नई दिल्ली: दुनिया में अपना दबदबा कायम करने की मंशा पालने वालने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो हफ्ते से लापता हैं। 6-7 जुलाई को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में होने वाली ब्रिक्स देशों की बैठक से भी जिनपिंग दूर रहेंगे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या शी जिनपिंग का दौर खत्म हो गया है। जैसा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भविष्यवाणी की थी कि चीन में 'सम्राट शी' का अंत होने वाला है। यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या चीन में सत्ता परिवर्तन होने वाला है? चीन में असली हुकूमत किसकी है। जानते हैं पड़ोसियों से लाल-पीले होने वाले चीन में क्या हो रहा है। इसे समझते हैं।
चीन में क्या हो बदल रहा घटनाक्रम, ये समझिए
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बीते दो हफ्तों तक लोगों के सामने नहीं आए। वे 21 मई से 5 जून तक कहीं दिखाई नहीं दिए हैं। इससे अटकलें लगने लगीं कि क्या चीन कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) में सत्ता का बदलाव हो सकता है। शी जिनपिंग, कम्युनिस्ट पार्टी के जनरल सेक्रेटरी और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के चेयरमैन हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के पहले वाइस चेयरमैन जनरल झांग यूशिया अभी चीन में ताकतवर हो सकते हैं।
चीन में झांग को लेकर क्या कहा जा रहा है
झांग जो 24 सदस्यों वाली शक्तिशाली पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं, उन्हें CCP के उन सीनियर सदस्यों का समर्थन प्राप्त है जो पूर्व चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ के वफादार रह चुके हैं। बताया जा रहा है कि ये मेंबर शी जिनपिंग की तुलना में कम कट्टर विचारधारा वाले हैं। शी जिनपिंग ने अपने विचारों को चीन में 'शी जिनपिंग थॉट' के रूप में स्थापित करने की कोशिश की है। 'शी जिनपिंग थॉट' चीन में स्कूल की किताबों में पढ़ाया जा रहा है और स्कूलों में सिखाया जा रहा है।
वांग यांग क्या होंगे शी जिनपिंग के उत्तराधिकारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वांग यांग को शी जिनपिंग के उत्तराधिकारी के रूप में तैयार किया जा रहा है। वांग यांग एक टेक्नोक्रेट हैं, 2022 में चीन में टॉप लीडरशिप के लिए एक मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। शी जिनपिंग के करीबियों को हटाना, 'शी जिनपिंग थॉट' को धीरे-धीरे खत्म करना और वांग जैसे टेक्नोक्रेट्स की वापसी जैसे ये संकेत बताते हैं कि शी जिनपिंग को धीरे-धीरे बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
जब हू जिंताओ को घसीटकर निकाला, तब चुप थे शी
चीन ने पहली बार अपने बड़े नेताओं को ठिकाने नहीं किया है। वह पहले भी ऐसा कर चुका है। दिलचस्प बात यह है कि ऐसा ही सार्वजनिक रूप से शी जिनपिंग के पूर्ववर्ती हू जिंताओ के साथ हुआ था। हू जिंताओ को 2022 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 20वें समारोह से घसीट कर बाहर निकाला गया था। यह तब हुआ जब शी जिनपिंग, जो हू जिंताओ के बगल में बैठे थे। वह कुछ नहीं बोले और चुप ही रहे। हू को शी जिनपिंग से बात करने की कोशिश करते हुए भी देखा गया, लेकिन उन्हें सार्वजनिक रूप से फटकार दिया गया।
तो ब्रिक्स में चीन की तरफ से कौन हिस्सा लेगा
ब्राजील में होने वाली ब्रिक्स देशों की बैठक में शी जिनपिंग की जगह चीनी प्रीमियर ली कियांग लेंगे। ली ने पहले 2023 में भारत में जी-20 में भी शी जिनपिंग की जगह ली थी। चीन ने ब्रिक्स में शी जिनपिंग की गैर मौजूदगी की वजह 'शेड्यूलिंग संकट' करार दिया है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में जिनपिंग की हेल्थ को लेकर भी अफवाहें चल रही हैं। उन्हें बीमार बताया जा रहा है।
इस घटनाक्रम से भारत को चिंतित होना चाहिए
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन चूंकि भारत के पड़ोस में है और उसके साथ हमारा बरसों से सीमा विवाद है। ऐसे में चीन में चल रहे किसी भी घटनाक्रम पर भारत को करीब से नजर रखनी चाहिए। भारत को ऐसे मामले में सतर्क रहने की जरूरत है। उनका कहना है कि चीन अक्सर आंतरिक विवादों से दबाव कम करने के लिए बाहरी मामलों का इस्तेमाल करता है। चीन में राजनीतिक प्रणाली में अशांति अक्सर सीमा पर संघर्ष का कारण बनती है। कुछ ऐसा ही 2012 और 2020 में हुआ था।
