ज्योति शर्मा, मथुरा: कृष्ण नगरी वृंदावन में इन दिनों भक्तों का भारी सैलाब उमड़ रहा है, लेकिन इस दौरान नगर निगम की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। वृंदावन के प्रसिद्ध बाँके बिहारी मंदिर के गेट नंबर 1 की गली में भक्तों की भारी भीड़ के बीच एक गाय फंस गई, जिससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया और बड़ा हादसा होते-होते टल गया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है, जिसने प्रशासन की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मंदिर की संकरी गलियों में पहले से ही लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण चलना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में बेसहारा पशुओं का गलियों में घूमना और भीड़ में फंस जाना, जिला प्रशासन, नगर निगम और यातायात पुलिस के बीच सामंजस्य की कमी को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यदि गाय घबराकर भगदड़ मचा देती, तो भीड़ में मौजूद बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को गंभीर चोटें आ सकती थीं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम आवारा पशुओं को पकड़ने और उन्हें गौशालाओं में भेजने के अपने दायित्व का ठीक से पालन नहीं कर रहा है। करोड़ों रुपये का बजट होने के बावजूद, सड़कों पर घूमते गौवंश, कूड़े के ढेर में भोजन तलाशने को मजबूर हैं, जिससे न सिर्फ उनकी दुर्दशा हो रही है, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है।
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि धार्मिक नगरी में व्यवस्थाओं को लेकर अधिकारी कितने लापरवाह हैं। जिला प्रशासन को तत्काल इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए और नगर निगम को आवारा पशुओं की समस्या का स्थायी समाधान सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से कोई बड़ी दुर्घटना ना हो।
मंदिर की संकरी गलियों में पहले से ही लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण चलना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में बेसहारा पशुओं का गलियों में घूमना और भीड़ में फंस जाना, जिला प्रशासन, नगर निगम और यातायात पुलिस के बीच सामंजस्य की कमी को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यदि गाय घबराकर भगदड़ मचा देती, तो भीड़ में मौजूद बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को गंभीर चोटें आ सकती थीं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम आवारा पशुओं को पकड़ने और उन्हें गौशालाओं में भेजने के अपने दायित्व का ठीक से पालन नहीं कर रहा है। करोड़ों रुपये का बजट होने के बावजूद, सड़कों पर घूमते गौवंश, कूड़े के ढेर में भोजन तलाशने को मजबूर हैं, जिससे न सिर्फ उनकी दुर्दशा हो रही है, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है।
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि धार्मिक नगरी में व्यवस्थाओं को लेकर अधिकारी कितने लापरवाह हैं। जिला प्रशासन को तत्काल इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए और नगर निगम को आवारा पशुओं की समस्या का स्थायी समाधान सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से कोई बड़ी दुर्घटना ना हो।
You may also like

Thamma Box Office: 'थामा' ने आठ दिनों में लूटा मजमा, 100 करोड़ पार, अब 'मिराई' और 'मुंज्या' को देगी धोबी पछाड़

स्लीपर बसें क्यों बन रहीं मौत की सवारी, ये है हादसे की बड़ी वजह

एनसीआर में ठंड का असर बढ़ा, अब स्मॉग और फॉग से भी होगा सामना

Rajasthan Staff Selection Board के लिए परीक्षा ड्रेस कोड की जानकारी

सुखोई के बाद राफेल... राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंबाला में रचा इतिहास, एयरफोर्स के लड़ाकू विमान में भरी ऐतिहासिक उड़ान




