लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के दो फैसले ने उनकी पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहले फतेहपुर मकबरा मंदिर विवाद में स्थानीय समाजवादी पार्टी नेता पप्पू सिंह चौहान को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया। अब अखिलेश यादव ने कौशांबी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल को पार्टी से निकाल-बाहर किया है। पिछड़ी जाति से आने वाली विधायक पूजा पाल के निष्कासन पर सवाल उठ रहे हैं। अखिलेश यादव के फैसले से एक बात स्पष्ट हुई है कि मुस्लिम वर्ग को साधने के लिए उन्होंने पिछड़ा वर्ग की नेता पर एक्शन ले लिया। इस मुद्दे पर प्रदेश की राजनीति में बहस तेज हो गई है।
अचानक पूजा पर एक्शन क्यों?चायल विधायक पूजा पाल पर अचानक एक्शन ने सवाल खड़ा कर दिया है। दरअसल, पूजा पाल ने माफिया डॉन अतीक अहमद को मिट्टी में मिलाए जाने को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी। इसके बाद ही अखिलेश यादव का एक्शन सामने आया है। ऐसा नहीं है कि पूजा पाल ने पार्टी लाइन से अलग जाकर पहली बार कुछ किया हो। राज्यसभा चुनाव 2024 के दौरान उन्होंने क्रॉस वोटिंग की थी। फरवरी 2024 में हुए राज्यसभा चुनाव में 7 विधायक पार्टी लाइन से अलग चले गए।
समाजवादी पार्टी में इसके बाद से ही इन पर एक्शन की बात चल रही थी। हालांकि, इस वर्ष जून में सात में से तीन विधायकों पर सपा अध्यक्ष का एक्शन सामने आया। विधायक मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हालांकि, चार अन्य विधायकों राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।
समाजवादी पार्टी की ओर से उनके अच्छे व्यवहार के कारण अल्टीमेटम देकर कोई कार्रवाई नहीं करने की बात कही गई। हालांकि, पूजा पाल ने तो खुलकर फूलपुर उपचुनाव 2024 के दौरान सपा उम्मीदवार का विरोध किया था। वे भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में घर-घर घूमी थीं। इसके बाद भी एक्शन न होने को अखिलेश के पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स की रणनीति का हिस्सा माना गया। फिर सवाल उठ रहा है कि आखिर अभी एक्शपन क्यों?
योगी की तारीफ का खामियाजा?पूजा पाल पर सपा अध्यक्ष की कार्रवाई को सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ से जोड़कर देखा जा रहा है। पूजा पाल ने यूपी विधानसभा में सीएम योगी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि जब मैं थक कर हार गई तो मुख्यमंत्री ने माफिया अतीक अहमद के खिलाफ एक्शन लेकर मेरी लड़ाई को मजबूत किया। उन्होंने अतीक अहमद को मिट्टी में मिलाने का कार्य किया। सपा विधायक का यह बयान मीडिया में सुर्खियां बनने लगा। इसके बाद योगी के बुलडोजर मॉडल की तारीफ शुरू हो गई।
माफिया और अपराधियों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक्शन पर चर्चा शुरू हुई। वहीं, अतीक अहमद पर सपा विधायक के बयान को पार्टी से जोड़ा जाने लगा। इससे अखिलेश यादव को इस वोट बैंक के खिसकने का खतरा दिखने लगा। यह बात अखिलेश यादव को कतई पसंद नहीं आई। दरअसल पिछले दिनों अखिलेश यादव लगातार योगी सरकार पर हमलावर रहे हैं।
यूपी चुनाव 2027 की तैयारी में जुटे अखिलेश यादव योगी सरकार में कामकाज को लेकर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं। कानून व्यवस्था से लेकर विकास के मुद्दे तक पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। योगी सरकार के स्कूलों के मर्जर वाले अभियान पर भी उन्होंने जोरदार हमला बोला है। इसके अलावा वह प्रदेश में भ्रष्टाचार के मसलों को जोरदार तरीके से उठाते रहे हैं।
