नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उस व्यक्ति पर सख्त रुख अपनाया, जिस पर आरोप है कि उसने एक महिला वकील (जो कोर्ट कमिश्नर के रूप में नियुक्त थीं) को कमिशन की कार्यवाही के दौरान पिस्तौल दिखाकर धमकाया था। अदालत ने उसे आदेश दिया कि वह 6 नवंबर को जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करे, उसके बाद ही उसकी याचिका पर विचार किया जाएगा जिसमें उसने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दी गई एक महीने की सजा को चुनौती दी है।
महिला वकील ने दिखाई उदारता
जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 11 नवंबर तय की गई है। सुनवाई के दौरान बेंच ने याचिकाकर्ता आरोपी के कंडक्ट पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि वह जेल में रहने का हकदार है। जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि स्थानीय आयुक्त (महिला वकील) ने बहुत उदारता दिखाई है, क्योंकि वह इससे कहीं अधिक गंभीर शिकायत भी दर्ज करा सकती थीं।
आरोपियों ने पुलिस के सामने दी धमकी
अदालत ने यह भी नोट किया कि आरोपी ने यह कथित कृत्य पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में किया था। यदि वे वहां न होते, तो कोर्ट कमिश्नर के साथ कोई अप्रिय घटना भी हो सकती थी। '5 पुलिसकर्मी थे मौके पर मौजूद' सीनियर वकील शादन फारसत ने आरोपी की ओर से पेश होकर मामले के तथ्यों का विरोध किया।
सोचिए वाली है ये बात
उन्होंने कहा कि घटना के दौरान कई लोग मौजूद थे, जिनमे पांच पुलिस अधिकारी भी शामिल थे, इसलिए डराने-धमकाने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस अधिकारियो ने स्थानीय आयुक्त की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जरा सोचिए, वहां पांच पुलिसकर्मी मौजूद थे, फिर भी इस व्यक्ति ने हंगामा कर दिया।
महिला वकील ने दिखाई उदारता
जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 11 नवंबर तय की गई है। सुनवाई के दौरान बेंच ने याचिकाकर्ता आरोपी के कंडक्ट पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि वह जेल में रहने का हकदार है। जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि स्थानीय आयुक्त (महिला वकील) ने बहुत उदारता दिखाई है, क्योंकि वह इससे कहीं अधिक गंभीर शिकायत भी दर्ज करा सकती थीं।
आरोपियों ने पुलिस के सामने दी धमकी
अदालत ने यह भी नोट किया कि आरोपी ने यह कथित कृत्य पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में किया था। यदि वे वहां न होते, तो कोर्ट कमिश्नर के साथ कोई अप्रिय घटना भी हो सकती थी। '5 पुलिसकर्मी थे मौके पर मौजूद' सीनियर वकील शादन फारसत ने आरोपी की ओर से पेश होकर मामले के तथ्यों का विरोध किया।
सोचिए वाली है ये बात
उन्होंने कहा कि घटना के दौरान कई लोग मौजूद थे, जिनमे पांच पुलिस अधिकारी भी शामिल थे, इसलिए डराने-धमकाने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस अधिकारियो ने स्थानीय आयुक्त की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जरा सोचिए, वहां पांच पुलिसकर्मी मौजूद थे, फिर भी इस व्यक्ति ने हंगामा कर दिया।
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