इंटरनेट डेस्क। 20 अक्टूबर को देशभर में दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन लोग शाम के समय भगवान लक्ष्मी गणेश जी का पूजन करते है। अमावस्या तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर को दोपहर 03.44 पीएम पर हो रहा है, और शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में अमावस्या तिथि के दौरान करना ही श्रेष्ठ माना जाता है, जो 20 अक्टूबर को ही उपलब्ध है।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे का समय प्रदोष काल कहलाता है। यह समय दिन और रात के संधि काल के समान होता है। माना जाता है कि इस समय वातावरण में दिव्य ऊर्जा का प्रवाह बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस काल में की गई पूजा अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है।
पूजन का समय
प्रदोष काल मुहूर्त (मुख्य) - शाम 07.08 से 08.18 पीएम तक 1 घंटा 10 मिनट
प्रदोष काल - शाम 05.46 पीएम से 08.18 पीएम तक
वृषभ काल (स्थिर लग्न) - शाम 07.08 पीएम से 09.03 पीएम तक
निशिता काल मुहूर्त रात 11.41 पीएम से 12.31 पीएम (21 अक्टूबर)
पूजन सामग्री
पूजा के लिए मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा और कलावा अवश्य रखें
वस्त्र और शहद
गंगाजल, फूल, फूल माला, सिंदूर और पंचामृत
बताशे, इत्र, चौकी और लाल वस्त्र के साथ कलश
शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का।
कमल का फूल और हवन कुंड।
हवन सामग्री, आम के पत्ते और प्रसाद
रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान।
इस दौरान सुपारी, नारियल और मिट्टी के दीए संग रुई भी शामिल करें
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