अंकारा: तुर्की ने पाकिस्तान के वर्षों पुराने सपने को पूरा कर दिया है। सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि PN MILGEM प्रोजेक्ट के तहत तुर्की में पाकिस्तानी नौसेना के लिए बने युद्धपोत ने सफलतापूर्वक लाइव-फायर टेस्ट पूरे कर लिए हैं। दावा किया गया है कि इस लाइव फायरिंग टेस्ट में उच्च स्तर की तकनीकी क्षमता, सिस्टम इंटीग्रेशन और ऑपरेशनल विश्वसनीयता का प्रदर्शन हुआ है।
अनादोलु एजेंसी ने बताया है कि इस युद्धपोत को पाकिस्तान के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया है। PN MILGEM प्रोजेक्ट के तहत तुर्की पाकिस्तान के लिए चार युद्धपोत बना रहा है, जिनमें से दूसरे युद्धपोत PNS खैबर ने हालिया परीक्षणों के दौरान समुद्र से जमीन और हवा, दोनों ही लक्ष्यों पर सटीक निशाना साधा। आपको बता दें कि अंकारा और इस्लामाबाद के बीच 2020 के चार युद्धपोत के निर्माण के लिए समझौता किया गया था। इस समझौते के तहत चार MILGEM-क्लास के कोरवेट, दो इस्तांबुल नेवल शिपयार्ड में और दो कराची शिपयार्ड एंड इंजीनियरिंग वर्क्स में बनाने का सौदा किया गया था।
तुर्की ने पाकिस्तान के लिए बनाया युद्धपोत
अनादोलु एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट में तुर्की की डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर कंपनी Havelsan ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उसने युद्धपोत को अत्याधुनिक ADVENT Combat Management System और FLEETSTAR Ship Data Distribution System से लैस किया है। इससे युद्धपोत के सभी सेंसर, हथियार और कम्युनिकेशन सिस्टम को इंटीग्रेट और ऑपरेट किया जाता है। इससे जहाज की परिचालन दक्षता और रियल-टाइम प्रतिक्रिया क्षमता में भी इजाफा किया गया है। इससे पहले इस परियोजना का पहला जहाज PNS बाबर अप्रैल 2024 में अपने फायरिंग परीक्षणों में सफल रहा था और फिर उसे पाकिस्तान नौसेना में शामिल किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, PNS खैबर के टेस्ट के दौरान उसके 76mm मुख्य तोप ने निर्धारित जमीनी लक्ष्य पर निशाना साधा है, जबकि STOP 25mm रिमोट-कंट्रोल्ड स्टेबलाइज्ड गन सिस्टम ने सतह पर मौजूद लक्ष्यों पर निशाना साधा। कामयाब परीक्षण के बाद अब ये युद्धपोत, तुर्की की नौसेना के साथ ज्वाइंट एक्सरसाइज करेगा और आखिरी हरी झंडी मिलने के बाद इसे पाकिस्तान को सौंप दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान में जो दो युद्धपोत बन रहे हैं, उनमें से एक PNS बद्र का निर्माण कराची शिपयार्ड में अंतिम चरण में है, जिसके इस साल दिसंबर में समुद्री परीक्षण शुरू होने की संभावना है। वहीं, चौथा और अंतिम जहाज PNS तरीक भी निर्माणाधीन है और 2026 के अंत तक इसके परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है।
PNS खैबर युद्धपोत की क्षमता कितनी है?
