वॉशिंगटन: पाकिस्तान और चीनी खतरों को काउंटर करने के लिए भारत मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्रोग्राम के तहत 100 से ज्यादा लड़ाकू विमान खरीदने वाला है। जिसके लिए अमेरिकी हथियार बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत को F-21 लड़ाकू विमान की पेशकश की है। हालांकि इसके बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी है कि अमेरिका ने चार दशक पहले एफ-21 नाम के एक विमान का संचालन किया था। पाकिस्तान के साथ मौजूदा तनाव की स्थिति और चीन के साथ तनावपूर्ण हाालातों को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत जल्द ही 114 मल्टी-रोल फाइटर जेट खरीद सकता है। लॉकहीड मार्टिन ने भारत को जो ऑफर दिया है, वो 'भारत से, भारत के लिए' है। यानि अगर भारत ये सौदा करता है कि एफ-21 लड़ाकू विमान के उत्पादन के लिए लॉकहीड मार्टिन भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट ट्रांसफर करेगा, जिसके लिए अमेरिकी कंपनी ने पहले ही टाटा ग्रुप के साथ साझेदारी कर ली है।एफ-21 लड़ाकू विमान, एफ-16 ब्लॉक 70 का अपग्रेडेड वर्जन है, जिसमें F-35 लाइटनिंग II और F-22 रैप्टर जैसे एवियोनिक्स लगाए गये हैं। लिहाजा F-21 लड़ाकू विमानों को अब तक निर्मित सबसे सोफिस्टिकेटेड F-16 वैरिएंट कहा गया है। हालांकि, F-21 अपने एयरफ्रेम, इंजन मैट्रिक्स, हथियार क्षमता, स्टील्थ सुविधाओं और इंजन संचालन उपलब्धता के मामले में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों से अलग है। भारत को एफ-21 लड़ाकू विमान का ऑफरलॉकहीड मार्टिन की पेशकश में कहा गया है कि इस लड़ाकू विमान में एडवांस APG-83 एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार, लंबी दूरी की IRST, बेहतर ईंधन दक्षता (यह दुनिया का एकमात्र ऐसा लड़ाकू विमान है जिसमें प्रोब/ड्रग और बूम-एरियल रिफ्यूलिंग है; इसमें कंफर्मल ईंधन टैंक भी हैं), 5वीं पीढ़ी की टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने वाला बड़ा क्षेत्र डिस्प्ले, बढ़ी हुई उत्तरजीविता, 12000 घंटे की सेवा अवधि और विरासत के लड़ाकू विमानों की तुलना में 40% ज्यादा हवा से हवा में मार करने की क्षमता है। इसके अलावा इसे ट्रिपल मिसाइल लॉन्च एडेप्टर के साथ कॉन्फिगर किया जा सकता है। हालांकि अमेरिका ने भारत को एफ-35 लाइटनिंग II फाइटर जेट का भी ऑफर दे रखा है, लेकिन अभी तक आधिकारिक ऑफर नहीं दिया गया है, लिहाजा माना जा रहा है कि अमेरिका एफ-21 को ही भारत के एमआरएफए प्रोग्राम के लिए दावेदार बना रहेगा।एफ-21 लड़ाकू विमान की कीमत राफेल, यूरोफाइटर टाइफून और F-15EX फाइटर जेट्स की तुलना में काम होने की संभावना है। इसके अलावा अमेरिकी कंपनी का दावा है कि इसके मेंटिनेंस की कीमत भी कम होगी। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि टेक्नोलॉजी के पैमाने पर एडवांस होने के बावजूद अभी भी ये फाइटर जेट, एफ-16 प्लेटफॉर्म पर आधारित है। MMRCA टेंडर प्रक्रिया के दौरान भारत पहले भी इस फाइटर जेट के ऑफर को खारिज कर चुका है। चूंकी भारत स्वदेशी फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट बना रहा है, ऐसे में माना जा रहा है कि भारत लॉकहीड मार्टिन के इस ऑफर को फिर से खारिज कर देगा। अमेरिका को लीज पर मिला था एफ-21केफिर 'एफ-21' को अमेरिका ने लीज पर लिया था और इसके पीछे दिलचस्प कहानी है। इसे इजरायल ने स्वदेशी तौर पर बनाया था और इसका इस्तेमाल 1975 से 1990 तक किया। हालांकि इस फाइटर जेट ने किसी युद्ध में भाग नहीं लिया, लेकिन अमेरिका ने इसे लीज पर ले लिया। अमेरिका ने इसे अमेरिकी नौसेना और मरीन कॉर्प्स को हवाई-युद्ध युद्धाभ्यास (ACM) प्रशिक्षण के लिए "असमान" विमान के रूप में इस्तेमाल करने के लिए पट्टे पर लिया था। 1980 के दशक की शुरुआत में अमेरिकी नौसेना और मरीन पायलटों ने डगलस ए-4 स्काईहॉक, नॉर्थ्रॉप एफ-5 फ्रीडम फाइटर और टी-38 टैलोन ट्रेनर को एक काल्पनिक दुश्मन के खिलाफ रणनीति का प्रशिक्षण देने के लिए असमान या प्रतिकूल विमान के रूप में ऑपरेट करना था। इसीलिए इस विमान को चुना गया था। हालांकि आज के एफ-21 से इसका कोई लेनादेना नहीं है।
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