वॉशिंगटन: अमेरिका के दिग्गज अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने आगाह करते हुए कहा है कि 'भारत को चीन के खिलाफ अमेरिका को खुद का इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए।' जेफरी सैक्स ने सलाह उस वक्त दी है जब डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है, जिसमें 25 प्रतिशत टैरिफ रूसी तेल खरीदने को लेकर है। हालांकि आज पुतिन से मुलाकात के बाद ट्रंप ने अतिरिक्त टैरिफ को हटाने के संकेत दिए हैं, लेकिन कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रोफेसर जेफरी डी. सैक्स का कहना है कि ट्रंप के फैसले न सिर्फ भारत-अमेरिका आर्थिक रिश्तों के लिए खतरा है, बल्कि यह ट्रंप की "वन-मैन रूल" शैली की राजनीति को भी उजागर करता है।
उनका तर्क देते हुए कहा है कि "अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 1, सेक्शन 8 के मुताबिक टैरिफ तय करने का अधिकार कांग्रेस का है, न कि राष्ट्रपति का। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक आपातकाल की घोषणा कर रहे हैं और देशों पर टैरिफ लगा रहे हैं। वो इस अधिकार का दुरुपयोग करते रहे हैं।" सैक्स के मुताबिक, यह न सिर्फ अमेरिकी कानून के खिलाफ है बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून की भी धज्जियां उड़ाता है। भारत, जिसने दशकों से अमेरिका के साथ स्थिर और सहयोगी संबंध बनाए हैं, वो अब फिर से विचार करने को मजबूर है कि क्या अमेरिका वाकई एक भरोसेमंद साझेदार हो सकता है।
'अमेरिका का मोहरा ना बने भारत'
आपको बता दें जेफरी सैक्स ने लैटिन अमेरिका, पूर्वी यूरोप, पूर्व सोवियत संघ, एशिया और अफ्रीका की सरकारों को सलाह दी है। उन्होंने एनडीडी से बात करते हुए कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर जो 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए हैं वो दशकों से दोनों देशों के बीच जो मजबूत रिश्ता बना है, उसे गंभीर नुकसान पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि "बेशक इसके नकारात्मक परिणाम होंगे, लेकिन यह वही बात साबित करता है जो मैं वर्षों से अपने प्रिय भारतीय मित्रों से कहता आ रहा हूं, कि अमेरिका दूसरे देशों का इस्तेमाल करता है। वह दूसरे देशों के प्रति जिम्मेदारी से पेश नहीं आता, इसलिए सावधान रहें। भारत को खुद को अमेरिका द्वारा इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए, उदाहरण के लिए, जैसे कि चीन के साथ अमेरिका के गुमराह व्यापार युद्ध में हुआ है।" उन्होंने कहा कि 'पश्चिमी देश भी चीन के खिलाफ ट्रेड वॉर में भारत को खींचने की कोशिश कर रहे हैं।'
सैक्स ने सलाह देते कहा कि "भारत को अपनी विदेश और व्यापार नीति को एक ही देश, यानि अमेरिका पर आधारित नहीं करना चाहिए। इसके बजाय उसे रूस, चीन, आसियान, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में अपने रिश्तों को संतुलित और विविध बनाना चाहिए।" उनका यह भी कहना था कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था भविष्य में धीमी रहेगी, अस्थिर रहेगी और प्रोटेक्शनिस्ट रास्ते को ही अपनाए रखेगी। ऐसे में भारत को उस पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करना खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि 'कई लोग मुझसे कहते रहे हैं कि अमेरिका, चीन के खिलाफ भारत की मदद करेगा, चीन के बजाए भारत में सप्लाई चेन बनाने में मदद करेगा, लेकिन मैं हमेशा से कहता आया हूं कि ऐसा नहीं होगा। अमेरिका ऐसा नहीं करेगा। अमेरिता, भारत से निर्यात में उतना विस्तार नहीं होने देगा, जितना वो चीन से होने दे रहा है।'
चीन के साथ रिश्तों को लेकर क्या कहा?
