नई दिल्ली: विदेशी निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयर बाजार में जोरदार वापसी की है। कुछ हफ्तों तक किनारे रहने के बाद तीन दिन में लगभग 15,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। लगातार नौ दिनों तक बिकवाली करने के बाद यह बदलाव बाजार के लिए एक बड़ा सहारा बन गया है। इस FIIs की वजह से सेंसेक्स में सिर्फ तीन दिन में लगभग 3,400 अंकों की तेजी आई है। यह हाल के दिनों में सबसे तेज उछाल है। हालांकि इस की खरीदारी के बावजूद FIIs अब भी अप्रैल में शुद्ध विक्रेता बने हुए हैं। महीने के लिए कुल आउटफ्लो अब भी 18,000 करोड़ रुपये से ऊपर है। लेकिन भारतीय इक्विटी में विदेशी निवेश कई साल के निचले स्तर पर आ गया था। इसलिए अगर बाजार का माहौल ठीक रहता है, तो यह कमी एक और खरीदारी की लहर पैदा कर सकती है।जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार के अनुसार ने कहा कि FIIs की गतिविधि में यह बदलाव दो मुख्य कारणों से हुआ है। पहला, डॉलर इंडेक्स गिरकर लगभग 100 के स्तर पर आ गया है। डॉलर के और कमजोर होने की उम्मीद निवेशकों को अमेरिका से दूर भारत जैसे उभरते बाजारों की ओर धकेल रही है। दूसरा, अमेरिका और चीन दोनों की विकास दर इस साल कम रहने की संभावना है। वहीं, भारत की GDP विकास दर वित्त वर्ष 2026 में 6% रहने की उम्मीद है। यह बेहतर प्रदर्शन भारत को वैश्विक पूंजी के लिए एक आकर्षक जगह बना सकता है। निवेशकों का ध्यान घरेलू खपत से जुड़े क्षेत्रों जैसे कि फाइनेंस, टेलीकॉम, एविएशन, सीमेंट, कुछ ऑटो कंपनियों और हेल्थकेयर स्टॉक्स पर रहने की संभावना है। आगे का रास्ताकोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट जितेंद्र गोहिल ने कहा कि अगर डॉलर इंडेक्स गिरता रहता है, तो उभरते बाजारों के लिए FIIs की पसंद बेहतर होगी। उभरते बाजारों में, भारत का दृष्टिकोण अपेक्षाकृत मजबूत और आकर्षक बना हुआ है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी भी अनिश्चितताएं बहुत ज्यादा हैं। इस बीच भारतीय रुपया भी मजबूत हो रहा है। शुक्रवार को यह लगातार चौथे दिन मजबूत हुआ और 31 पैसे बढ़कर 85.37 पर बंद हुआ। यह 4 अप्रैल के बाद सबसे मजबूत क्लोजिंग है। इस तेजी को इक्विटी में निवेश और बाजार में सकारात्मक माहौल से समर्थन मिला।ASK इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के डिप्टी सीआईओ सुमित जैन ने कहा कि ट्रंप की जीत के बाद अक्टूबर 2024 के बाद से उभरते बाजारों से पैसा निकाला जा रहा था, जो लगभग पांच महीने तक जारी रहा। लेकिन अब फ्लो स्थिर हो रहा है, भले ही यह रुझान अभी नया है। उनका मानना है कि भारत अपने मजबूत घरेलू बाजार और विकास की बुनियादी बातों के साथ एक आशाजनक देश के रूप में खड़ा है और FIIs के बाहर जाने का रुझान कम हो सकता है।
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