रिपोर्ट के मुताबिक, ये जहाज करीब 99 मीटर लंबा है और 14.4 मीटर चौड़ा है। इसका डिस्प्लेसमेंट 2900 टन है और इसकी स्पीड 26 नॉट्स यानी लगभग 48 किमी/घंटा तक है। इस युद्धपोत का रेंज 3500 नॉटिकल माइल है और ये बिना रिफ्यूलिंग के 15 दिनों तक समुद्र में रह सकता है। इस युद्धपोत में सरफेस टू एयर मिसाइल, एंटी-शिप मिसाइल और पनडुब्बियों से मुकाबले के लिए हल्के टॉरपीडो लगाए गये हैं। इसके अलावा इस युद्धपोत में 3D रडार सिस्टम (हवाई और समुद्री लक्ष्यों की पहचान के लिए), इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, सोनार सिस्टम और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर भी लगाए गये हैं। इसके अलावा इस युद्धपोत को पाकिस्तान के Z-9EC हेलीकॉप्टर को उतारने के लिए डिजाइन किया गया है। ये एक तरह का मिनी फ्रिगेट है, जो आकार में छोटा है, लेकिन इसकी क्षमता इसके आकार से काफी ज्यादा मानी जाती है। पाकिस्तान नौसेना के लिए ये सबसे एडवांस युद्धपोतों में से एक है।
अनादोलु एजेंसी ने बताया है कि इस युद्धपोत को पाकिस्तान के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया है। PN MILGEM प्रोजेक्ट के तहत तुर्की पाकिस्तान के लिए चार युद्धपोत बना रहा है, जिनमें से दूसरे युद्धपोत PNS खैबर ने हालिया परीक्षणों के दौरान समुद्र से जमीन और हवा, दोनों ही लक्ष्यों पर सटीक निशाना साधा। आपको बता दें कि अंकारा और इस्लामाबाद के बीच 2020 के चार युद्धपोत के निर्माण के लिए समझौता किया गया था। इस समझौते के तहत चार MILGEM-क्लास के कोरवेट, दो इस्तांबुल नेवल शिपयार्ड में और दो कराची शिपयार्ड एंड इंजीनियरिंग वर्क्स में बनाने का सौदा किया गया था।
तुर्की ने पाकिस्तान के लिए बनाया युद्धपोत
अनादोलु एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट में तुर्की की डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर कंपनी Havelsan ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उसने युद्धपोत को अत्याधुनिक ADVENT Combat Management System और FLEETSTAR Ship Data Distribution System से लैस किया है। इससे युद्धपोत के सभी सेंसर, हथियार और कम्युनिकेशन सिस्टम को इंटीग्रेट और ऑपरेट किया जाता है। इससे जहाज की परिचालन दक्षता और रियल-टाइम प्रतिक्रिया क्षमता में भी इजाफा किया गया है। इससे पहले इस परियोजना का पहला जहाज PNS बाबर अप्रैल 2024 में अपने फायरिंग परीक्षणों में सफल रहा था और फिर उसे पाकिस्तान नौसेना में शामिल किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, PNS खैबर के टेस्ट के दौरान उसके 76mm मुख्य तोप ने निर्धारित जमीनी लक्ष्य पर निशाना साधा है, जबकि STOP 25mm रिमोट-कंट्रोल्ड स्टेबलाइज्ड गन सिस्टम ने सतह पर मौजूद लक्ष्यों पर निशाना साधा। कामयाब परीक्षण के बाद अब ये युद्धपोत, तुर्की की नौसेना के साथ ज्वाइंट एक्सरसाइज करेगा और आखिरी हरी झंडी मिलने के बाद इसे पाकिस्तान को सौंप दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान में जो दो युद्धपोत बन रहे हैं, उनमें से एक PNS बद्र का निर्माण कराची शिपयार्ड में अंतिम चरण में है, जिसके इस साल दिसंबर में समुद्री परीक्षण शुरू होने की संभावना है। वहीं, चौथा और अंतिम जहाज PNS तरीक भी निर्माणाधीन है और 2026 के अंत तक इसके परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है।
PNS खैबर युद्धपोत की क्षमता कितनी है?
रिपोर्ट के मुताबिक, ये जहाज करीब 99 मीटर लंबा है और 14.4 मीटर चौड़ा है। इसका डिस्प्लेसमेंट 2900 टन है और इसकी स्पीड 26 नॉट्स यानी लगभग 48 किमी/घंटा तक है। इस युद्धपोत का रेंज 3500 नॉटिकल माइल है और ये बिना रिफ्यूलिंग के 15 दिनों तक समुद्र में रह सकता है। इस युद्धपोत में सरफेस टू एयर मिसाइल, एंटी-शिप मिसाइल और पनडुब्बियों से मुकाबले के लिए हल्के टॉरपीडो लगाए गये हैं। इसके अलावा इस युद्धपोत में 3D रडार सिस्टम (हवाई और समुद्री लक्ष्यों की पहचान के लिए), इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, सोनार सिस्टम और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर भी लगाए गये हैं। इसके अलावा इस युद्धपोत को पाकिस्तान के Z-9EC हेलीकॉप्टर को उतारने के लिए डिजाइन किया गया है। ये एक तरह का मिनी फ्रिगेट है, जो आकार में छोटा है, लेकिन इसकी क्षमता इसके आकार से काफी ज्यादा मानी जाती है। पाकिस्तान नौसेना के लिए ये सबसे एडवांस युद्धपोतों में से एक है।
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