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बीजेपी-आरएसएस का उद्देश्य हमेशा से संविधान बदलने का रहा है: Ashok Gehlot

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जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर से देश के संविधान को लेकर बीजेपी और आरएसएस को निशाने पर लिया है। इस संबंध में एक फिर से अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया के माध्यम से बड़ी बात कही है।

अशोक गहलोत ने आज इस संबंध में एक्स के माध्यम से कहा कि पिछले दो दिन से संविधान की रक्षक होने का नाटक कर रही बीजेपी-आरएसएस की संविधान विरोधी सोच दत्तात्रेय होसबले के संविधान की प्रस्तावना में बदलाव के बयान से उजागर होती है। बीजेपी-आरएसएस का उद्देश्य हमेशा से संविधान बदलने का रहा है। अब ये लोग स्वयं को ज्यूडिशियल रिव्यू की शक्ति रखने वाले सुप्रीम कोर्ट से ऊपर मानकर ऐसे बयान दे रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी संविधान बचाओ का नारा बुलंद इसलिए ही कर रहे हैं क्योंकि सत्ताधारी भाजपा और आरएसएस की सोच एवं इनका प्रयास संविधान को बदल का है। सुप्रीम कोर्ट ने 1973 में केशवानंद भारती मामले में स्पष्ट फैसला दिया था कि पंथ निरपेक्षता एवं समाजवाद भले ही संविधान में नहीं लिखे गए हैं पर ये संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं। इंदिरा गांधी ने 1976 में इन दोनों शब्दों को लिखित तौर पर प्रस्तावना का हिस्सा बनाकर इस भावना को और मजबूत किया।

1976 के इस संशोधन को भी सु्प्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी एवं मिनर्वा मिल्स केस में सुप्रीम कोर्ट ने समाजवाद एवं पंथ निरपेक्षता को प्रस्तावना में जोडऩे को उचित ठहराया। 1994 में एस आर बोमई केस एवं 2024 में बलराम सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट ने पुन: इस बात को दोहराया।

सु्प्रीम कोर्ट के फैसलों को न मानने की सोच रखने वाले लोगों पर होनी चाहिए कार्रवाई
अशोक गहलोत ने कहा कि बार-बार ऐसे बयान देकर देश का माहौल बिगाडऩे वाले एवं सु्प्रीम कोर्ट के फैसलों को न मानने की सोच रखने वाले लोगों पर न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए जिससे संविधान के ताने बाने को छेडऩे की हिम्मत कोई न कर सके।

PC:wionews
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