नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बताते हुए जमकर सुनाया। उन्होंने उन देशों को भी चेताया जिन्होंने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान का बचाव किया था। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रों का समर्थन करते हैं, उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। जयशंकर ने इस मंच से संयुक्त राष्ट्र में बदलाव की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि परिषद के स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए। जयशंकर ने दो टूक कहा कि भारत अधिक जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है।
संयुक्त राष्ट्र में जमकर बोले जयशंकर
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र परिषद की स्थायी और अस्थायी, दोनों सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए। एक अपडेटेड परिषद को वास्तव में प्रतिनिधित्वपूर्ण होना चाहिए। भारत अधिक जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है।
यूएन को लेकर कह दी बड़ी बात
जयशंकर ने कहा कि एक निष्पक्ष रिपोर्ट कार्ड से पता चलेगा कि संयुक्त राष्ट्र संकट की स्थिति में है। जब संघर्षों से शांति खतरे में होती है, जब संसाधनों की कमी से विकास पटरी से उतर जाता है, जब आतंकवाद से मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, तब भी संयुक्त राष्ट्र गतिरोध में फंसा रहता है। जैसे-जैसे आम सहमति बनाने की उसकी क्षमता कम होती जा रही है, वैसे-वैसे बहुपक्षवाद में विश्वास भी घटता जा रहा है।
स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की बात
जयशंकर ने यूएन में कहा कि मुश्किल और संकट के समय में हमें आगे बढ़कर काम करना होता है। भारत इस मामले में हमेशा आगे रहा है, खासकर अपने पड़ोसियों के लिए। चाहे हमारे पड़ोसियों को वित्तीय संकट हो या भोजन, उर्वरक या फिर ईंधन की मुश्किलें हों, हमने अपने पड़ोसियों की तत्काल जरूरतों को पूरा किया है। अफगानिस्तान और म्यांमार के लोगों ने हाल के भूकंपों के दौरान भारत को मदद का हाथ बढ़ाते देखा। उत्तरी अरब सागर में सुरक्षित व्यापार सुनिश्चित करने, समुद्री डकैतों से लड़ने और जहाजों पर हमलों को रोकने के हमारे प्रयासों का भी जिक्र करना जरूरी है। हमारे सैनिक शांति स्थापना सुनिश्चित करते हैं।
जयशंकर ने बताया किन तीन फैक्टर्स के साथ आगे बढ़ रहा भारत
जयशंकर ने कहा कि भारत समकालीन दुनिया में तीन मुख्य अवधारणाओं से प्रेरित होकर आगे बढ़ रहा है। पहला- आत्मनिर्भरता, दूसरा- आत्मरक्षा, यानी खुद को सुरक्षित रखना। हम अपने लोगों की रक्षा करने और देश-विदेश में उनके हितों को सुरक्षित रखने के लिए दृढ़ हैं। इसका मतलब है आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता, हमारी सीमाओं की मजबूत रक्षा, दूर तक साझेदारी बनाना और विदेशों में हमारे समुदाय की सहायता करना। और तीसरा- आत्मविश्वास। भारत हमेशा अपनी पसंद की स्वतंत्रता बनाए रखेगा और हमेशा ग्लोबल साउथ की आवाज बनेगा।
संयुक्त राष्ट्र में जमकर बोले जयशंकर
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र परिषद की स्थायी और अस्थायी, दोनों सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए। एक अपडेटेड परिषद को वास्तव में प्रतिनिधित्वपूर्ण होना चाहिए। भारत अधिक जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है।
#WATCH | At the 80th session of UNGA, EAM Dr S Jaishankar says, "...Both permanent and non-permanent membership of the Council must be expanded. A reformed Council must be truly representative. India stands ready to assume greater responsibilities."
— ANI (@ANI) September 27, 2025
(Source: UN TV) pic.twitter.com/uELEfZYyNh
यूएन को लेकर कह दी बड़ी बात
जयशंकर ने कहा कि एक निष्पक्ष रिपोर्ट कार्ड से पता चलेगा कि संयुक्त राष्ट्र संकट की स्थिति में है। जब संघर्षों से शांति खतरे में होती है, जब संसाधनों की कमी से विकास पटरी से उतर जाता है, जब आतंकवाद से मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, तब भी संयुक्त राष्ट्र गतिरोध में फंसा रहता है। जैसे-जैसे आम सहमति बनाने की उसकी क्षमता कम होती जा रही है, वैसे-वैसे बहुपक्षवाद में विश्वास भी घटता जा रहा है।
स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की बात
जयशंकर ने यूएन में कहा कि मुश्किल और संकट के समय में हमें आगे बढ़कर काम करना होता है। भारत इस मामले में हमेशा आगे रहा है, खासकर अपने पड़ोसियों के लिए। चाहे हमारे पड़ोसियों को वित्तीय संकट हो या भोजन, उर्वरक या फिर ईंधन की मुश्किलें हों, हमने अपने पड़ोसियों की तत्काल जरूरतों को पूरा किया है। अफगानिस्तान और म्यांमार के लोगों ने हाल के भूकंपों के दौरान भारत को मदद का हाथ बढ़ाते देखा। उत्तरी अरब सागर में सुरक्षित व्यापार सुनिश्चित करने, समुद्री डकैतों से लड़ने और जहाजों पर हमलों को रोकने के हमारे प्रयासों का भी जिक्र करना जरूरी है। हमारे सैनिक शांति स्थापना सुनिश्चित करते हैं।
जयशंकर ने बताया किन तीन फैक्टर्स के साथ आगे बढ़ रहा भारत
जयशंकर ने कहा कि भारत समकालीन दुनिया में तीन मुख्य अवधारणाओं से प्रेरित होकर आगे बढ़ रहा है। पहला- आत्मनिर्भरता, दूसरा- आत्मरक्षा, यानी खुद को सुरक्षित रखना। हम अपने लोगों की रक्षा करने और देश-विदेश में उनके हितों को सुरक्षित रखने के लिए दृढ़ हैं। इसका मतलब है आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता, हमारी सीमाओं की मजबूत रक्षा, दूर तक साझेदारी बनाना और विदेशों में हमारे समुदाय की सहायता करना। और तीसरा- आत्मविश्वास। भारत हमेशा अपनी पसंद की स्वतंत्रता बनाए रखेगा और हमेशा ग्लोबल साउथ की आवाज बनेगा।
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