उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के यौन शोषण का मामला सामने आया है। देहरादून शहर के पटेलनगर क्षेत्र के एक बोर्डिंग स्कूल में दो चचेरे भाइयों का यौन शोषण किया गया। मुरादाबाद की रहने वाली एक महिला ने अपने दो बेटों का अप्रैल में ही देहरादून के पटेलनगर क्षेत्र के एक बोर्डिंग स्कूल में एडमिशन कराया था। स्कूल के शिक्षक मोनूपाल पर यौन शोषण का आरोप है। आरोपी शिक्षक मोनूपाल उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के सादियाबाद थाना क्षेत्र के इंद्रपुर हेड़ी गांव का रहने वाला है। पुलिस ने आरोपी शिक्षक मोनूपाल को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी शिक्षक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। बच्चों की मां ने पटेलनगर कोतवाली पुलिस को बताया कि उसके 13 और 9 साल के दो बेटे हैं। दोनों मानसिक रूप से कमजोर हैं। अप्रैल में उसने बच्चों का देहरादून के पटेलनगर क्षेत्र के एक बोर्डिंग स्कूल में एडमिशन कराया था।
महिला ने बताया कि उससे कहा गया था कि बच्चों के व्यवहार और पढ़ाई की रोजाना फोटो और वीडियो उसे भेजे जाएंगे, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने बच्चों के सिर्फ दो-चार वीडियो और फोटो भेजे। फिर स्कूल प्रबंधन ने संपर्क करना बंद कर दिया। मई के मध्य में जब वह बच्चों से मिलने स्कूल पहुंची तो उसे मिलने नहीं दिया गया। महिला ने बताया कि वह शुक्रवार को फिर स्कूल पहुंची और बच्चों से मिलने की जिद करने लगी। तब स्कूल प्रबंधन ने उसे बच्चों से मिलने दिया।
महिला का आरोप है कि जब उसने बच्चों से अकेले में बात की तो बच्चे रोने लगे। बच्चों ने मां को बताया कि शिक्षक मोनू पाल ने उसे लोहे की रॉड से पीटा, पेट में लात घूंसे मारे, सिगरेट से दागा और यौन शोषण किया। महिला ने जब बच्चों की बात सुनी तो वह दंग रह गई। इसके बाद उसने स्कूल प्रबंधन से पूछा, लेकिन उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। तब महिला ने पटेलनगर पुलिस से शिकायत की।
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि जिस बोर्डिंग स्कूल में घटना हुई, वह चार महीने पहले ही खुला है। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। पुलिस स्कूल के दस्तावेजों की जांच कर रही है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि स्कूल चलाने की अनुमति शिक्षा विभाग और समाज कल्याण विभाग से ली गई है या नहीं। स्कूल की प्रिंसिपल महिला है। उनसे स्कूल से जुड़े सभी दस्तावेज मांगे गए हैं।
साथ ही पीड़ित बच्चों से बात करके घटना की पूरी जानकारी लेने के लिए सांकेतिक भाषा का दुभाषिया नियुक्त किया गया है। पीड़ित बच्चों को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया है, जहां विशेषज्ञ उनकी काउंसलिंग करेंगे और उनसे बात करके घटना की जानकारी लेंगे।
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