नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल 20 जनवरी को अपना दूसरा कार्यकाल संभाला था। इसके चंद दिनों बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फरवरी में उनसे अमेरिका में मुलाकात हुई थी। लेकिन, उसके बाद चार-चार मौकों पर ट्रंप को झटका लग चुका है। पीएम मोदी उनके निमंत्रण को दो-दो बार सीधे ठुकरा भी चुके हैं। हालांकि, इस दौरान दोनों ही वैश्विक नेता एक-दूसरे को 'अच्छा मित्र' बताते रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ट्रंप ने भारत के प्रति जो रवैया अपनाया है, उसके बाद कहना मुश्किल है कि दोनों मित्रों में अगली मुलाकात कब होगी?
जी20 में नहीं जाएंगे ट्रंप
नवंबर में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) होने जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पहले ही कह दिया गया है कि वे इस बार जी20 शिखर सम्मेलन में नहीं शामिल होंगे। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जोहान्सबर्ग में मौजूद रहेंगे। मतलब, यह तय है कि दोनों नेताओं के बीच मुलाकात की एक यह चौथी संभावना भी पहले ही खत्म हो चुकी है।
आसियान में नहीं गए पीएम
अभी-अभी मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आसियान शिखर सम्मेलन (ASEAN summit) हुआ है। ट्रंप वहां पहुंच गए। लेकिन, पीएम मोदी ने इस सम्मेलन में निजी रूप से पहुंचने की जगह वर्चुअली संबोधित करने के विकल्प को चुना। बीते एक दशक में यह दूसरी बार ही हुआ है कि प्रधानमंत्री मोदी इस महत्वपूर्ण वैश्विक कार्यक्रम में खुद जाने से परहेज किया है।
शर्म-अल-शेख नहीं गए पीएम
इसी महीने इजरायल और फिलिस्तीन (आतंकी संगठन हमास के साथ युद्ध को लेकर) के बीच 'शांति शिखर सम्मेलन'के लिए ट्रंप के बुलावे पर दुनिया के तमाम नेता मिस्र के शर्म-अल-शेख पहुंचे। ट्रंप ने इस सम्मेलन में शिरकत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को खास तौर पर आमंत्रित किया। लेकिन, उन्होंने खुद वहां पहुंचने की जगह विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह को भेज दिया। वैसे विश्लेषकों की ओर से यह दलील दी गई कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के लिए इतनी शॉर्ट नोटिस पर ऐसे कार्यक्रम में पहुंचना मुमकिन नहीं था।
वॉशिंगटन आने का बुलावा ठुकराया
इससे पहले भी पीएम मोदी ट्रंप के निमंत्रण को स्पष्ट तौर पर नकार चुके हैं। ऑपरेशन सिंदूर पर अस्थाई ब्रेक लगने के अगले ही महीने जून में पीएम मोदी जी-7 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कनाडा गए थे। वहां से लौटते वक्त ट्रंप ने फोन करके प्रधानमंत्री को खास तौर पर वॉशिंगटन में रुकते हुए जाने का आग्रह किया था। लेकिन, पीएम मोदी ने बहुत ही शालीनता के साथ अपने तयशुदा कार्यक्रमों का हवाला देकर उनके निमंत्रण को स्वीकार करने में असमर्थता जाहिर कर दी। बाद में पीएम मोदी ने ओडिशा में एक कार्यक्रम में कहा कि वे भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए अपने मित्र के निमंत्रण को ठुकरा आए हैं। हालांकि, बाद में यह खुलासा हुआ कि जिस समय ट्रंप ने पीएम मोदी को व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया था, उसी दौरान पहलगाम हमले के आतंकवादियों की संरक्षक पाकिस्तानी सेना के चीफ जनरल असीम मुनीर को भी बुलाया था।
क्वाड को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं
अब वापस फरवरी में लौटते हैं। तब वॉशिंगटन में ट्रंप और मोदी के मुलाकात के बाद यह संभावनाएं पैदा हुई थीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस साल के आखिर में क्वाड शिखर सम्मेलन (Quad summit) में हिस्सा लेने के लिए भारत आ सकते हैं। लेकिन,अबतक इसमें ट्रंप के पहुंचने की संभावना तो दूर, इसका कार्यक्रम भी तय नहीं हुआ है। क्वाड में अमेरिका और भारत के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, जो विशेष रूप से हिंद महासागर में सदस्य देशों के संयुक्त हित को देखते हुए स्थापित किया गया है और चीन इसे अपने खिलाफ एक सैन्य जुगलबंदी की तरह देखता है।
