नई दिल्ली: चीन जो चाहता था, आखिर वहीं होता दिखाई दे रहा है। चीन की चाल में भारत लगभग फंस गया है। चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया है। इसका असर अब भारत की EV कंपनियों पर दिखाई दे रहा है। चीन से आने वाले इन खास तरह के चुम्बकों की कमी के कारण बजाज ऑटो, एथर एनर्जी और टीवीएस मोटर कंपनी जैसी कंपनियों को अपना प्रोडक्शन घटाना पड़ सकता है।
ये चुम्बक भारी दुर्लभ मृदा (heavy rare earth - HRE) से बनते हैं। इनकी सप्लाई चीन से होती है, लेकिन पिछले चार महीनों से इसमें दिक्कत आ रही है। इस वजह से इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार धीमा पड़ सकता है। चीन ने इन चुम्बकों के एक्सपोर्ट को लेकर कुछ नियम बनाए हैं।
कंपनियों पर कितना असर?बजाज ऑटो इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन बनाने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार खबर है कि कंपनी अपना आधा उत्पादन कम कर सकती है। बेंगलुरु की एथर एनर्जी भी अपना उत्पादन 8-10% तक घटाने की योजना बना रही है। टीवीएस मोटर कंपनी की बिक्री पिछले तीन महीनों से सबसे ज्यादा रही है। लेकिन अब उन्हें भी उत्पादन कम करना पड़ सकता है।
इंजन के लिए जरूरी चुंबकये तीनों कंपनियां HRE चुम्बकों की कमी से जूझ रही हैं। ये चुम्बक इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इंजन के लिए बहुत जरूरी होते हैं। टीवीएस मोटर के एक प्रवक्ता ने कहा, 'ईवी सप्लाई चेन में दिक्कतें आ रही हैं। चुम्बकों की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है। हम इन चुनौतियों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।'
ओला ने कहा- नहीं पड़ेगा असरपहले ओला इलेक्ट्रिक कंपनी सबसे आगे थी। लेकिन उनका कहना है कि उनके उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि उन्होंने पहले से ही काफी चुम्बक जमा कर रखे हैं। ओला इलेक्ट्रिक के एक प्रवक्ता ने कहा, 'दुर्लभ मृदा चुम्बकों की वजह से उत्पादन पर कोई असर नहीं होगा।'
ओला के पास पांच-छह महीने तक के लिए इन चुम्बकों का स्टॉक है। कंपनी दूसरे सप्लाई चेन विकल्पों पर भी काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, कंपनी जुलाई में थोड़ा उत्पादन बढ़ा भी सकती है। ओला पर कम असर पड़ने का एक कारण ये भी है कि कंपनी का प्रदर्शन थोड़ा कमजोर रहा है। जून में ओला इलेक्ट्रिक लगातार दूसरे महीने तीसरे नंबर पर खिसक गई।
इन चार कंपनियों (बजाज, एथर, टीवीएस और ओला) की बाजार में बड़ी हिस्सेदारी है। हर दस में से आठ इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन इन्हीं कंपनियों के होते हैं।
सरकार कर रही चीन से बातऑटोमोबाइल इंडस्ट्री और सरकार चीन से बात कर रही है। वे चाहते हैं कि रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REEs) और चुम्बकों की सप्लाई फिर से शुरू हो जाए। सरकार वियतनाम, इंडोनेशिया और जापान जैसे दूसरे देशों से भी बात कर रही है। लेकिन अभी तक चुम्बकों की कमी बनी हुई है।
ये चुम्बक भारी दुर्लभ मृदा (heavy rare earth - HRE) से बनते हैं। इनकी सप्लाई चीन से होती है, लेकिन पिछले चार महीनों से इसमें दिक्कत आ रही है। इस वजह से इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार धीमा पड़ सकता है। चीन ने इन चुम्बकों के एक्सपोर्ट को लेकर कुछ नियम बनाए हैं।
कंपनियों पर कितना असर?बजाज ऑटो इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन बनाने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार खबर है कि कंपनी अपना आधा उत्पादन कम कर सकती है। बेंगलुरु की एथर एनर्जी भी अपना उत्पादन 8-10% तक घटाने की योजना बना रही है। टीवीएस मोटर कंपनी की बिक्री पिछले तीन महीनों से सबसे ज्यादा रही है। लेकिन अब उन्हें भी उत्पादन कम करना पड़ सकता है।
इंजन के लिए जरूरी चुंबकये तीनों कंपनियां HRE चुम्बकों की कमी से जूझ रही हैं। ये चुम्बक इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इंजन के लिए बहुत जरूरी होते हैं। टीवीएस मोटर के एक प्रवक्ता ने कहा, 'ईवी सप्लाई चेन में दिक्कतें आ रही हैं। चुम्बकों की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है। हम इन चुनौतियों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।'
ओला ने कहा- नहीं पड़ेगा असरपहले ओला इलेक्ट्रिक कंपनी सबसे आगे थी। लेकिन उनका कहना है कि उनके उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि उन्होंने पहले से ही काफी चुम्बक जमा कर रखे हैं। ओला इलेक्ट्रिक के एक प्रवक्ता ने कहा, 'दुर्लभ मृदा चुम्बकों की वजह से उत्पादन पर कोई असर नहीं होगा।'
ओला के पास पांच-छह महीने तक के लिए इन चुम्बकों का स्टॉक है। कंपनी दूसरे सप्लाई चेन विकल्पों पर भी काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, कंपनी जुलाई में थोड़ा उत्पादन बढ़ा भी सकती है। ओला पर कम असर पड़ने का एक कारण ये भी है कि कंपनी का प्रदर्शन थोड़ा कमजोर रहा है। जून में ओला इलेक्ट्रिक लगातार दूसरे महीने तीसरे नंबर पर खिसक गई।
इन चार कंपनियों (बजाज, एथर, टीवीएस और ओला) की बाजार में बड़ी हिस्सेदारी है। हर दस में से आठ इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन इन्हीं कंपनियों के होते हैं।
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