नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान को ऐसे जख्म दिए, जिनका भर पाना काफी मुश्किल हो गया है। ऑपरेशन सिंदूर से पस्त हुआ पाकिस्तान अब पानी के लिए तरस रहा है। लेकिन भारत मजबूत इरादों के साथ पाकिस्तान को सख्त सबक सिखाने पर अड़ा है। दरअसल पहलगाम अटैक के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ की गई सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। इस संधि से स्थगित होने के बाद से ही पाकिस्तान छटपटा रहा है।
उधर भारत ने शुक्रवार को 1960 की सिंधु जल संधि के तहत बने मध्यस्थता न्यायालय को अवैध बताया और उसकी अधिकारिता को सिरे से खारिज कर दिया। भारत पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि उसके खिलाफ हुई संधि को वो नहीं मानेगा। भारत के इस सख्त रवैया से पाकिस्तान की हेकड़ी धरी की धरी रह गई। साथ ही भारत ने चीन पर भी नकेल कस दी है। भारत का साफ कहना है कि वह अपने हिसाब से अपने देश के संसाधनों का इस्तेमाल करेगा।
विदेश मंत्रालय (MEA) ने जम्मू और कश्मीर में किशनगंगा और रैटल जलविद्युत परियोजनाओं पर सुनवाई करने के अधिकार का दावा करने वाले मध्यस्थता न्यायालय के 'सप्लीमेंटल अवॉर्ड' को खारिज कर दिया। मंत्रालय ने यह भी कहा कि न्यायालय का गठन 1960 की सिंधु जल संधि का उल्लंघन करके किया गया था। भारत सरकार ने हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि उसने पाकिस्तान के साथ विवाद समाधान के तथाकथित ढांचे को कभी मान्यता नहीं दी है। भारत ने जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रैटल हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से जुड़े तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय के फैसले को सिरे से खारिज कर दिया है।
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि भारत में आतंकवादी हमलों के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया गया। मंत्रालय ने कहा कि भारत ने एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए सिंधु जल संधि को तब तक के लिए स्थगित कर दिया है, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता, जब तक संधि स्थगित है, तब तक भारत संधि के तहत अपने किसी भी दायित्व को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं है।
भारत की दो टूक भारत ने तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय को पाकिस्तान के इशारे पर काम करने वाला बताया। भारत ने कहा कि इस स्व-नियुक्त पैनल का कानून की नजर में कोई अस्तित्व नहीं है। भारत ने कहा कि किसी भी मध्यस्थता न्यायालय को, खासकर इस अवैध रूप से गठित निकाय को, भारत के संप्रभु अधिकारों के प्रयोग की वैधता की जांच करने का अधिकार नहीं है।
आतंकवाद पर भारत का सख्त रवैयाभारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान पर आतंकवाद को खत्म करने का दबाव बनाने का आह्वान किया है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान को यह समझना होगा कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। भारत का कहना है कि वह पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है, लेकिन पहले पाकिस्तान को आतंकवाद को खत्म करना होगा।
चीन और पाकिस्तान दोनों को कड़ा संदेश भारत का यह रुख पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संदेश है। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि अगर वह भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है, तो उसे आतंकवाद को खत्म करना होगा। साथ ही इसके जरिए भारत ने चीन को भी अपनी हदों में रहने का संदेश दिया है। भारत ने यह भी कहा है कि वह सिंधु जल संधि के तहत अपने अधिकारों की रक्षा करेगा। भारत का कहना है कि वह अपनी जरूरतों के अनुसार सिंधु नदी के पानी का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है।
उधर भारत ने शुक्रवार को 1960 की सिंधु जल संधि के तहत बने मध्यस्थता न्यायालय को अवैध बताया और उसकी अधिकारिता को सिरे से खारिज कर दिया। भारत पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि उसके खिलाफ हुई संधि को वो नहीं मानेगा। भारत के इस सख्त रवैया से पाकिस्तान की हेकड़ी धरी की धरी रह गई। साथ ही भारत ने चीन पर भी नकेल कस दी है। भारत का साफ कहना है कि वह अपने हिसाब से अपने देश के संसाधनों का इस्तेमाल करेगा।
विदेश मंत्रालय (MEA) ने जम्मू और कश्मीर में किशनगंगा और रैटल जलविद्युत परियोजनाओं पर सुनवाई करने के अधिकार का दावा करने वाले मध्यस्थता न्यायालय के 'सप्लीमेंटल अवॉर्ड' को खारिज कर दिया। मंत्रालय ने यह भी कहा कि न्यायालय का गठन 1960 की सिंधु जल संधि का उल्लंघन करके किया गया था। भारत सरकार ने हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि उसने पाकिस्तान के साथ विवाद समाधान के तथाकथित ढांचे को कभी मान्यता नहीं दी है। भारत ने जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रैटल हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से जुड़े तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय के फैसले को सिरे से खारिज कर दिया है।
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि भारत में आतंकवादी हमलों के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया गया। मंत्रालय ने कहा कि भारत ने एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए सिंधु जल संधि को तब तक के लिए स्थगित कर दिया है, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता, जब तक संधि स्थगित है, तब तक भारत संधि के तहत अपने किसी भी दायित्व को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं है।
भारत की दो टूक भारत ने तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय को पाकिस्तान के इशारे पर काम करने वाला बताया। भारत ने कहा कि इस स्व-नियुक्त पैनल का कानून की नजर में कोई अस्तित्व नहीं है। भारत ने कहा कि किसी भी मध्यस्थता न्यायालय को, खासकर इस अवैध रूप से गठित निकाय को, भारत के संप्रभु अधिकारों के प्रयोग की वैधता की जांच करने का अधिकार नहीं है।
आतंकवाद पर भारत का सख्त रवैयाभारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान पर आतंकवाद को खत्म करने का दबाव बनाने का आह्वान किया है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान को यह समझना होगा कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। भारत का कहना है कि वह पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है, लेकिन पहले पाकिस्तान को आतंकवाद को खत्म करना होगा।
चीन और पाकिस्तान दोनों को कड़ा संदेश भारत का यह रुख पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संदेश है। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि अगर वह भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है, तो उसे आतंकवाद को खत्म करना होगा। साथ ही इसके जरिए भारत ने चीन को भी अपनी हदों में रहने का संदेश दिया है। भारत ने यह भी कहा है कि वह सिंधु जल संधि के तहत अपने अधिकारों की रक्षा करेगा। भारत का कहना है कि वह अपनी जरूरतों के अनुसार सिंधु नदी के पानी का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है।
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