इसके अलावा प्रो. सैक्स ने भारत-चीन रिश्तों पर भी खुलकर अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि अगर भारत और चीन ग्रीन एनर्जी, डिजिटल टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर जैसे एडवांस क्षेत्रों में सहयोग करें, तो दोनों को जबरदस्त लाभ होगा। सैक्स का मानना है कि भले ही वर्तमान में भारत-चीन रिश्तों में सीमा विवाद और अविश्वास का माहौल है, लेकिन दोनों को चाहिए कि वे इन मुद्दों का समाधान ढूंढें और सहयोग के दरवाजे खोलें।
उनका तर्क देते हुए कहा है कि "अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 1, सेक्शन 8 के मुताबिक टैरिफ तय करने का अधिकार कांग्रेस का है, न कि राष्ट्रपति का। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक आपातकाल की घोषणा कर रहे हैं और देशों पर टैरिफ लगा रहे हैं। वो इस अधिकार का दुरुपयोग करते रहे हैं।" सैक्स के मुताबिक, यह न सिर्फ अमेरिकी कानून के खिलाफ है बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून की भी धज्जियां उड़ाता है। भारत, जिसने दशकों से अमेरिका के साथ स्थिर और सहयोगी संबंध बनाए हैं, वो अब फिर से विचार करने को मजबूर है कि क्या अमेरिका वाकई एक भरोसेमंद साझेदार हो सकता है।
'अमेरिका का मोहरा ना बने भारत'
आपको बता दें जेफरी सैक्स ने लैटिन अमेरिका, पूर्वी यूरोप, पूर्व सोवियत संघ, एशिया और अफ्रीका की सरकारों को सलाह दी है। उन्होंने एनडीडी से बात करते हुए कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर जो 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए हैं वो दशकों से दोनों देशों के बीच जो मजबूत रिश्ता बना है, उसे गंभीर नुकसान पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि "बेशक इसके नकारात्मक परिणाम होंगे, लेकिन यह वही बात साबित करता है जो मैं वर्षों से अपने प्रिय भारतीय मित्रों से कहता आ रहा हूं, कि अमेरिका दूसरे देशों का इस्तेमाल करता है। वह दूसरे देशों के प्रति जिम्मेदारी से पेश नहीं आता, इसलिए सावधान रहें। भारत को खुद को अमेरिका द्वारा इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए, उदाहरण के लिए, जैसे कि चीन के साथ अमेरिका के गुमराह व्यापार युद्ध में हुआ है।" उन्होंने कहा कि 'पश्चिमी देश भी चीन के खिलाफ ट्रेड वॉर में भारत को खींचने की कोशिश कर रहे हैं।'
सैक्स ने सलाह देते कहा कि "भारत को अपनी विदेश और व्यापार नीति को एक ही देश, यानि अमेरिका पर आधारित नहीं करना चाहिए। इसके बजाय उसे रूस, चीन, आसियान, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में अपने रिश्तों को संतुलित और विविध बनाना चाहिए।" उनका यह भी कहना था कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था भविष्य में धीमी रहेगी, अस्थिर रहेगी और प्रोटेक्शनिस्ट रास्ते को ही अपनाए रखेगी। ऐसे में भारत को उस पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करना खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि 'कई लोग मुझसे कहते रहे हैं कि अमेरिका, चीन के खिलाफ भारत की मदद करेगा, चीन के बजाए भारत में सप्लाई चेन बनाने में मदद करेगा, लेकिन मैं हमेशा से कहता आया हूं कि ऐसा नहीं होगा। अमेरिका ऐसा नहीं करेगा। अमेरिता, भारत से निर्यात में उतना विस्तार नहीं होने देगा, जितना वो चीन से होने दे रहा है।'
चीन के साथ रिश्तों को लेकर क्या कहा?
इसके अलावा प्रो. सैक्स ने भारत-चीन रिश्तों पर भी खुलकर अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि अगर भारत और चीन ग्रीन एनर्जी, डिजिटल टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर जैसे एडवांस क्षेत्रों में सहयोग करें, तो दोनों को जबरदस्त लाभ होगा। सैक्स का मानना है कि भले ही वर्तमान में भारत-चीन रिश्तों में सीमा विवाद और अविश्वास का माहौल है, लेकिन दोनों को चाहिए कि वे इन मुद्दों का समाधान ढूंढें और सहयोग के दरवाजे खोलें।
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