वेस्टइंडीज ने बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे वनडे में इतिहास रच दिया। उन्होंने एक भी तेज गेंदबाज का इस्तेमाल नहीं किया और सिर्फ स्पिनरों से ही गेंदबाजी कराई। यह वनडे क्रिकेट के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी टीम ने पूरी पारी स्पिनरों से कराई हो। इस अनोखे दांव का फायदा भी मिला और वेस्टइंडीज ने बांग्लादेश को 213 रन पर रोक दिया। यह साबित हो गया कि स्पिन पर निर्भर रणनीति भी काफी असरदार हो सकती है।
एक भी तेज गेंदबाज का नहीं हुआ इस्तेमालटीम में ऑलराउंडर जस्टिन ग्रीव्स थे जो एकमात्र तेज गेंदबाज थे लेकिन वेस्टइंडीज ने उनका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया। इसके बजाय उन्होंने पार्ट-टाइम गेंदबाज एलिक एथेनाजे को मौका दिया। एथेनाज़े ने कमाल का प्रदर्शन किया और पूरे 10 ओवर फेंके जिसमें उन्होंने सिर्फ 14 रन दिए और दो विकेट लिए। बाएं हाथ के स्पिनर गुडाकेश मोती सबसे सफल गेंदबाज रहे। उन्होंने तीन विकेट लिए और वेस्टइंडीज के स्पिन अटैक की अगुवाई की।
कभी नहीं हुआ ऐसापिच पहले मैच की ही इस्तेमाल की गई थी जो धीमी थी और उस पर काफी टर्न और दरारें थीं। इससे बल्लेबाजों के लिए रन बनाना मुश्किल हो रहा था। वेस्टइंडीज की स्पिन पर ज्यादा भरोसा करने की वजह पहले मैच से मिले सबक थे। पहले मैच में बांग्लादेश के ऋषाद हुसैन ने ऐसी ही पिच का फायदा उठाकर छह विकेट लिए थे। वेस्टइंडीज ने उसी पिच की खासियत का फायदा उठाकर रणनीतिक बढ़त हासिल करने की कोशिश की।
श्रीलंका के नाम था रिकॉर्डवनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा स्पिन ओवर फेंकने का पिछला रिकॉर्ड श्रीलंका के नाम था। उन्होंने 1996 में पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ 44 ओवर स्पिन से फेंके थे। उस मैच में मुथैया मुरलीधरन, अरविंद डी सिल्वा, कुमार धर्मसेना, उपुल चंदना, सनथ जयसूर्या और हशन तिलकरत्ने जैसे खिलाड़ियों ने मिलकर 7 विकेट लिए थे और श्रीलंका ने 35 रन से जीत दर्ज की थी। श्रीलंका ने 1998 में न्यूजीलैंड के खिलाफ और 2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी ऐसा ही किया था। इसलिए वनडे में स्पिन-आधारित रणनीति के लिए श्रीलंका का नाम सबसे ज्यादा लिया जाता है।
एक भी तेज गेंदबाज का नहीं हुआ इस्तेमालटीम में ऑलराउंडर जस्टिन ग्रीव्स थे जो एकमात्र तेज गेंदबाज थे लेकिन वेस्टइंडीज ने उनका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया। इसके बजाय उन्होंने पार्ट-टाइम गेंदबाज एलिक एथेनाजे को मौका दिया। एथेनाज़े ने कमाल का प्रदर्शन किया और पूरे 10 ओवर फेंके जिसमें उन्होंने सिर्फ 14 रन दिए और दो विकेट लिए। बाएं हाथ के स्पिनर गुडाकेश मोती सबसे सफल गेंदबाज रहे। उन्होंने तीन विकेट लिए और वेस्टइंडीज के स्पिन अटैक की अगुवाई की।
कभी नहीं हुआ ऐसापिच पहले मैच की ही इस्तेमाल की गई थी जो धीमी थी और उस पर काफी टर्न और दरारें थीं। इससे बल्लेबाजों के लिए रन बनाना मुश्किल हो रहा था। वेस्टइंडीज की स्पिन पर ज्यादा भरोसा करने की वजह पहले मैच से मिले सबक थे। पहले मैच में बांग्लादेश के ऋषाद हुसैन ने ऐसी ही पिच का फायदा उठाकर छह विकेट लिए थे। वेस्टइंडीज ने उसी पिच की खासियत का फायदा उठाकर रणनीतिक बढ़त हासिल करने की कोशिश की।
श्रीलंका के नाम था रिकॉर्डवनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा स्पिन ओवर फेंकने का पिछला रिकॉर्ड श्रीलंका के नाम था। उन्होंने 1996 में पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ 44 ओवर स्पिन से फेंके थे। उस मैच में मुथैया मुरलीधरन, अरविंद डी सिल्वा, कुमार धर्मसेना, उपुल चंदना, सनथ जयसूर्या और हशन तिलकरत्ने जैसे खिलाड़ियों ने मिलकर 7 विकेट लिए थे और श्रीलंका ने 35 रन से जीत दर्ज की थी। श्रीलंका ने 1998 में न्यूजीलैंड के खिलाफ और 2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी ऐसा ही किया था। इसलिए वनडे में स्पिन-आधारित रणनीति के लिए श्रीलंका का नाम सबसे ज्यादा लिया जाता है।
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