भारत के खिलाफ क्या कर सकता है चीन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन ऐसे घटनाक्रम का इस्तेमाल भारत में साइबर अटैक के जरिए कर सकता है। भारत में समस्याएं पैदा करने के लिए गलत सूचना फैलाने की कोशिश कर सकता है। चीन संयुक्त राष्ट्र में भी भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और सुधार और आतंकवाद का मुकाबला करने के प्रयासों को रोकने की कोशिश कर सकता है।
चीन में क्या हो बदल रहा घटनाक्रम, ये समझिए
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बीते दो हफ्तों तक लोगों के सामने नहीं आए। वे 21 मई से 5 जून तक कहीं दिखाई नहीं दिए हैं। इससे अटकलें लगने लगीं कि क्या चीन कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) में सत्ता का बदलाव हो सकता है। शी जिनपिंग, कम्युनिस्ट पार्टी के जनरल सेक्रेटरी और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के चेयरमैन हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के पहले वाइस चेयरमैन जनरल झांग यूशिया अभी चीन में ताकतवर हो सकते हैं।

चीन में झांग को लेकर क्या कहा जा रहा है
झांग जो 24 सदस्यों वाली शक्तिशाली पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं, उन्हें CCP के उन सीनियर सदस्यों का समर्थन प्राप्त है जो पूर्व चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ के वफादार रह चुके हैं। बताया जा रहा है कि ये मेंबर शी जिनपिंग की तुलना में कम कट्टर विचारधारा वाले हैं। शी जिनपिंग ने अपने विचारों को चीन में 'शी जिनपिंग थॉट' के रूप में स्थापित करने की कोशिश की है। 'शी जिनपिंग थॉट' चीन में स्कूल की किताबों में पढ़ाया जा रहा है और स्कूलों में सिखाया जा रहा है।
वांग यांग क्या होंगे शी जिनपिंग के उत्तराधिकारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वांग यांग को शी जिनपिंग के उत्तराधिकारी के रूप में तैयार किया जा रहा है। वांग यांग एक टेक्नोक्रेट हैं, 2022 में चीन में टॉप लीडरशिप के लिए एक मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। शी जिनपिंग के करीबियों को हटाना, 'शी जिनपिंग थॉट' को धीरे-धीरे खत्म करना और वांग जैसे टेक्नोक्रेट्स की वापसी जैसे ये संकेत बताते हैं कि शी जिनपिंग को धीरे-धीरे बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
जब हू जिंताओ को घसीटकर निकाला, तब चुप थे शी
चीन ने पहली बार अपने बड़े नेताओं को ठिकाने नहीं किया है। वह पहले भी ऐसा कर चुका है। दिलचस्प बात यह है कि ऐसा ही सार्वजनिक रूप से शी जिनपिंग के पूर्ववर्ती हू जिंताओ के साथ हुआ था। हू जिंताओ को 2022 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 20वें समारोह से घसीट कर बाहर निकाला गया था। यह तब हुआ जब शी जिनपिंग, जो हू जिंताओ के बगल में बैठे थे। वह कुछ नहीं बोले और चुप ही रहे। हू को शी जिनपिंग से बात करने की कोशिश करते हुए भी देखा गया, लेकिन उन्हें सार्वजनिक रूप से फटकार दिया गया।
तो ब्रिक्स में चीन की तरफ से कौन हिस्सा लेगा
ब्राजील में होने वाली ब्रिक्स देशों की बैठक में शी जिनपिंग की जगह चीनी प्रीमियर ली कियांग लेंगे। ली ने पहले 2023 में भारत में जी-20 में भी शी जिनपिंग की जगह ली थी। चीन ने ब्रिक्स में शी जिनपिंग की गैर मौजूदगी की वजह 'शेड्यूलिंग संकट' करार दिया है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में जिनपिंग की हेल्थ को लेकर भी अफवाहें चल रही हैं। उन्हें बीमार बताया जा रहा है।
इस घटनाक्रम से भारत को चिंतित होना चाहिए
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन चूंकि भारत के पड़ोस में है और उसके साथ हमारा बरसों से सीमा विवाद है। ऐसे में चीन में चल रहे किसी भी घटनाक्रम पर भारत को करीब से नजर रखनी चाहिए। भारत को ऐसे मामले में सतर्क रहने की जरूरत है। उनका कहना है कि चीन अक्सर आंतरिक विवादों से दबाव कम करने के लिए बाहरी मामलों का इस्तेमाल करता है। चीन में राजनीतिक प्रणाली में अशांति अक्सर सीमा पर संघर्ष का कारण बनती है। कुछ ऐसा ही 2012 और 2020 में हुआ था।
भारत के खिलाफ क्या कर सकता है चीन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन ऐसे घटनाक्रम का इस्तेमाल भारत में साइबर अटैक के जरिए कर सकता है। भारत में समस्याएं पैदा करने के लिए गलत सूचना फैलाने की कोशिश कर सकता है। चीन संयुक्त राष्ट्र में भी भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और सुधार और आतंकवाद का मुकाबला करने के प्रयासों को रोकने की कोशिश कर सकता है।
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