जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया है। इस सिलसिले में शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और अन्य वरिष्ठ मंत्री मौजूद थे।
पाकिस्तान को भेजा गया आधिकारिक पत्रसूत्रों के अनुसार, भारत ने इस फैसले की जानकारी औपचारिक रूप से पाकिस्तान को दे दी है। जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैय्यद अली मुर्तुजा को पत्र भेजकर भारत के फैसले की सूचना दी है।
संधि में बदलाव की मांगभारत सरकार द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि संधि की कई बुनियादी शर्तों में बदलाव हो चुके हैं और मौजूदा हालात में इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। इसमें जनसंख्या वृद्धि, स्वच्छ ऊर्जा की जरूरतें और जल वितरण को लेकर मौजूदा चुनौतियों का उल्लेख किया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि पाकिस्तान ने संधि के कई प्रावधानों को कभी स्वीकार नहीं किया और बातचीत के लिए भी तैयार नहीं हुआ।
सुरक्षा कारणों से सीमित उपयोगभारत का कहना है कि सीमा पार आतंकवाद और पाकिस्तान की अड़ियल नीति के कारण वह संधि के तहत मिले जल अधिकारों का पूरा उपयोग नहीं कर पा रहा है। इसलिए भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने का निर्णय लिया है।
क्या है सिंधु जल संधि?साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। यह संधि सिंधु और उसकी सहायक नदियों के जल के उपयोग को लेकर मार्गदर्शिका तय करती है। यह समझौता दशकों से दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का आधार रहा है।
पहलगाम हमले के बाद लिया गया यह कदम भारत की बदली हुई रणनीति को दर्शाता है, जिसमें आतंकवाद को लेकर कोई नरमी नहीं बरती जा रही है।
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