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वीडियो में जानिए कब, किसे और क्यों करना चाहिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप ? मिलेगा अकाल मृत्यु से छुटकारा और आरोग्य का वरदान

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भारत की आध्यात्मिक परंपरा में महामृत्युंजय मंत्र को अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली माना गया है। इसे भगवान शिव के त्रयंबक स्वरूप को समर्पित एक दिव्य स्तोत्र कहा जाता है, जिसे “मृत्यु पर विजय पाने वाला मंत्र” माना गया है। यह मंत्र केवल मृत्यु से ही नहीं, बल्कि जीवन की तमाम कठिनाइयों, बीमारियों और मानसिक कष्टों से भी रक्षा करता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह महामंत्र आखिर क्या है, कब और किसे इसका जाप करना चाहिए और इसके पीछे क्या है आध्यात्मिक रहस्य।


महामृत्युंजय मंत्र क्या है?
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

यह मंत्र ऋग्वेद का हिस्सा है और इसे ‘रुद्र मंत्र’ भी कहा जाता है। ‘त्रयंबक’ शब्द शिव के तीन नेत्रों वाले स्वरूप को दर्शाता है। यह मंत्र केवल मृत्यु से मुक्ति नहीं, बल्कि दीर्घायु, आरोग्य, सुख-शांति और आत्मबल प्रदान करता है।

किसे करना चाहिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप?
बीमार व्यक्ति को:

यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से गंभीर बीमारी से पीड़ित है और चिकित्सा के बावजूद लाभ नहीं हो रहा, तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप अत्यंत लाभकारी होता है। यह रोगों से लड़ने की शक्ति देता है और रोगों के मूल कारणों को शांत करता है।

मानसिक तनाव या अवसाद से ग्रसित व्यक्ति को:
जो लोग डिप्रेशन, चिंता या जीवन में दिशाहीनता का अनुभव कर रहे हैं, उनके लिए यह मंत्र मानसिक शांति का मार्ग खोलता है। जाप के दौरान शिव की ऊर्जा हमारे अंदर प्रवेश करती है और नकारात्मक विचारों को समाप्त करती है।

जिन्हें बार-बार दुर्घटनाएं या अपशकुन हो रहे हों:
कई बार जीवन में बिना कारण दुर्घटनाएं, अचानक स्वास्थ्य गिरावट या अनचाही बाधाएं आती हैं। ऐसे में महामृत्युंजय मंत्र एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।

घर में नकारात्मक ऊर्जा या पितृदोष के संकेत हों:
घर में बार-बार बीमारियां, क्लेश, आर्थिक तंगी हो रही हो तो यह मंत्र पूरे परिवार के लिए किया जाना चाहिए। इससे घर में ऊर्जा संतुलन बनता है।

ध्यान, साधना या आध्यात्मिक उन्नति के इच्छुक लोगों को:
यह मंत्र ध्यान को गहराई देता है और साधक की चेतना को उच्च स्तर तक ले जाता है।

कब करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप?
सबसे श्रेष्ठ समय - ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 5 बजे):

इस समय वातावरण सबसे शांत होता है और शरीर-मन-आत्मा में मंत्र का प्रभाव अत्यधिक गहरा होता है।

सोमवार और प्रदोष काल:
भगवान शिव का दिन सोमवार माना जाता है। यदि सोमवार को या प्रदोष व्रत के दिन जाप किया जाए तो शुभ फल कई गुना बढ़ जाते हैं।

रोग, संकट या मृत्यु भय के समय:
जब जीवन में अत्यधिक कष्ट या संकट हो, तो किसी शुभ मुहूर्त में मंत्र जप की शुरुआत करें और नियमित करें।

क्यों करना चाहिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप?
आयु वृद्धि और रोग निवारण के लिए:
यह मंत्र शरीर के ऊर्जाक्षेत्र (aura) को सशक्त बनाता है। इससे शरीर में सकारात्मक कंपन उत्पन्न होते हैं जो रोगों को दूर करते हैं।

मृत्यु भय या अकाल मृत्यु के योग से रक्षा के लिए:
यदि कुंडली में मारकेश ग्रहों का प्रभाव हो या अकाल मृत्यु की आशंका हो तो इस मंत्र का जाप जीवन रक्षा कवच बन जाता है।

पारिवारिक कलह और जीवन में अस्थिरता को दूर करने के लिए:
जाप से घर में शांति और संतुलन स्थापित होता है। यह मन को स्थिर करता है और निर्णय क्षमता बढ़ाता है।

मोक्ष और आत्मिक शुद्धि के लिए:
यह मंत्र साधक को आध्यात्मिक रूप से ऊपर उठाता है और उसे मोह-माया से मुक्त कर परमात्मा की ओर ले जाता है।

महामृत्युंजय मंत्र जाप के कुछ आवश्यक नियम
जाप से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें
रुद्राक्ष की माला से 108 बार या 11, 21, 51, 108 माला जाप करें
जाप शांत मन और पूर्ण श्रद्धा से करें
गलत उच्चारण से बचें, बेहतर हो तो गुरु से दीक्षा लें

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