नई दिल्ली। बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून को हुई भगदड़ मामले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सीएटी) ने आईपीएल फ्रेंचाइजी रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) को ही जिम्मेदार माना है। इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने बेंगलुरु के एडिशनल कमिश्नर विकास कुमार के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है। भगदड़ की घटना के बाद कर्नाटक सरकार ने एक्शन लेते हुए कुछ अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। न्यायाधिकरण का कहना है कि आरसीबी की ओर से पुलिस की अनुमति के बिना विजय जुलूस की घोषणा कर दी गई इसी के चलते अव्यवस्था हुई। न्यायाधिकरण ने कहा कि पुलिसकर्मी न तो भगवान हैं और न ही जादूगर, जो पलक झपकते सारा इंतजाम कर दे।
न्यायाधिकरण ने कहा कि पुलिस को आरसीबी के विजय जुलूस के आयोजन के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल सका, समय के अभाव में अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती भी नहीं हो पाई जिसके चलते भीड़ कंट्रोल से बाहर हो गई और भगदड़ मच गई। तीन से पांच लाख लोगों की भीड़ इकट्ठा होने के लिए आरसीबी ही जिम्मेदार है। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि आईपीएस विकास कुमार के निलंबन के पीरियड को सेवा का हिस्सा माना जाए। साथ ही बेंगलुरु के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद और डीसीपी शेखर के निलंबन के फैसले पर कर्नाटक सरकार से पुनर्विचार करने को बोला है।
आपको बता दें कि इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई अन्य घायल हुए थे। आईपीएल 2025 का खिताब जीतने के बाद जब आरसीबी टीम बेंगलुरु पहुंची तो बिना किसी पूर्व इंतजाम के विजय जुलूस निकालने का ऐलान कर दिया गया। अपने चहेते खिलाड़ियों की एक झलक पाने के लिए बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर लाखों की संख्या में लोग पहुंच गए और यह हादसा हो गया। इस घटना के बाद कर्नाटक सरकार, कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन, आरसीबी की बड़ी आलोचना हुई थी।
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