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Success Story: आर्थिक तंगी ने लिया कड़ा इम्तिहान, दो कंपनियां बेचीं... फिर की ऐसी वापसी कि मुड़कर वापस नहीं देखा

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नई दिल्‍ली: दीपक साहनी दिल्‍ली के रहने वाले हैं। अपनी मेहनत के दम पर उन्‍होंने बड़ी कामयाबी हासिल की है। एक वह भी समय था जब आर्थिक तंगी ने उनका कड़ा इम्तिहान लिया। नौबत यह आ गई थी कि कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़कर उन्‍हें काम पर लगना पड़ा था। लेकिन, मुश्‍किल दौर में भी उन्‍होंने हिम्‍मत नहीं हारी। वापसी करते हुए दीपक ने अपनी पढ़ाई पूरी की और हेल्थियंस नाम की लैब चेन भी शुरू की। आज उनकी कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में है। दीपक ने 2015 में हेल्थियंस की शुरुआत की थी। यह लैब चेन टेस्ट करती है। उनकी कंपनी में 3,200 से ज्‍यादा लोग काम करते हैं। इनमें दर्जनों डॉक्टर और सैकड़ों एडवाइजर भी शामिल हैं। हेल्थियंस की देशभर में सरकारी मान्यता प्राप्त लैब हैं। उनकी सबसे बड़ी लैब गुरुग्राम में है, जो 10,000 वर्ग फीट में फैली है। कंपनी में क्र‍िकेटर युवराज स‍िंंह का भी पैसा लगा। आइए, यहां दीपक साहनी की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।
कम उम्र में चुनौतियों का सामना image

दीपक साहनी का बचपन दिल्ली में बीता। उनके पिता का हॉस्पिटैलिटी और टेक्सटाइल एक्सपोर्ट का व्यवसाय था। 11वीं कक्षा में पिता के व्यवसाय में हुए भारी नुकसान ने परिवार को आर्थिक तंगी में धकेल दिया। इस मुश्किल घड़ी में मात्र 19 साल की उम्र में दीपक ने हार नहीं मानी। अपने एक रिश्तेदार से 2 लाख रुपये उधार लेकर अपनी पहली कंप्यूटर हार्डवेयर और रिपेयर की दुकान खोली। उन्हें अपनी नियमित बीसीए की पढ़ाई छोड़कर पत्राचार से डिग्री पूरी करनी पड़ी। लेकिन, वह कंप्यूटर हार्डवेयर के गुर सीखते रहे। शुरुआती दिनों में खुद पर्चे बांटकर ग्राहकों तक पहुंचने वाले दीपक ने दो साल में ही 120 कंप्यूटर बेचे और 10-12 लाख रुपये कमाए। हालांकि, 2003 तक बड़े खिलाड़ियों के आने से यह बाजार छोटा हो गया।


मेडिकल टूरिज्म की तरफ बढ़े कदम image

अपने कंप्यूटर हार्डवेयर के अनुभव के बाद 2004 में दीपक साहनी ने 3 लाख रुपये का लोन लेकर 'एसडब्ल्यूटी सर्विसेज' नाम की नई सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी शुरू की। उनकी कंपनी छोटी कंपनियों के लिए वेबसाइट और सॉफ्टवेयर बनाने का काम करती थी। 2006 के आसपास अपोलो के दो डॉक्टरों से हुई एक मुलाकात ने उनके लिए मेडिकल टूरिज्म का रास्ता खोला। उन्होंने नी रिप्लेसमेंट और बैरियाट्रिक सर्जरी पर केंद्रित वेबसाइटें बनाईं, जो विदेश से मरीजों को भारत में सस्ती सर्जरी के लिए आकर्षित करती थीं। वैसे तो यह व्यवसाय सफल रहा। लेक‍िन, 2013 तक दीपक को यह एहसास हुआ कि वह 'निगेटिव बिजनेस' में हैं। कारण है कि लोग इलाज के लिए अपनी संपत्ति बेच रहे थे। इस आत्म-साक्षात्कार ने उन्हें कुछ सकारात्मक करने के लिए प्रेरित किया। 2014 में उन्होंने अपनी दोनों कंपनियों को लगभग 5 करोड़ रुपये में बेच दिया।


हेल्थ चेक-अप फर्म शुरू की image

अपनी पत्नी की सलाह पर दीपक ने 2014 के अंत में एक डायग्नोस्टिक और हेल्थ चेक-अप फर्म शुरू की। प्रिवेंटिव डायग्नोस्टिक्स में बड़ी संभावना देखते हुए उन्होंने 2015 में इस कंपनी का नाम बदलकर 'हेल्थियंस' (रजिस्‍टर्ड नाम: एक्सपेडिएंट हेल्थकेयर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड) कर दिया। हेल्थियंस का उद्देश्य लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए समय पर हेल्थ चेक-अप और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना था।


आज करोड़ों का कारोबार image

शुरुआती फंडिंग की चुनौतियों और 12 रिजेक्‍शन के बाद दीपक की मेहनत तब रंग लाई जब 2015 में क्रिकेटर युवराज सिंह ने अपने 'यू वी कैन' फाउंडेशन के जरिये 1 करोड़ रुपये का निवेश किया। युवराज के इस विश्वास ने हेल्थियंस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ का काम किया। आज हेल्थियंस देशभर के 100 से अधिक शहरों में फैल चुकी है। यह 1600 से अधिक टेस्ट प्रदान करती है। 2018-19 में ही इसने 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया था। दीपक आज भी टेक्नोलॉजी के प्रति अपने जुनून को बनाए हुए हैं। वह लगातार सीखते रहते हैं।

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