बुलडोजर एक्शन और एनकाउंटर जैसे मामलों को लेकर अखिलेश यादव एक पक्षीय कार्रवाई की बात कहते रहे हैं। ऐसे में पूजा पाल ने जब सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की तो यह बात समाजवादी पार्टी अध्यक्ष के लिए यह हजम कर पाना संभव नहीं हुआ। उन्होंने पार्टी विधायक को बाहर निकलने का फैसला ले लिया।
पूजा पाल ने लड़ी लंबी लड़ाईशादी के 10 दिनों में विधवा हुई पूजा पाल ने पति को इंसाफ दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। जनवरी 2005 में उनके पति बसपा विधायक राजू पाल की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से वह लगातार कोर्ट से जमीन तक माफिया अतीक अहमद के खिलाफ लड़ती रही। पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें सहारा दिया। बसपा के टिकट पर जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचती रही। यूपी चुनाव 2022 में उन्होंने सपा का दामन थामा और जीतकर विधायक बनी। उन्होंने पति को इंसाफ दिलाने की लंबी लड़ाई लड़ी, लेकिन अतीक अहमद राजनीतिक संरक्षण पाकर और मजबूत बनता गया।
योगी सरकार के 2017 में सत्ता में आने के बाद माफिया के खिलाफ एक्शन शुरू हुआ। राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह वकील उमेश पाल की 24 फरवरी 2023 की हत्या कर दी गई। अतीक अहमद गैंग का हाथ इसमें था। विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वकील हत्याकांड में जो भी शामिल है, उसे मिट्टी में मिला दिया जाएगा। इसके बाद हत्याकांड के आरोपियों का एनकाउंटर हुआ। मामले की पूछताछ के लिए प्रयागराज लाए गए माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या हो गई।
पूजा पाल ने इसी मसले पर विधानसभा में बयान दिया तो अखिलेश यादव यह सहन नहीं कर पाए। पूजा पाल के खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाकर पार्टी से हटा दिया गया। अखिलेश यादव का यह फैसला महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यूपी चुनाव 2027 से पहले अखिलेश यादव लगातार पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स को धार देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि एक पिछड़ा वर्ग की विधायक का माफिया के खिलाफ बयान पार्टी विरोधी कैसे हो गया?
अचानक पूजा पर एक्शन क्यों?चायल विधायक पूजा पाल पर अचानक एक्शन ने सवाल खड़ा कर दिया है। दरअसल, पूजा पाल ने माफिया डॉन अतीक अहमद को मिट्टी में मिलाए जाने को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी। इसके बाद ही अखिलेश यादव का एक्शन सामने आया है। ऐसा नहीं है कि पूजा पाल ने पार्टी लाइन से अलग जाकर पहली बार कुछ किया हो। राज्यसभा चुनाव 2024 के दौरान उन्होंने क्रॉस वोटिंग की थी। फरवरी 2024 में हुए राज्यसभा चुनाव में 7 विधायक पार्टी लाइन से अलग चले गए।
समाजवादी पार्टी में इसके बाद से ही इन पर एक्शन की बात चल रही थी। हालांकि, इस वर्ष जून में सात में से तीन विधायकों पर सपा अध्यक्ष का एक्शन सामने आया। विधायक मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हालांकि, चार अन्य विधायकों राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।
समाजवादी पार्टी की ओर से उनके अच्छे व्यवहार के कारण अल्टीमेटम देकर कोई कार्रवाई नहीं करने की बात कही गई। हालांकि, पूजा पाल ने तो खुलकर फूलपुर उपचुनाव 2024 के दौरान सपा उम्मीदवार का विरोध किया था। वे भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में घर-घर घूमी थीं। इसके बाद भी एक्शन न होने को अखिलेश के पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स की रणनीति का हिस्सा माना गया। फिर सवाल उठ रहा है कि आखिर अभी एक्शपन क्यों?
