ग्वालियर: ग्वालियर जिले में बंदूक के लाइसेंस को लेकर बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इस खुलासे ने पूरे प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब तक तीन नकली लाइसेंस पकड़े गए हैं, जिसके बाद से आर्म्स डिपार्टमेंट में हड़कंप मच गया है। फर्जी लाइसेंस जारी करने का यह संभवतः देश का पहला मामला है।
दरअसल, जांच में तीन रिवाल्वर और पिस्टल के फर्जी लाइसेंस का खुलासा हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन लाइसेंस पर कलेक्टर और अपर कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर हूबहू किए गए हैं। इन पर मुहर भी लगाई गई है। इतना ही नहीं जिन लाइसेंसों को वैध बताया गया था, उनमें यूनिक आईडी भी फर्जी पाई गई है। यह सारा खेल सॉफ्टवेयर के जरिए नहीं बल्कि हाथ से लिखी डायरी में तैयार किया गया है।
एडीएम को सोशल मीडिया पर मिले थे स्क्रीनशॉट
इस फर्जीवाड़े की जांच कर रहे एडीएम टीएन सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया के जरिए उन्हें इसकी जानकारी मिली थी। उन्हें कुछ स्क्रीनशॉट मिले, जिनमें दो 315 बोर की बंदूक और एक पिस्टल के लाइसेंस की कॉपी थी। लाइसेंस को लेकर यह कहा गया था कि बाह्य कलेक्ट्रेट से जारी किया गया है। लेकिन जांच में पता चला कि ऐसा कोई लाइसेंस अधिकृत रूप से नहीं बनाया गया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा?
इस पूरे फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ तब हुआ जब एक आवेदक ने अपने हथियार लाइसेंस की स्थिति जानने के लिए कलेक्ट्रेट में फोन किया। जब रिकॉर्ड में उसका नाम नहीं मिला तो वह खुद आम शाखा में पहुंचा और मामला उजागर हुआ। प्रशासन अब इस पूरे नेटवर्क की तह तक जाने के लिए आवेदकों से संपर्क कर रहा है।
एक साल पहले लगी थी लाइसेंस पर रोक
बता दें कि पिछले एक साल से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में शस्त्र लाइसेंस जारी करने पर रोक लगी हुई है। प्रशासन ने कहा था आत्मरक्षा के नाम पर जारी हथियार कुछ आपराधिक घटनाओं में इस्तेमाल हुए हैं। इसी का फायदा अब हथियार माफिया उठा रहे हैं, जो नकली लाइसेंस बनाकर लोगों को हथियारों के साथ घूमने की छूट दे रहे हैं।
दरअसल, जांच में तीन रिवाल्वर और पिस्टल के फर्जी लाइसेंस का खुलासा हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन लाइसेंस पर कलेक्टर और अपर कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर हूबहू किए गए हैं। इन पर मुहर भी लगाई गई है। इतना ही नहीं जिन लाइसेंसों को वैध बताया गया था, उनमें यूनिक आईडी भी फर्जी पाई गई है। यह सारा खेल सॉफ्टवेयर के जरिए नहीं बल्कि हाथ से लिखी डायरी में तैयार किया गया है।
एडीएम को सोशल मीडिया पर मिले थे स्क्रीनशॉट
इस फर्जीवाड़े की जांच कर रहे एडीएम टीएन सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया के जरिए उन्हें इसकी जानकारी मिली थी। उन्हें कुछ स्क्रीनशॉट मिले, जिनमें दो 315 बोर की बंदूक और एक पिस्टल के लाइसेंस की कॉपी थी। लाइसेंस को लेकर यह कहा गया था कि बाह्य कलेक्ट्रेट से जारी किया गया है। लेकिन जांच में पता चला कि ऐसा कोई लाइसेंस अधिकृत रूप से नहीं बनाया गया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा?
इस पूरे फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ तब हुआ जब एक आवेदक ने अपने हथियार लाइसेंस की स्थिति जानने के लिए कलेक्ट्रेट में फोन किया। जब रिकॉर्ड में उसका नाम नहीं मिला तो वह खुद आम शाखा में पहुंचा और मामला उजागर हुआ। प्रशासन अब इस पूरे नेटवर्क की तह तक जाने के लिए आवेदकों से संपर्क कर रहा है।
एक साल पहले लगी थी लाइसेंस पर रोक
बता दें कि पिछले एक साल से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में शस्त्र लाइसेंस जारी करने पर रोक लगी हुई है। प्रशासन ने कहा था आत्मरक्षा के नाम पर जारी हथियार कुछ आपराधिक घटनाओं में इस्तेमाल हुए हैं। इसी का फायदा अब हथियार माफिया उठा रहे हैं, जो नकली लाइसेंस बनाकर लोगों को हथियारों के साथ घूमने की छूट दे रहे हैं।
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