नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति को निर्देश दिया है कि वह अपनी अलग रह रही पत्नी की सभी वस्तुएं 24 घंटे के भीतर उसे सौंप दे। अदालत ने टिप्पणी की कि यह बेहद आपत्तिजनक है कि उस व्यक्ति ने 2022 से अपनी पत्नी को उसके कपड़े और अन्य सामान लेने की अनुमति नहीं दी।
क्या था मामला
जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने बीते शुक्रवार को यह टिप्पणी की, जब वह पति द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। मामले में पक्षकार पति ने अदालत से अनुरोध किया था कि उसके नाबालिग बेटे को दिवाली के दिन घर आने की अनुमति दी जाए ताकि परिवार एक साथ पूजा कर सके।
सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी
इस अनुरोध का महिला ने कड़ा विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिता और मां अपने बेटे को पास के मंदिर में पूजा के लिए ले जा सकते हैं, और अगर दादा-दादी चाहें तो वे भी हो सकते हैं। साथ शामिल बेंच ने कहा कि शादियां असफल हो सकती है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि पक्ष इतने नीचे गिर जाएं कि पति अपनी पत्नी को उसके कपड़े तक लेने की अनुमति न दे। यह अलग बात है कि वे साथ नहीं रह सकते, लेकिन कम से कम हम यह अपेक्षा करते हैं कि पत्नी की वस्तुएं उसे लौटा दी जाएं।
खेदजनक है ये बात
अदालत ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है कि 2022 से अब तक पति ने पत्नी को उसके कपड़े और अन्य सामान लेने नहीं दिया। यह दंपती 2016 में विवाह बंधन में बंधा था। जब उनके संबंधों में तनाव उत्पन्न हुआ तो महिला 2022 में बेटे के साथ घर छोड़कर चली गई। तब से वह अलग रह रही है। पति एक बीमा कंपनी में कार्यरत है, जबकि पत्नी एक बैंक में काम करती है।
क्या था मामला
जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने बीते शुक्रवार को यह टिप्पणी की, जब वह पति द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। मामले में पक्षकार पति ने अदालत से अनुरोध किया था कि उसके नाबालिग बेटे को दिवाली के दिन घर आने की अनुमति दी जाए ताकि परिवार एक साथ पूजा कर सके।
सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी
इस अनुरोध का महिला ने कड़ा विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिता और मां अपने बेटे को पास के मंदिर में पूजा के लिए ले जा सकते हैं, और अगर दादा-दादी चाहें तो वे भी हो सकते हैं। साथ शामिल बेंच ने कहा कि शादियां असफल हो सकती है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि पक्ष इतने नीचे गिर जाएं कि पति अपनी पत्नी को उसके कपड़े तक लेने की अनुमति न दे। यह अलग बात है कि वे साथ नहीं रह सकते, लेकिन कम से कम हम यह अपेक्षा करते हैं कि पत्नी की वस्तुएं उसे लौटा दी जाएं।
खेदजनक है ये बात
अदालत ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है कि 2022 से अब तक पति ने पत्नी को उसके कपड़े और अन्य सामान लेने नहीं दिया। यह दंपती 2016 में विवाह बंधन में बंधा था। जब उनके संबंधों में तनाव उत्पन्न हुआ तो महिला 2022 में बेटे के साथ घर छोड़कर चली गई। तब से वह अलग रह रही है। पति एक बीमा कंपनी में कार्यरत है, जबकि पत्नी एक बैंक में काम करती है।
You may also like

यूपीआई ने बनाया रिकॉर्ड, एक दिन में हुआ 1.02 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन

पीसीबी ने लिया बड़ा एक्शन! अनुबंध उल्लंघन के चलते टीम मुल्तान सुल्तान्स को किया निलंबित

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को वर्ल्ड्स बेस्ट कंज्यूमर बैंक 2025' और 'बेस्ट बैंक इन इंडिया' का खिताब

मुंबई क्राइम ब्रांच की बड़ी कार्रवाई: दाऊद नेटवर्क से जुड़ा 256 करोड़ का ड्रग रैकेट बेनकाब, एक गिरफ्तार

रेकॉर्ड कीमत के बावजूद 14 साल के पीक पर पहुंची सोने की डिमांड, आखिर कौन खरीद रहा इतना गोल्ड?