योगी की तारीफ का खामियाजा?पूजा पाल पर सपा अध्यक्ष की कार्रवाई को सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ से जोड़कर देखा जा रहा है। पूजा पाल ने यूपी विधानसभा में सीएम योगी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि जब मैं थक कर हार गई तो मुख्यमंत्री ने माफिया अतीक अहमद के खिलाफ एक्शन लेकर मेरी लड़ाई को मजबूत किया। उन्होंने अतीक अहमद को मिट्टी में मिलाने का कार्य किया। सपा विधायक का यह बयान मीडिया में सुर्खियां बनने लगा। इसके बाद योगी के बुलडोजर मॉडल की तारीफ शुरू हो गई।
माफिया और अपराधियों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक्शन पर चर्चा शुरू हुई। वहीं, अतीक अहमद पर सपा विधायक के बयान को पार्टी से जोड़ा जाने लगा। इससे अखिलेश यादव को इस वोट बैंक के खिसकने का खतरा दिखने लगा। यह बात अखिलेश यादव को कतई पसंद नहीं आई। दरअसल पिछले दिनों अखिलेश यादव लगातार योगी सरकार पर हमलावर रहे हैं।
यूपी चुनाव 2027 की तैयारी में जुटे अखिलेश यादव योगी सरकार में कामकाज को लेकर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं। कानून व्यवस्था से लेकर विकास के मुद्दे तक पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। योगी सरकार के स्कूलों के मर्जर वाले अभियान पर भी उन्होंने जोरदार हमला बोला है। इसके अलावा वह प्रदेश में भ्रष्टाचार के मसलों को जोरदार तरीके से उठाते रहे हैं।
बुलडोजर एक्शन और एनकाउंटर जैसे मामलों को लेकर अखिलेश यादव एक पक्षीय कार्रवाई की बात कहते रहे हैं। ऐसे में पूजा पाल ने जब सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की तो यह बात समाजवादी पार्टी अध्यक्ष के लिए यह हजम कर पाना संभव नहीं हुआ। उन्होंने पार्टी विधायक को बाहर निकलने का फैसला ले लिया।
पूजा पाल ने लड़ी लंबी लड़ाईशादी के 10 दिनों में विधवा हुई पूजा पाल ने पति को इंसाफ दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। जनवरी 2005 में उनके पति बसपा विधायक राजू पाल की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से वह लगातार कोर्ट से जमीन तक माफिया अतीक अहमद के खिलाफ लड़ती रही। पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें सहारा दिया। बसपा के टिकट पर जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचती रही। यूपी चुनाव 2022 में उन्होंने सपा का दामन थामा और जीतकर विधायक बनी। उन्होंने पति को इंसाफ दिलाने की लंबी लड़ाई लड़ी, लेकिन अतीक अहमद राजनीतिक संरक्षण पाकर और मजबूत बनता गया।
योगी सरकार के 2017 में सत्ता में आने के बाद माफिया के खिलाफ एक्शन शुरू हुआ। राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह वकील उमेश पाल की 24 फरवरी 2023 की हत्या कर दी गई। अतीक अहमद गैंग का हाथ इसमें था। विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वकील हत्याकांड में जो भी शामिल है, उसे मिट्टी में मिला दिया जाएगा। इसके बाद हत्याकांड के आरोपियों का एनकाउंटर हुआ। मामले की पूछताछ के लिए प्रयागराज लाए गए माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या हो गई।
पूजा पाल ने इसी मसले पर विधानसभा में बयान दिया तो अखिलेश यादव यह सहन नहीं कर पाए। पूजा पाल के खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाकर पार्टी से हटा दिया गया। अखिलेश यादव का यह फैसला महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यूपी चुनाव 2027 से पहले अखिलेश यादव लगातार पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स को धार देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि एक पिछड़ा वर्ग की विधायक का माफिया के खिलाफ बयान पार्टी विरोधी कैसे हो गया?
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