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2500 कारीगरों ने 50 सालों में 99 लाख खर्च कर बनाया था ये जैन मंदिर, वीडियो देख नहीं होगा आंखों पर यकीन

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रणकपुर जैन मंदिर भारत के राजस्थान राज्य में स्थित एक भव्य और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला, धार्मिक महत्व और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजस्थान के पाली ज़िले में अरावली पर्वतमाला की गोद में स्थित है और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है।

इतिहास: कब और किसने बनवाया

रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था। इसका निर्माण कार्य एक जैन व्यापारी 'धनशाह पोरा' ने करवाया था, जिन्हें स्वप्न में भगवान आदिनाथ का आदेश प्राप्त हुआ था कि वे उनके लिए एक भव्य मंदिर बनवाएं। उन्होंने यह सपना मेवाड़ के शासक राणा कुंभा को बताया, जिनसे उन्हें ज़मीन प्राप्त हुई और राजा ने भी मंदिर निर्माण में आर्थिक मदद दी। मंदिर का नाम राणा कुंभा के नाम पर ही "रणकपुर" पड़ा।

वास्तुकला

रणकपुर मंदिर वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। यह पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना हुआ है और लगभग 48,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला है। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसकी 1444 स्तंभ हैं, जो सभी अलग-अलग डिजाइन में नक्काशीदार हैं और इनमें से कोई भी दो स्तंभ एक जैसे नहीं हैं।

मंदिर का मुख्य भाग भगवान आदिनाथ को समर्पित है, जो जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर माने जाते हैं। चारों दिशाओं में चार विशाल मूर्तियां स्थापित हैं, जिन्हें "चौमुखा मंदिर" कहा जाता है। मंदिर में 80 से अधिक गुंबद, 29 मंडप और कई कलात्मक प्रवेशद्वार हैं। इसके अलावा, छतों और दीवारों पर की गई महीन नक्काशी, पौराणिक कथाएं और चित्रण इसे एक जीवंत कलाकृति का रूप देते हैं।

धार्मिक मान्यता

रणकपुर जैन मंदिर को जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। यह मंदिर श्वेतांबर संप्रदाय से संबंधित है और यहाँ नियमित रूप से पूजन, ध्यान और प्रवचन होते हैं। यह स्थान मोक्ष प्राप्ति की साधना के लिए आदर्श माना जाता है। मान्यता है कि यहां भगवान आदिनाथ की उपासना करने से मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति होती है।

दर्शन और यात्रा जानकारी

रणकपुर मंदिर हर धर्म और समुदाय के पर्यटकों के लिए खुला है। मंदिर का दर्शन सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे तक किया जा सकता है। विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क और ड्रेस कोड निर्धारित है। मंदिर के अंदर कैमरा ले जाना मना है, लेकिन बाहर से फोटो खींचने की अनुमति होती है।

रणकपुर उदयपुर से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्थित है और यहाँ तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर परिसर के पास ठहरने और भोजन की भी अच्छी व्यवस्था है, विशेषकर जैन धर्म के अनुसार सात्विक भोजन मिलता है।

निष्कर्ष

रणकपुर जैन मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय वास्तुकला, संस्कृति और इतिहास की धरोहर भी है। इसकी भव्यता, शांति और कलात्मकता हर दर्शक को मंत्रमुग्ध कर देती है। यह मंदिर निश्चित रूप से भारत के सर्वश्रेष्ठ ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों में से एक है।

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