जी20 में नहीं जाएंगे ट्रंप
नवंबर में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) होने जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पहले ही कह दिया गया है कि वे इस बार जी20 शिखर सम्मेलन में नहीं शामिल होंगे। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जोहान्सबर्ग में मौजूद रहेंगे। मतलब, यह तय है कि दोनों नेताओं के बीच मुलाकात की एक यह चौथी संभावना भी पहले ही खत्म हो चुकी है।
आसियान में नहीं गए पीएम
अभी-अभी मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आसियान शिखर सम्मेलन (ASEAN summit) हुआ है। ट्रंप वहां पहुंच गए। लेकिन, पीएम मोदी ने इस सम्मेलन में निजी रूप से पहुंचने की जगह वर्चुअली संबोधित करने के विकल्प को चुना। बीते एक दशक में यह दूसरी बार ही हुआ है कि प्रधानमंत्री मोदी इस महत्वपूर्ण वैश्विक कार्यक्रम में खुद जाने से परहेज किया है।
शर्म-अल-शेख नहीं गए पीएम
इसी महीने इजरायल और फिलिस्तीन (आतंकी संगठन हमास के साथ युद्ध को लेकर) के बीच 'शांति शिखर सम्मेलन'के लिए ट्रंप के बुलावे पर दुनिया के तमाम नेता मिस्र के शर्म-अल-शेख पहुंचे। ट्रंप ने इस सम्मेलन में शिरकत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को खास तौर पर आमंत्रित किया। लेकिन, उन्होंने खुद वहां पहुंचने की जगह विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह को भेज दिया। वैसे विश्लेषकों की ओर से यह दलील दी गई कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के लिए इतनी शॉर्ट नोटिस पर ऐसे कार्यक्रम में पहुंचना मुमकिन नहीं था।
वॉशिंगटन आने का बुलावा ठुकराया
इससे पहले भी पीएम मोदी ट्रंप के निमंत्रण को स्पष्ट तौर पर नकार चुके हैं। ऑपरेशन सिंदूर पर अस्थाई ब्रेक लगने के अगले ही महीने जून में पीएम मोदी जी-7 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कनाडा गए थे। वहां से लौटते वक्त ट्रंप ने फोन करके प्रधानमंत्री को खास तौर पर वॉशिंगटन में रुकते हुए जाने का आग्रह किया था। लेकिन, पीएम मोदी ने बहुत ही शालीनता के साथ अपने तयशुदा कार्यक्रमों का हवाला देकर उनके निमंत्रण को स्वीकार करने में असमर्थता जाहिर कर दी। बाद में पीएम मोदी ने ओडिशा में एक कार्यक्रम में कहा कि वे भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए अपने मित्र के निमंत्रण को ठुकरा आए हैं। हालांकि, बाद में यह खुलासा हुआ कि जिस समय ट्रंप ने पीएम मोदी को व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया था, उसी दौरान पहलगाम हमले के आतंकवादियों की संरक्षक पाकिस्तानी सेना के चीफ जनरल असीम मुनीर को भी बुलाया था।
क्वाड को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं
अब वापस फरवरी में लौटते हैं। तब वॉशिंगटन में ट्रंप और मोदी के मुलाकात के बाद यह संभावनाएं पैदा हुई थीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस साल के आखिर में क्वाड शिखर सम्मेलन (Quad summit) में हिस्सा लेने के लिए भारत आ सकते हैं। लेकिन,अबतक इसमें ट्रंप के पहुंचने की संभावना तो दूर, इसका कार्यक्रम भी तय नहीं हुआ है। क्वाड में अमेरिका और भारत के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, जो विशेष रूप से हिंद महासागर में सदस्य देशों के संयुक्त हित को देखते हुए स्थापित किया गया है और चीन इसे अपने खिलाफ एक सैन्य जुगलबंदी की तरह देखता है।
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