हर सुबह और रात को दांतों को ब्रश करना ज़रूरी है। हम चमकदार दांतों के लिए टूथपेस्ट का इस्तेमाल करते हैं । लेकिन ज़्यादातर लोग यह नहीं जानते कि यही दांतों के पीलेपन और मसूड़ों के कमज़ोर होने का कारण बनता है। लेकिन हमारे बुज़ुर्ग उस ज़माने में टूथपेस्ट का इस्तेमाल नहीं करते थे । इसकी जगह वे नीम और बबूल की प्राकृतिक लकड़ियों का इस्तेमाल करते थे। कुछ गाँवों में आज भी नीम और बबूल की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। उनके दांत आज भी स्वस्थ हैं।दातुन क्या है?दातुन नीम, बबूल या करंज जैसे पेड़ों की लकड़ियों से बना एक प्राकृतिक टूथब्रश है। इसे चबाने से दांत साफ होते हैं, मसूड़ों की अच्छी मालिश होती है और बैक्टीरिया भी मरते हैं। जब टूथब्रश या रासायनिक पेस्ट उपलब्ध नहीं थे, तब इसी दातुन का इस्तेमाल किया जाता था।इसके लाभ:प्राकृतिक एंटीसेप्टिक: नीम और बबूल की कड़वी लकड़ियों में जीवाणुरोधी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।प्राकृतिक फ्लॉसिंग : इन्हें चबाने से रेशे दांतों के बीच पहुंच जाते हैं और फंसे हुए भोजन और प्लाक को हटा देते हैं।मसूड़ों को मजबूत बनाता है: दातुन से मसूड़ों की धीरे-धीरे मालिश की जाती है, जिससे रक्त संचार बढ़ता है और मसूड़े मजबूत होते हैं।पीलापन दूर होता है : नियमित इस्तेमाल से दांतों का पीलापन भी दूर हो जाता है।सांसों की दुर्गंध से राहत : ये स्टिक सांसों की दुर्गंध को खत्म करती हैं।इसका उपयोग कैसे करना है?सुबह नीम या बबूल की एक पतली डंडी लें। उसके एक सिरे को चबाकर पेस्ट बना लें। फिर उसे अपने दांतों पर धीरे से मलें और मसूड़ों की मालिश करें। इसे दिन में एक बार इस्तेमाल करें।
You may also like
एशिया कप 2025: पाकिस्तान बनाम श्रीलंका मैच की भविष्यवाणी और पिच रिपोर्ट
एनटीके ने तमिलनाडु सरकार के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन, वादाखिलाफी का आरोप
झारखंड में दलित नेतृत्व के उत्थान के लिए कांग्रेस ने शुरू किया अभियान
मौसम विभाग ने दुर्गा पूजा के दौरान बारिश और आंधी-तूफान की जताई संभावना
ये टोटका कर लो, पैसों की बारिश होगी', कहकर बुलाता था होटल, फिर करता था काला जादू, और…