँखों को ढका, पूरी पृथ्वी पर अंधकार छा गया। इससे पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवों में खलबली मच गई।तब महादेव ने अपने माथे पर एक नेत्र के रूप में प्रकाश पुंज प्रकट किया। जिससे संपूर्ण सृष्टि पुनः प्रकाशित हो गई। तब जब उन्होंने माता पार्वती से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि मेरे नेत्र जगत के रक्षक हैं। ऐसे में यदि ये बंद हो जाएँ तो संपूर्ण ब्रह्मांड नष्ट हो सकता है। यही कारण है कि शिव जी ने संपूर्ण जगत की रक्षा के लिए तीसरा नेत्र प्रकट किया।

इसका क्या अर्थ है?

शिव जी के तीनों नेत्र अलग-अलग गुणों के प्रतीक माने जाते हैं। महादेव के दाहिने नेत्र में सत्वगुण और बायें नेत्र में रजोगुण का वास माना जाता है। जबकि तीसरा नेत्र तमोगुण का वास है। कहा जाता है कि भगवान शिव के दो नेत्र भौतिक जगत की गतिविधियों पर नज़र रखते हैं, जबकि तीसरे नेत्र का कार्य पापियों पर नज़र रखना है। यह नेत्र इस बात का संकेत देता है कि संपूर्ण जगत का न तो कोई आरंभ है और न ही कोई अंत। हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान शिव के तीन नेत्र त्रिकाल अर्थात भूत, वर्तमान और भविष्य का प्रतीक माने जाते हैं। वहीं स्वर्गलोक, मृत्युलोक और पाताल लोक को भी इन्हीं तीन नेत्रों का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि शिव जी को तीनों लोकों का स्वामी कहा जाता है।

इसके खुलने पर क्या होगा

ऐसी कई पौराणिक कथाएँ हैं जो बताती हैं कि भगवान शिव का तीसरा नेत्र तभी खुलता है जब उन्हें अत्यधिक क्रोध आता है। हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित है कि यदि भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुल जाए, तो संसार में प्रलय आ सकता है, जो संसार को नष्ट करने की क्षमता रखता है।

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